इटावा। माता-पिता के बुढ़ापे का सहारा बनने के लिए इटावा जिले की एक युवती ने अपना लिंग परिवर्तन करा लिया। इस प्रक्रिया को कराते हुए उसे तीन साल बीत चुके हैं और अभी भी एक बड़ी सर्जरी बाकी है। शहर से लगे सुल्तानपुर गांव की शालिनी ने बताया कि 2019 में उनके इकलौते बड़े भाई की सड़क हादसे में जान चली गई थी।
जवान बेटे की मौत का सदमे से माता-पिता उभर नहीं पा रहे थे। मैं भी भाई की मौत के गम के साथ माता-पिता के दुख को देखकर तिल-तिल तड़प रही थी। इस बीच उसे ऑपरेशन से लिंग परिवर्तन होने की जानकारी मिली। चूंकि शालिनी खुद लड़कों की तरह जीती थी।
ऐसे में उसने माता-पिता के बुढ़ापे की लाठी बनने के लिए लिंग परिवर्तन कराने का मन बना लिया। इंटरनेट पर सर्जरी से जुड़ी जानकारी करने के बाद शालिनी दिल्ली के एक बड़े अस्पताल के डॉक्टर से मिली। डॉक्टरों की सहमति के बाद उसने परिवार में बात की।
अब तक लगभग सात लाख हो चुके हैं खर्च
पहले तो माता-पिता राजी नहीं हुए, लेकिन परिस्थितियों के बारे में समझाकर शालिनी ने उन्हें राजी करा लिया। 2021 से उन्होंने लिंग परिवर्तन के लिए डॉक्टरों के निर्देशन में अपना सपना पूरा करने के लिए कदम रख दिया। करीब तीन साल की प्रक्रिया में करीब सात लाख अब तक खर्च हो चुके हैं।
शानू की तरह पूरी जिंदगी जी रही हैं
अभी एक सर्जरी रह गई है। इसमें लगभग छह लाख रुपये खर्च होने हैं। शालिनी अब शानू की तरह पूरी जिंदगी जी रही हैं। लड़कों की तरह पूरा घर का काम करना। पशुओं के चारा काटना…उन्हें खुद खिलाना के साथ ही बाजार के भी सभी काम शानू (परिवर्तित काम) ही करते हैं।
लड़कों की तरह रहना था शालिनी की पंसद
शालिनी अब परिवर्तित नाम शानू शुक्ला ने बताया कि जेंडर डिस्फोरिया के तहत बचपन से उसे लड़कों की तरह रहन, सहन पसंद था। वह लड़कों की तरह बालों का स्टाइल व कपड़ों का पहनावा भी वैसा ही रखती थी। बचपन से लड़कों वाले खेल खेलना भी पसंद रहा है।
हार्मोंन थैरेपी के बाद एक सर्जरी हो चुकी है
ऐसे में लिंग परिवर्तन के लिए होने वाले सबसे पहले चरण साइलोजिक्ल इवोल्यूशन में वह पास हो गई और डॉक्टरों ने उसके ऑपरेशन की हामी भरी। बताया कि हार्मोंन थैरेपी के बाद एक सर्जरी हो चुकी है। अभी एक सर्जरी और होनी है।
शादी के लिए जोड़े रुपये बेटी से बेटा बनाने में लगा दिए
खेती-बाड़ी करके घर का पालन पोषण करने वाले शालिनी के पिता ने बताया कि एक बेटा और एक बेटी होने की वजह से कई साल पहले से ही बेटी की शादी के लिए रुपये जोड़ना शुरू कर दिए थे। जवान बेटा भी अहमदाबाद में रहकर अच्छी नौकरी कर रहा था, लेकिन असमय उसे भगवान ने हमसे छीन लिया।
हमारे बुढ़ापे की सेवा करने का निर्णय लिया
बेटे की मौत की बाद हम पूरी तरह टूट चुके थे। कुछ समझ नहीं आ रही था तब हमारी बेटी ने बेटा बनकर हमारे बुढ़ापे की सेवा करने का निर्णय लिया। सुनकर बड़ा अजीब लगा था, लेकिन फिर बेटी के समझाने के बाद ठीक लगा तो उसका ऑपरेशन कराया। उसकी शादी के लिए जोड़े रुपयों से ही उसका इलाज करा रहे हैं।