लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 2017 से पहले यूपी में विकास की रफ्तार बंद हो गई थी। लोग पलायन कर रहे थे। असुरक्षा का माहौल था। बिजली नहीं थी। प्रदूषण नियंत्रण की तलवार थी। बाजार नहीं था। एनओसी मिलने में सालों लग जाते थे। दंगे होते थे। 2017 के बाद हमारी सरकार आई तो हमने परंपरागत उद्योगों को विकसित करने की योजना बनाई। हर जिले के विशिष्ट उत्पाद की चर्चा होती थी।
अगर मेरठ की रेवड़ी थी तो हापुड़ का पापड़, लखनऊ की चाट, वाराणसी की दही जलेबी की चर्चा होती थी। ये कहां हैं सब, सभी की खोज की। पता चला कि 58 जनपद के उत्पाद बदहाल हैं। हमने काम किया तो पता चला कि यही हाल 75 जिलों का है तब एक जिला एक उत्पाद योजना शुरू की। आज इसी का परिणाम है किइस योजना से कामगारों के श्रमिको को गांव में ही रोजगार मिला है। निर्यात दोगुना से ज्यादा हो गया।
मुख्यमंत्री योगी मंगलवार को लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में उन्होंने विश्वकर्मा श्रम सम्मान व ओडीओपी तथा माटीकला के अंतर्गत हस्तशिल्पियों को टूलकिट प्रदान करने के साथ ही 50,000 करोड़ रुपये के ऋण का वितरण किया।
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उन्होंने कहा कि हमने 2019 में विश्वकर्मा योजना शुरू की। महात्मा गांधी ने भी कहा था कि इस वर्ग का उत्थान करो। गांव के विभिन्न शिल्पकार का हुनर वहीं रह जाता था। उनके हुनर को पूरी दुनिया के सामने लाने के लिए विभिन्न योजनाओं का शुभारंभ किया। आज वे युवाओं को रोजगार दे रहे हैं। पहले यूपी का युवा रोजगार के लिए प्रदेश से बाहर जाता था। आज अपने गांव और जनपद में ही रोजगार मिल रहा है।