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जीवन में मुश्किलें रूई की गठरी की मानिंद: प्रो रघुवीर सिंह

• तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज में मोलिक्यूलर डायग्नोस्टिक में पीसीआर टेक्निक के प्रयोग एवम् विधि पर हुई चार दिनी राष्ट्रीय कार्यशाला

मुरादाबाद। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो रघुवीर सिंह स्टुडेंट्स को मोटिवेट करते हुए बोले, जीवन आसान नहीं होता, बल्कि सब्र से, बर्दाशत से और नजरअंदाज करके आसान बनाना होता है। मुश्किलें झेलकर ही आसान बन सकती हैं। मुश्किलें रूई की गठरी की मानिंद होती हैं। जो देखने में तो भारी लगती हैं, लेकिन उठाओ तो हल्की होती है। खुशी के लिए काम करोगे तो खुशी नहीं मिलेगी, परन्तु खुश होकर काम करोगे तो खुश जरूर रहोगे।

जीवन में मुश्किलें रूई की गठरी की मानिंद: प्रो रघुवीर सिंह

प्रो सिंह तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज में मोलिक्यूलर डायग्नोस्टिक में पीसीआर टेक्निक के प्रयोग एवं विधि पर आयोजित चार दिनी राष्ट्रीय कार्यशाला के शुभारम्भ मौके पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

इससे पूर्व वीसी प्रो रघुवीर सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि, रजिस्ट्रार डॉ आदित्य शर्मा, डीन एकेडमिक्स प्रो मंजुला जैन ने मुख्य वक्ता, पैरामेडिकल के वाइस प्रिंसिपल प्रो नवनीत कुमार, एचओडी डॉ रूचि कांत आदि ने संयुक्त रूप से मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके वर्कशॉप का शुभारम्भ किया।

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पैरामेडिकल कॉलेज में वर्कशॉप के लिए बनाई गई प्रयोगात्मक प्रयोगशाला का भी मेहमानों ने फीता काटकर उद्घाटन किया। नेशनल वर्कशॉप में टीएमयू के अलावा देश की दीगर यूनिवर्सिटीज़ एवम् कॉलेजों की फैकल्टीज़, शोधार्थी और छात्र-छात्राएं भी प्रशिक्षण लिया। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का बीएमएलटी के स्टुडेंट आकाश सैनी को प्रथम पुरस्कार दिया गया। अंत में सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

जीवन में मुश्किलें रूई की गठरी की मानिंद: प्रो रघुवीर सिंह

वीसी प्रो सिंह ने कहा, असफलता का अर्थ यह नहीं कि हम प्रयास करना छोड़ दें। उन्होंने कछुए और खरगोश का उदाहरण देकर कहा, सफलता के लिए कभी खरगोश तो कभी कछुआ बनना पड़ता है। शिक्षा का अर्थ स्टुडेंट्स का सर्वांगीण विकास और व्यक्तित्व को परिष्कृत करना है।

जीवन को अच्छे से जीने के लिए स्वंय को पहचानना और दूसरे आपको क्या समझते हैं इसका पता रखना आवश्यक है। रजिस्ट्रार डॉ आदित्य शर्मा ने कहा, टीएमयू एनईपी-2020 के क्रियान्वयन के प्रति प्रारम्भ से ही संजीदा है। स्टुडेंट्स के लिए स्किल डवलपमेंट वक्त की जरूरत है।

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पैरामेडिकल कॉलेज स्किल्स इन्हैसमेंट के लिए हमेशा किसी न किसी रूप सक्रिय रहता है। उन्होंने उम्मीद जताई, वर्कशॉप के जरिए पैरामेडिकल के स्टुडेंट्स अपने स्किल्स को और निखारेंगे। डीन एकेडमिक्स प्रो मंजुला जैन बतौर मुख्य वक्ता बोलीं, आज किताबी ज्ञान तो सबके पास है, लेकिन व्यावहारिक ज्ञान की कमी है।

ऐसे में स्किल डवलपमेंट पर ज्यादा से ज्यादा जोर दिया जाए ताकि छात्रों को किताबी ज्ञान के साथ ही व्यावहारिक ज्ञान भी मिल सके। हकीकत यह है, प्राइवेट नौकरियों के साथ ही सरकारी नौकरियों में भी कौशल विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने आशा व्यक्त की, पैरामेडिकल के स्टुडेंट्स के लिए इस तरह के प्रशिक्षण मील के पत्थर साबित होते हैं। स्टुडेंट्स की निपुणता में निखार के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम्स आवश्यक हैं।

जीवन में मुश्किलें रूई की गठरी की मानिंद: प्रो रघुवीर सिंह

दूसरी ओर इस राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान पायनियर बायो साइंसेज प्रयोगशाला के निदेशक डॉ मनीष शर्मा ने डीएनए का आइसोलेशन और कल्चर से डीएनए को अलग करने की प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से स्टुडेंट्स को बताया। उन्होंने जैली ट्रे में अग्रौस जैल तैयार करना, सैम्पल तैयार करना, जैली के साथ इलेक्ट्रोफोरेसिस की क्रियाविधि के साथ अल्ट्रावायलर इल्यूमिनेशन में डीएनए का निरीक्षण करना भी सिखाया। डॉ शर्मा ने रक्त से डीएनए प्रथक करना सिखाया, जो बैक्टीरियल आइसोलेशन के समान ही होता है।

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अंत में उन्होंने डीएनए सैम्पल को पीसीआर ट्यूब में रखना और उचित तापमान संतुलित करना भी सिखाया। राष्ट्रीय कार्यशाला में बैजनाथ दास, मिस साक्षी बिष्ट, मिस वर्षा राजपूत, मिस विवेचना, विनय पाठक, डॉ अर्चना जैन, रवि कुमार, शिखा पालीवाल के संग-संग एमएलटी और फॉरेंसिक साइंस के करीब 150 स्टुडेंट्स भी मौजूद रहे। संचालन फैकल्टी कंचन गुप्ता ने किया।

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