जुहू/मुंबई। अवधी-मराठी कला अकादमी द्वारा प्रकाशित डॉ रमाकांत क्षितिज द्वारा रचित अवधी – हिन्दी काव्य संग्रह ‘मुझे कुछ कहना है…’ पुस्तक का विमोचन वरिष्ठ समाजसेवी श्री भगवान तिवारी के हाथों सम्पन्न हुआ. पुस्तक का विमोचन समंदर की लहरों के भीतर किया गया. इस काव्य संग्रह में अवधी और हिन्दी की रचनाएं हैं. उल्लेखनीय है कि पुस्तक विवाह की निमंत्रण पत्रिका है।
डॉ रमाकांत क्षितिज ने अपने पुत्र श्रीकांत संग मानसी के विवाह के लिए जो निमंत्रण पत्रिका छपवाई है उसे ही पुस्तकीय स्वरूप दे दिया है. पुस्तक में जहाँ अवधी – हिन्दी में रिश्तों रीति रिवाजों संस्कारो से जुडी रचनाएं हैं वही विवाह संस्कार से जुडी जानकारी के साथ साथ अमेठी के संत महात्माओं और मठ मंदिरों की भी जानकारी दी गई है।
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इस अवसर पर बोलते हुये डॉ रमाकांत क्षितिज ने कहा की सोशल मिडिया के दौर में लोग पुस्तकों से दूर हो रहे हैं. लग्न पत्रिका को पुस्तक रूप में देने से मां सरस्वती की प्रतीक पुस्तक भी घरों तक पहुंच जायेगी और निमंत्रण भी.
समंदर की लहरों के बीच विमोचन पर बोलते हुये डॉ. क्षितिज ने कहा की मानव सृष्टि के आरम्भ के पहले संसार की आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए ही समुद्र मंथन किया गया. आरम्भ में देव दानव ही रहा करते थे. समंदर से सभी चीजे संसार को मिली हैं. जिनका प्रयोग प्राणी करते हैं. इसलिए इस पुस्तक के विमोचन के लिए समंदर को ही चुना गया.पुस्तक की पहली प्रति सब से पहले इस्कॉन मंदिर में कान्हा जी को अर्पित की गई।
इस अवसर डॉ क्षितिज के परिवार जन, पत्रकार, समाजसेवी, साहित्य प्रेमी भी उपस्थिति रहे. विनोद दूबे, गिरिजा शंकर मिश्र, जयप्रकाश सिंह, नागेंद्र तिवारी, सभाजित पाण्डेय, राजेंद्र तिवारी, विनय पाण्डेय, अमित मिश्र, इंद्रेश उपाध्याय, अलोक पाण्डेय, ग्रिजेस शर्मा आर बी सिंह आदि के साथ सैकड़ो साहित्यप्रेमी और हित मित्र उपस्थिति रहे.लग्न पत्रिका पुस्तक के रूप में, विमोचन समंदर में,लोगो में उत्सुकता और चर्चा का विषय बनी हुई है।
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