एक तरफ कुछ नेता किसानों को यथा स्थिति में बनाये रखने के लिए आंदोलन कर रहे है। दूसरी तरफ केंद्र व उत्तर प्रदेश की सरकार कृषि को लाभप्रद बनाने की दिशा में कार्य कर रही है। पहले से चल रही कॉन्ट्रेक्ट कृषि को कृषि कानूनों के माध्यम से व्यवस्थित रूप दिया गया। इसके साथ ही किसनों को अधिकार के रूप में विकल्प उपलब्ध कराए गए है। इन्हीं अधिकारों का कुछ नेता निहित स्वार्थ में विरोध कर रहे है। उनके आंदोलन का यही उद्देश्य है।
प्रधानमंत्री किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में प्रयास कर रहे है। उत्तर प्रदेश इस योजना में उल्लेखनीय योगदान दे रहा है। यहां के अनेक कृषि उत्पादों को एक जिला एक उत्पाद से जोड़ा जा रहा है। इसके अनुरूप कृषि उत्पादों की ब्रांडिंग हो रही है। इनकी बिक्री के लिए बड़ा बाजार उपलब्ध हो रहा है। अभी मुख्यमंत्री ने काला नमक चावल महोत्सव का उद्घाटन किया था। इसे भी एक जिला एक उत्पाद से जोड़ा गया है। कुछ दिन पहले लखनऊ में गुड़ महोत्सव आयोजित किया गया था। इसके माध्यम से गन्ना किसानों को लाभान्वित करने का प्रयास किया गया।
विन्ध्य ब्लैक राइस
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अष्टभुजा निरीक्षण गृह मिर्जापुर में कृषकों एवं कृषक उत्पादक संगठनों द्वारा कृषि विभाग के सहयोग से उत्पादित ब्लैक राइस का ’विन्ध्य ब्लैक राइस’ के नाम से शुभारम्भ किया। जिलाधिकारी ने मुख्यमंत्री को ब्लैक राइस के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि कई किस्म के चावल में से एक किस्म का यह काला चावल है। इसमें कई औषधीय गुण और पौष्टिक तत्व मौजूद हैं। ब्लैक राइस सामान्य तौर पर दो सौ से पांच रुपए प्रति किलो तक बिक जाता है। जनपद मीरजापुर के आठ विकास खण्ड नरायनपुर,जमालपुर, छानबे,राजगढ़,पहाड़ी, लालगंज,सिटी एवं हलिया में इसकी खेती की जा रही है।
स्वास्थ्य वर्धक राइस
जिलाधिकारी ने बताया कि ब्लैक राइस खाने से कैंसर से बचाव होता है, क्योंकि इसमें एण्टीऑक्सीडेण्ट गुण पाया जाता है। यह चावल डायबिटीज के लिए भी लाभकारी है। यह काला चावल ब्लड में ग्लूकोज के स्तर को कम करने का कार्य भी करता है। यह अस्थमा, ब्लड प्रेशर के लिए भी लाभकारी है। इस चावल में जिंक,फास्फोरस, आयरन,प्रोटीन, फायबर, कार्बोहाड्रेट प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। काले चावल का सेवन सफेद चावल की तरह सामान्य तरीके से किया जा सकता है। इसका सेवन किसी सब्जी या करी के साथ किया जा सकता है। इसके अलावा, सलाद या सूप के रूप में भी इसके सेवन किया जा सकता है।
ड्रैगन फूड कृषि से लाभ
मुख्य विकास अधिकारी अविनाश सिंह ने मुख्यमंत्री को ड्रैगन फूड भेंट करते हुए उसकी विशेषताओं के बारे मे जानकारी दी। इसके सेवन करने से बुढ़ापा देर में आएगा। ह्दय रोग की समस्या दूर होगी। प्लेटलेट बढ़ाएगा। यह पूरी तरह से आयुर्वेद दवा है। यह शरीर के लिए काफी फायदेमंद है। न्यूनतम एक एकड़ में इसकी खेती की जाती है।
एक पिलर में बारह किलो फल पैदा होता है। एक एकड़ में तीन सौ अस्सी पोल गाड़े जाते हैं। जिसमें लगभग साढ़े चार टन फूड की पैदावार होती हैं। एक साल में इस पर कुल चार लाख रुपये खर्च आते हैं। दूसरे साल लगभग एक लाख रुपये खर्च आएगा। इसके बाद यह अपने आप पैदा होने लगेगा। केवल मजदूरी खर्च पचास हजार रुपये साल आएगा। जबकि इसे बेचने पर पांच से छह लाख रुपये मिलेंगे। इस तरह लगभग पांच लाख रुपये आमदनी होगी।