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फंड जुटाने केन्द्र सरकार बेच सकती है LIC की 25 प्रतिशत तक हिस्सेदारी

भारतीय जीवन बीमा निगम के आईपीओ लाने के प्रोसेस को सरकार ने तेज कर दिया है. लेकिन शेयर बाजार में इसकी लिस्टिंग कुछ अलग हो सकती है. सीएनबीसी आवाज की रिपोर्ट के अनुसार देश की सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी का आईपीओ भारत का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ साबित हो सकता है.

भारतीय जीवन बीमा निगम की 25 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना के तहत सरकार रिटेल इन्वेस्टर्स को बोनस और डिस्काउंट देने पर विचार कर रही है. डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज ने एलआईसी में हिस्सेदारी बेचने का ड्राफ्ट तैयार किया है और इसे सेबी, इरडा और नीति आयोग समेत संबंधित मंत्रालयों के पास भेजा गया है. पूरे मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया कि सरकार कंपनी में अपनी हिस्सेदारी को 100 प्रतिशत से घटाकर 75 प्रतिशत तक सीमित करना चाहती है.

सूत्रों ने बताया कि सरकार एलआईसी में अलग अलग किस्तों में कुल 25 प्रतिशत तक हिस्सेदारी बेच सकती है. लिस्टिंग के बाद 3 साल के भीतर मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग 25 प्रतिशत करना जरूरी है. शुरुआत में ही एलआईसी बोनस शेयर भी जारी कर सकती है.

वहीं रिटेल इन्वेस्टर्स और कर्मचारियों के लिए 10 प्रतिशत तक डिस्काउंट मिल सकता है.  एलआईसी एक्ट 1956 में कैपिटल और मैनेजमेंट से जुड़े 6 बड़े बदलाव का प्रस्ताव है. कैबिनेट ड्राफ्ट नोट जारी, जल्द मंजूरी मिलेगी. संसद के अगले सत्र में मनी बिल के तौर पर एक्ट में बदलाव पेश हो सकता है.

जानकारी के अनुसार रिटेल इन्वेस्टर्स और कर्मचारियों के लिए 5 प्रतिशत शेयर रिजर्व किए जा सकते हैं. हालांकि शेयर्स को रिजर्व रखने का फैसला कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही लिया जाएगा.

इसके अलावा शुरुआती दिनों में बोनस शेयर की सुविधा भी दी जा सकती है. एलआईसी की हिस्सेदारी बेचने के लिए सरकार की ओर से एलआईसी ऐक्ट, 1956 में बदलाव भी किया जाएगा. एलआईसी की स्थापना इसी ऐक्ट के तहत की गई थी.

एलआईसी कंपनीज ऐक्ट के तहत नहीं चलती है बल्कि यह एक स्वायत्त संस्था है और इसका संचालन एलआईसी ऐक्ट, 1956 के तहत किया जाता है. कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद एलआईसी ऐक्ट में संशोधन के प्रस्ताव को सरकार संसद में पेश करेगी.

मोदी सरकार को कोरोना काल में एलआईसी के आईपीओ से बड़ी रकम जुटने की उम्मीद है. सरकार का मानना है कि इस दौर में कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च बढऩे और टैक्स में कमी होने के अंतर की भरपाई एलआईसी की हिस्सेदारी को बेचने से पूरी हो जाएगी. शायद यही वजह है कि सरकार ने एलआईसी की 25 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया है, जबकि पहले 10 प्रतिशत स्टेक ही बेचने की योजना थी.

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