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गांधी फैमिली ने फिर डुबोई कांग्रेस की चुनावी नैया

कांग्रेस जिस राहुल गांधी को अपना ‘तारणहार’ समझती है, विपक्ष उस राहुल बाबा की योग्यता पर अक्सर उंगली उठाता रहता है। उन्हें(राहुल गांधी) नाकारा और अपरिपक्ता मानता है। बात विपक्ष तक ही सीमित होती तो इसे सियासत का एक पन्ना मान कर छोड़ दिया जाता,लेकिन जब देश की जनता भी यही सोच रखती हो तो मामला गंभीर हो जाता है। सबसे दुख की बात यह है कि अब तो सात समुंदर पार के नेता भी राहुल को नर्वस और कम योग्यता वाला नेता बताने लगे हैं।कोई ऐसा-वैसा नेता भी नहीं जब अमेरिका का कोई पूर्व राष्ट्रपति राहुल के बारे में उक्त बाते कहे तो कांगे्रस के लिए यह चिंता का सबब होना चाहिए।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का कहना है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी में एक ऐसे ‘घबराए हुए और अनगढ़’ छात्र के गुण हैं जो अपने शिक्षक को प्रभावित करने की चाहत रखता है लेकिन उसमें ‘विषय में महारथ हासिल’ करने की योग्यता और जुनून की कमी है। राहुल के लिए ओबामा ने यह बात अपनी पुस्तिका के संस्मरण ‘ए प्रॉमिस्ड लैंड’ की समीक्षा करते हुए लिखी है। इसमें पूर्व राष्ट्रपति ने दुनियाभर के राजनीतिक नेताओं के अलावा अन्य विषयों पर भी बात की है।

न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित समीक्षा के अनुसार, अपने संस्मरण में ओबामा ने राहुल की मां और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का भी जिक्र किया है। समीक्षा में कहा गया है कि हमें चार्ली क्रिस्ट और रहम एमैनुएल जैसे पुरुषों के हैंडसम होने के बारे में बताया जाता है लेकिन महिलाओं के सौंदर्य के बारे में नहीं। सिर्फ एक या दो उदाहरण ही अपवाद हैं जैसे सोनिया गांधी। समीक्षा में कहा गया है कि अमेरिका के पूर्व रक्षा मंत्री बॉब गेट्स और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह दोनों में बिलकुल भावशून्य सच्चाई/ईमानदारी है। खैर,ओबामा के संस्मरण से यह बात उस समय निकल कर आई है,जब बिहार चुनाव में कांग्रेस के काफी खराब प्रदर्शन के चलते राहुल गांधी सबके निशाने पर हैं,राष्ट्रीय जनता दल के युवा नेता तेजस्वी यादव तक को लगने लगा है कि यदि उन्होंने महागठबंधन का हिस्सा रही कांगे्रस को 70 सीटें नहीं दी होती तो बिहार मेें महागठबंधन की सरकार बन जाती।

कांग्रेस को 70 में से मात्र 19 सीटों पर ही जीत हासिल हुई थी। बिहार मेें मिली करारी हार के बाद अब कांग्रेस के भीतर से भी राहुल गांधी के खिलाफ आवाज उठने लगी है। बिहार चुनाव में कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने 8 रैलियां कीं, जिनमें 52 विधानसभा सीटें शामिल थी। यही नहीं बिहार में कांग्रेस ने सीट बंटवारे में 70 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव लड़ा लेकिन स्ट्राइक रेट 2015 के मुकाबले भी खराब। कांग्रेस ने जिन 70 सीटों पर चुनाव लड़ा उसमें सिर्फ 19 सीटें ही जीत पाई। यही नहीं सीमांचल में ओवैसी ने भी राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के वोट बैंक माने जाने वाले अल्पसंख्यकों का रुख ही बदल दिया। वहीं विपक्ष के नेता कहते नजर आ रहे हैं कि जहां-जहां राहुल गांधी के पांव पड़े वहां महागठबंधन का अमंगल ही हो गया।

बिहार चुनाव में मिली शर्मनाक पराजय के बाद कांगे्रस हार की समीक्षा की बात कह रही है, लेकिन यह भी सच है कि कांग्रेस जैसी भी समीक्षा कर ले,गांधी परिवार को इस हार के लिए जिम्मेदार ठहराने की हिमाकत कोई कांग्रेसी नहीं करेगा।कुछ समय बाद सब पहले की तरह चलने लगेगा और राहुल गांधी फिर से कांग्रेस को हांकने लगेगें। वैसे, समीक्षा बिहार ही नहीं उत्तर प्रदेश की सात विधान सभा सीटों के लिए हुए उप-चुनावों में मिली कांग्रेस की हार की भी होनी चाहिए। जहां कांगे्रस की जमानत तक जब्त हो गई।

बिहार में कांग्रेस की नैया राहुल गांधी ने डुबोई तो यूपी में यह काम उनकी बहन प्रियंका वाड्रा ने किया। चुनाव में हार-जीत तो लगी रहती है,लेकिन सबसे दुखद यह रहा कि प्रियंका वाड्रा ने अपने प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार करना तक उचित नहीं समझा और वह ट्विटर पर जीत के बड़े-बड़े दावे करती रहीं। लब्बोलुआब यह है कि भाई-बहन (राहुल-प्रियंका) की जोड़ी ने बिहार विधान सभा से लेकर उत्तर प्रदेश तक के उप-चुनाव में कांग्रेस की लुटिया पूरी तरह से डुबो दी। संभवता बराका ओबामा अपने संस्मरण में राहुल गांधी के साथ प्रियंका वाड्रा के बारे में भी टिप्पणी करते तो उनका प्रियंका के लिए भी वैसी ही टिप्पणी सामने आती, जैसी उन्होंने राहुल गांधी को लेकर दी थी।

संजय सक्सेना, स्वतंत्र पत्रकार
रिपोर्ट-संजय सक्सेना

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