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हाईकोर्ट ने यूपी के छोटे शहरों की मेडिकल व्यवस्था को नाकाफी बताया

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को दावा किया था कि राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था काफी बेहतर है। राज्य के किसी भी जिले में परेशानी का सामना नहीं किया जा रहा है। मुख्यमंत्री के दावे से अलग इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सूबे की स्वास्थ्य व्यवस्था राम भरोसे चल रही है। इसमें तत्काल सुधार की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया था कि राज्य में कोविड-19 से रिकवरी दर 90 प्रतिशत है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कई सुझाव दिए हैं। अदालत की तरफ से कहा गया है कि बड़े औद्योगिक घराने दान करने वाला फंड वैक्सीन खरीदने में लगाए। बीएचयू के अलावा गोरखपुर, प्रयागराज, आगरा, मेरठ के मेडिकल कॉलेज को चार महीने में एसजीपीजीआई स्तर का सुविधायुक्त बनाया जाए। साथ ही अदालत ने सरकार से 22 मई की अगली तारीख पर मेडिकल कॉलेज के अपग्रेडेशन प्लान को भी पेश करने के लिए कहा है।

अदालत ने सरकार से कहा है कि हर छोटे शहर में 20 एंबुलेंस हर गांव में आईसीयू सुविधा वाली 2 एंबुलेंस जरूर रखी जाए। साथ ही नर्सिंग होम की सुविधाओं को भी बढ़ाया जाए। 30 बेड वाले नर्सिंग होम को अपना ऑक्सीजन प्रोडक्शन प्लांट रखना होगा। अदालत ने मेरठ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कोविड मरीज संतोष कुमार के लापता होने में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की लापरवाही को गंभीर मानते हुए अपर मुख्य सचिव चिकित्सा व स्वास्थ्य को जिम्मेदारी तय करने का निर्देश दिया है।

 दया शंकर चौधरी

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