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आयुष्मान भारत योजना को पलीता लगा रहे जिले के अस्पताल

दिबियापुर/औरैया। प्रधान मंत्री जन स्वास्थ्य योजना के जरिए गरीब बेसहारा लोगों का पांच लाख रुपए तक का निशुल्क इलाज करने की योजना केंद्र सरकार की ओर से चलायी जा रही है। मगर जिले में अधिकृत अस्पताल योजना के तहत चिन्हित मरीजों को कोई सुविधा नही मिल रही। दिबियापुर अरोग्यमित्र ने बताया कि 50 सैय्या अस्प्ताल में कोई अभी तक बार्ड नही बनाया गया। जिससे मरीजों को कठिन समस्यायों का सामना करना पड़ रहा है। जो मरीज भी सामान्य वार्ड में भर्ती करते तो उनके लिए पंखा, लाइट व अन्य समस्यायों से जूझना पड़ता है। समय से उनको उपचार नही मिल पाता है, और तो और सबसे बड़ी बात यह है कि अभी तक पूंछताछ केंद्र में इन्वर्टर की सुविधा तक नही है।

अरोग्यमित्र को पेपर तक नही दिया जाता है आरोग्य मित्र आदित्य शर्मा ने बताया की जब से जॉइनिंग की ही आज तक एक पेपर का पैकेट दिया गया ही, आरोग्य मित्र स्वयं अपने पैसे से पेपर तक लाता है,लाइट जाने पर कार्य वाधित हो जाता है और लाइट का इंतजार करना पड़ता है। इस सम्वन्ध में औरैया सीएमओ अर्चना श्रीवास्तव व दिबियापुर चिकित्सा अधीक्षक को कई बार शिकायती पत्र दिया जा चुका है इस सम्वन्ध में कोई कार्यवाही नही की गई है। अगर जनपद के चिन्हित आयुष्मान योजना से जुड़े अस्प्ताल में अरोग्यमित्रों का अस्प्ताल का स्टाफ मदद करे तो आयुष्मान लाभार्थी को उचित इलाज मिल सकेगा। इस तरह दिबियापुर अधीक्षक आयुष्मान योजना में कोई दिलचस्वी नही ले रहे है, प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत को अधीक्षक पलीता देने में लगे हुए है।

आयुष्मान योजना का नाम लेने पर मरीजों को अस्पताल से अभद्रता करके भगा दिय जाता है। योजना के लाभार्थियों में अस्पताल संचालकों की मनमानी से नाराजगी है। भाग्यनगर व्लाक के दिबियापुर निवासी आयुष्मान भारत योजना के गोल्डन कार्ड धारक कीर्त्ति पत्नी आदित्य ने बताया कि पेट दर्द की बीमारी से परेशान है।

कई मर्तबा प्राईबेट दवा भी ली लेकिन आराम नही मिला। आर्थिक स्थिति सही न होने के चलते चेकअप कराके भर्ती होकर इलाज कराने को उनके पास पैसे नही है। प्रधान मंत्री योजना की सूची में पत्र मिलने पर खुशी मिली की अब हम भी अच्छा इलाज करा सकेगें। बहुत मुश्किल में आयुष्मान मित्र के जरिए कार्ड बनबा लिया और जब इलाज कराने को पीड़ित अपनी पत्नी कीर्ति को साथ लेकर दिबियापुर स्थित 50 सैया युक्त दिबियापुर अस्पताल में रात्रि में गए तो वहां स्टाफ के लोग सोने में मस्त थे।

जब उनको जगाकर दवा देने को कहा तो सामान्य वार्ड में भर्ती कर लिया। जिसमे लाइट, पंखा की कोई सुविधा नही थी। फिर जैसे तैसे मोबाइल की लाइट जलाकर विगो लगाई गई वो तीन वार सुई खोंसने के बाद लगाई गई। ऐसी भयंकर गर्मी में समस्यायों से तीन घंटे जूझना पड़ा।

रिपोर्ट-अनुपमा सेंगर

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