लौंग एक लता पुष्प है, जो सुगन्ध, मसाले, खान-पान, शोधन, आयुर्वेद, माॅगलिक, तांत्रिक व अन्य सभी कार्यो में प्रयुक्त होने वाला सुगंधित मसाला है। यह कटु तीक्ष्ण स्वाद की उत्तेजक, दुर्गंधनाशक, सर्व प्रयोग में प्रयुक्त होती है। ये छोटे-मोटे तांत्रिक प्रयोगों हेतु संजीवनी कहलाती है।
अगर आप कई तरह की पेट की समस्याओं से जूझ रहे हैं तो लौंग जैसी जड़ीबूटी आपकी काफी मदद कर सकती है। इसमें मौजूद फ़ाइबर पाचन और कॉन्स्टिपेशन में आराम दिलाता है। ख़ाली पेट एक ग्लास पानी में लौंग के तेल की कुछ बूंदें डालकर या लौंग का पानी पीने से राहत मिलती है। इसके अलावा इसमें मौजूद विटामिन सी इम्यून सिस्टम, विटामिन के ब्लड क्लॉटिंग और मैग्नीशियम ब्रेन फ़ंक्शनिंग के लिए फ़ायदेमंद है।
इसमें मौजूद विटामिन सी और ऐंटी-ऑक्सिडेंट गुण की वजह से हमें सर्दी-ज़ुकाम में फ़ायदा मिलता हैं। गले के इन्फ़ेक्शन में लौंग का पानी या मसालेवाली चाय में लौंग के कुछ दाने डालकर सेवन करने से राहत मिलती है। मुंह में साबुत लौंग रखकर भी गले की खराश से राहत पाई जा सकती है।
प्रत्येक कर्म सम्मोहन, उच्चाटन, वशीकरण, मारण, विद्वेषण, मोहन, सुरक्षा व अन्य सिद्धि लौंग के बिना अधूरी हैं। यह सर्वार्थसिद्धि हेतु काम में आती है। शत्रुओं को पररास्त करने के लिए-प्रातःकाल सात बार हनुमान जी को लडडू का भोग लगायें और पाॅच लौंग पूजा स्थान में देशी कपूर के साथ जलायें, फिर भस्म से तिलक करके घर से बाहर जायें। ऐसा करने पर आप शत्रुओं को परास्त करने में सक्षम होंगे।