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जींस या पैंट की पीछे वाली पॉकेट में वॉलेट रखते है तो जरुर जान ले इससे होनी वाली बीमारियाँ

आपने अक्सर देखा होगा कि लोग अपनी जींस या पैंट की पीछे वाली पॉकेट में वॉलेट रखते हैं। ऐसा करते हुए उन्हें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं होता है कि उनकी ये आदत कई बीमारी का कारण भी बन सकती है। जींस की पीछे वाली पॉकेट में भारी वॉलेट रखने से पियरी फोर्मिस सिंड्रोम या वॉलेट न्यूरोपैथी नाम की बीमारी होने का खतरा होता है। इसमें कमर से लेकर पैरों की उंगलियों तक सुई चुभने जैसा दर्द होता है। इस बीमारी का शिकार सबसे ज्यादा युवा हो रहे हैं। अगर यह बीमारी बढ़ जाए तो इसकी सर्जरी करवानी पड़ती है। वहीं सीनियर डॉक्टर का कहना है कि जब हम पैंट में पीछे लगी जेब में मोटा वॉलेट रखते हैं तो वहां की पायरी फोर्मिस मांसपेशियां दब जाती है। आज हम आपको ऐसी कई बीमारियों के बारे में बताने जा रहे हैं। जो जींस की पिछली पॉकेट में रखने से होती हैं।

मांसपेशियों पर पड़ता है दवाब

मांसपेशियों का संबंध सायटिक नर्व से होता है, जो पैरों तक पहुंचता है। जींस की पिछली जेब में वॉलेट रखने से मांसपेशियों पर ज्यादा दवाब पड़ता है। ऐसा अगर बार बार हो तो पियरी फोर्मिस सिंड्रोम होने के चान्सेस होते हैं। जब सायटिक नस काम करना बंद कर देती है तो पैरों में बहुत तेज दर्द होता है।

कूल्हे और कमर में होता है दर्द

वॉलेट को पिछली पॉकेट में रखकर काम करने से कमर पर भी दबाव पड़ता है। क्योंकि कमर से ही कूल्हे की सियाटिक नस गुजरती है। तो इसके दवाब की वजह से आपके कूल्हे और कमर में दर्द हो सकता है। इसके अलावा ब्लड सरकुलेशन पर भी इसका असर पड़ता है।

स्पाइनल ज्वाइंट्स और मसल्स में दर्द

जींस की पीछे की जेब में वॉलेट रखने से शरीर के नीचे के हिस्से का संतुलन भी बिगड़ जाता है। जिससे कई तरह की शारिरिक परेशानियां हो सकती हैं। इसके साथ ही रीढ़ की हड्डी में भी कई परेशानियां होने लगती है। इस वजह से स्पाइनल जॉइंट्स, मसल्स और डिस्क आदि में दर्द होता है। ये ठीक से काम नहीं करते हैं। इतना ही नहीं ये धीरे-धीरे इन्हें डैमेज भी करने लगते हैं।

सुझाव

-ज्यादा देर बैठना हो तो पॉकेट से वॉलेट निकालकर रख दें।

-पेट के बल लेटकर पैरों को उठाने वाली एक्सरसाइज करें।

-कुर्सी पर बैठने से पहले ध्यान रखे कि वॉलेट पॉकेट में न हो।

– छोटे वॉलेट का इस्तेमाल करें।

– पीछे की पॉकेट की बजाए आगे की पॉकेट में वॉलेट रखें।

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