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Jagannath Rath Yatra: बुखार के चलते ओसरघर में रुकते हैं भगवान, यहाँ जानिए रथ यात्रा की पूरी कहानी

प्रभु जगन्नाथ की यात्रा परंपराओं के लिहाज से देश की सबसे बड़ी रथ यात्रा है. भगवान जगन्नाथ के साथ भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ यह इकलौती यात्रा मानी जाती है. जगन्नाथ यात्रा प्रभु के मंदिर से शुरू होती है और करीब दो किमी का सफर तय करके गुंडिचा मंदिर पहुंचती है. इस दौरान यात्रा के पहले, यात्रा के दौरान और यात्रा की दोबारा वापसी के बीच कई रोचक रस्में होती हैं.

स्वस्थ करने के लिए प्रतिदिन प्रभु को काढ़ा तथा रात्रि को गरम हल्दी का दूध से भोग लगाया जा रहा है। 14 दिन अपने कच्छ पर रहने के बाद 9 जुलाई को भगवान जगरनाथ का नेत्र उत्सव मनाया जाएगा। इस दौरान संस्कृति कार्यक्रम तथा श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद वितरण किया जाता है। लेकिन इस बार कोरोना के कारण सिर्फ सादगी के साथ पूजा अर्चना की जाएगी।

मंदिर के संयुक्त सचिव महेश्वर रावत ने बताया कि नेत्र उत्सव के साथ रथ यात्रा की तैयारी अंतिम चरण में है। 12 जुलाई को रथ यात्रा का कार्यक्रम किया जाएगा। जो पिछले वर्ष की तरह इस बार भी मंदिर परिसर में सादगी के साथ व सिर्फ नियमानुसार घुमाया जाएगा। जिसमें मंदिर के पुजारी व मंदिर समिति के लोग ही शामिल होंगे।

गुंडिचा राजा इंद्रद्युम्न की पत्नी थीं, जिन्होंने गुफा में राजा इंद्रद्युम्न ब्रह्मालोक से लौटने तक बैठकर तपस्या की, जिसके चलते वह देवी बन गईं. उनके तप से ही इंद्रद्युम्न नारदमुनि संग ब्रह्मलोक की यात्रा करके समय पर लौटे थे.

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