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जानिए डेंगू मेंप्लेटलेट्स की किरदार के बारे में

 डेंगू में लगातार दो से तीन बार सिंगल डोनर प्लेटलेट्स चढ़ाने के बाद इनके काउंट नहीं बढ़ पा रहे हैं. यानी इस बीमारी में ये प्लेटलेट्स यूज हो रही हैं, लेकिन इनकी संख्या नहीं बढ़ पा रही है. ऐसी स्थिति में, लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए. बल्कि करेक्टिव काउंट देखने के लिए प्लेटलेट्स चढ़वाने के एक घंटे बाद दुबारा चैकअप करवाएं. प्लेटलेट्स काउंट बढ़ा है या नहीं. इसके लिए दूसरे दिन का इंतजार नहीं करें. कारणवश प्लेटलेट्स नहीं बढ पाने के कारण पेशेंट की जिंदगी को खतरा होने कि सम्भावना है. इसिलए काउंट चैकअप के लिए दूसरे दिन का इंतजार नहीं करना चाहिए.ब्लड ट्रांसफ्यूजन एक्सपर्ट डाक्टर गजेंद्र गुप्ता से जानिए डेंगू मेंप्लेटलेट्स की किरदार के बारे में

      • पांच हजार से ज्यादा बढ़ना लाभकारी है. इससे कम होना नुकसानदायक है. यह किसी भी एक्टिव बीमारी में होने कि सम्भावना है, जिसमें प्लेटलेट्स बीमारी की वजह से लगातार प्रयोग हो रही हैं. प्लेटलेट का एक घंटे बाद पांच हजार से ज्यादा नहीं बढ़ पाने को रिस्कफैक्टरिनेस कहते हैं. इसका मतलब यह है कि जो प्लेटलेट्स चढ़ा रहे हैं उनका वो लाभ नहीं मिल पा रहा है, जो हम चाहते हैं. यह कई बार पेशेंट की प्लेटलेट्स के विरूद्ध एंटीबॉडीज बनने के कारण होता है. जब करेक्टिव इंडेक्स एक घंटे बाद पांच हजार नहीं हो पा रहा है.
      • प्लेटलेट्स चढ़ाने का पेशेंट्स को कोई लाभ नहीं मिल पाता है. पांच हजार से कम होने पर सिंगल डोनर प्लेटलेट्स चढ़ाने का प्रभाव नहीं होगा. इस स्थित में एबीओ कॉम्पिटेबल प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता होती है. यानी कि अगर सिंगल डोनर से रिजल्ट नहीं आ पा रहे हैं तो एबीओ कॉम्पिटेबल सिंगल डोनर प्लेलेट्स चढ़ानी चाहिए. इसमें पेशेंट के ब्लड से एंटी-बॉडीज की स्क्रीनिंग की जाती है. एंटीबॉडीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर एबीओ क्रॉस मैच करके प्लेटलेट्स चढ़ाई जाती हैं. यह डोनर  पेशेंट का क्रॉस मैच किया जाता है.
    1. जब एबीओ स्पेसिफिक प्लेटलेट्स चढ़ाने से भी रिलीफ नहीं मिल पा रहा है. फिर डोनर के साथ एचएलए मैच करके प्लेटलेट्स चढ़ाते हैं. इससे रिफ्लेक्टरिनैस नहीं बढ़ता है. यह पेशेंट के लिए लाभकारी है, क्योंकि कई बार एंटीबॉडीज भी पेशेंट की प्लेटलेट्स को समाप्त कर देती हैं. एचएलए क्रॉस मैचिग प्लेटलेट्स के लिए फैमिली से ही डोनर होना महत्वपूर्ण है. जेनेटिक डोनर में ही यह क्रॉस मैचिंग होने की ज्यादा आसार है. इस मैचिंग के साथ प्लेटलेट्स देने पर ये सरवाइव हो पाएंगी. इनका नंबर भी बढ़ेगा. कभी-कभी सीरम सैम्पल लेकर भी एंटीबॉडीज को चैक किया जाता है.

    2. एबीओ स्क्रीनिंग  क्रॉस मैच में एक से डेढ़ घंटे का समय लगता है. एचएलए क्रॉस मैच में पांच से छह घंटे का समय लगता है. ये दोनों सुविधाएं नहीं होने के कारण उसी के ब्लड ग्रुप का एसडीपी चढ़ा सकते हैं. लेकिन इसका असर मरीज की बीमारी पर कितना होगा. इसके अनुमान नहीं लगाया जा सकता है.

    3. डेंगू के उपचार में आजकल यह स्पष्ट गाइडलाइन है कि पांच हजार तक प्लेटलेट्स होने पर इन्हें चढ़ाने की आवश्यकता नहीं है. जब तक शरीर में ब्लीडिंग का लक्षण नजर नहीं आएं. आजकल इलेक्ट्रोलाइट इम्बैलेंस  फ्ल्यूड इम्बैलेंस से डेंगू के उपचार में बेहतरीन रिजल्ट आ रहे हैं. इसिलए डेंगू में प्लेटलेट्स चढ़ाने में जल्दबाजी नहीं करें. इनका प्रयोग कम होने के कारण रिफेक्सनेटरी पकड़ में आ पा रहा है. इसमें प्लेटलेट्स का मिल पाना कठिन है.

 

 

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