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TMU में आयोजित लीडरशिप टॉक सीरीज सेशन: साइंटूनमैन ने साझा की अद्वितीय कहानियां, बताया सफलता का सूत्र

लखनऊ। उम्र करीब 70 साल… दुनिया भर के अनमोल अनुभवों से लबरेज झोली… पिन डॉप साइलेंट संबोधन…देश के छोटे-छोटे गांवों से लेकर बड़े-बड़े देशों तक…पृथ्वी से लेकर आकाश तक…जल, जंगल…जमीन…हार्ड वर्क (Hard work) , कॉन्फिडेंश (Confidence) और डिटरमिनेशन (Determination) …उन्मुक्त भाषा प्रवाह (Unbridled Flow of Language) …लर्निंग वाय नेचर (Learning By Nature)…विज्ञान की जटिलताएं और कार्टून्स (Complexities of Science and Cartoons) … विशिष्ट जीन्स… पृष्ठभूमि…साक्षरता…जीवन-मरण…लक्ष्य प्राप्ति…इच्छा शक्ति सरीखे शब्दों के समागम का साक्षी रहा तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद (Tirthanker Mahavir University, Moradabad) का प्रेक्षागृह।

मौका था तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी (TMU) के तत्वाधान में सोमवार को व्हाट मेक्स यू ए विनर? पर आयोजित लीडरशिप टॉक सीरीज के सेशन- 12 का। इस ख़ास सेशन में बतुर मुख्य अतिथि शम्मिल थे, द आउटस्टैंडिंग यंग पर्सन ऑफ द वर्ल्ड के खिताब से सम्मानित, साइंटूनिक्स के जनक एवम् प्रो प्रदीप कुमार श्रीवास्तव (Scientoon Man Prof Pradeep Srivastava)। करीब 90 मिनट के अपने सारगर्भित संबोधन में प्रो प्रदीप श्रीवास्तव ने पूरी दुनिया में आम से ख़ास आदमी बनने तक की सक्सेस स्टोरीज़ साझा की। प्रो श्रीवास्तव मानते हैं, सामान्यतः सभी में 99.99 प्रतिशत जीन्स लगभग समान होते हैं, लेकिन सफलता के शिखर को वहीं छूते हैं, जिनमें .01 प्रतिशत विशिष्ट जीन्स, कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और आत्म-विश्वास से कार्य करते हैं।

ऑडिटोरियम में मौजूद सैकड़ों स्टुडेंट्स और फैकल्टीज़ पिन डॉप साइलेंट मोड में अंत तक प्रो श्रीवास्तव को सुनते रहे। प्रो श्रीवास्तव के सारगर्भित संबोधन की मुख्य विशेषता यह रही कि उन्होंने अपने संवाद के दौरान अपने कार्टून की भी मदद ली। कभी वह स्टुडेंट्स को अपने संवाद तो कभी अपने कार्टून की मदद से समझाते नज़र आए।

प्रो प्रदीप के देश और दुनिया के दो दर्जन से अधिक उदाहरणों के मूल में हार्ड वर्क, कॉन्फिडेंश और डिटरमिनेशन रहे। प्रो श्रीवास्तव ने जहां चाह, वहां राह की उक्ति को दोहराते हुए छात्रों और शिक्षकों को अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए समर्पित रहने का संदेश दिया। उन्होंने कहा, सीखना एक सतत और निरंतर प्रक्रिया है, जो व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कुछ साधारण व्यक्तियों की असाधारण उपलब्धियां भी साझा कीं, जिन्होंने अपनी लगन के बूते दुनिया में असंभव को संभव कर दिखाया। उन्होंने पद्मश्री सालुमरदा थिमक्का, फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया पद्मश्री जादव मोलाई पायेंग, रणाराम बिश्नोई डॉ कृति करंथ आदि की असाधारण कहानियां को स्टुडेंट्स को विस्तार से बताया।

इस अविस्मरणीय संवाद सीरीज का शुभारम्भ मां सरस्वती की वंदना और दीप प्रज्जवलन के संग तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के ऑडिटोरियम में हुआ। इस मौके पर ख़ास मेहमान प्रो प्रदीप कुमार श्रीवास्तव के संग-संग डीन एकेडमिक्स प्रो मंजुला जैन, एसोसिएट डीन आरएंडडी प्रो पीयूष मित्तल, पैरामेडिकल के प्रिंसिपल प्रो नवनीत कुमार, लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो सुशील कुमार सिंह, एग्रीकल्चर के डीन प्रो प्रवीन जैन, फार्मेसी के प्रिंसिपल प्रो अनुराग वर्मा, डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ वरुण कुमार सिंह की उल्लेखनीय मौजूदगी रही।

अंत में प्रश्न-उत्तर सत्र में प्रो श्रीवास्तव ने प्रतिभागियों के सवालों के जवाब दिए और अपने बहुमूल्य अनुभव साझा किए। फार्मेसी के प्रिंसिपल प्रो. अनुराग वर्मा ने वोट ऑफ थैंक्स दिया, जबकि संचालन असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ नेहा आनन्द ने किया।

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