रामचरित मानस के अरण्य-काण्ड के अनुसार वनवास के समय जब मां सीता के आग्रह पर प्रभु राम मायावी स्वर्ण म्रग का आखेट करने उसके पीछे चले जाते हैं। उसके कुछ समय बाद ही सहायता के लिए राम की पुकार सुनाई देती है। जिसपर सीता माता व्याकुल हो जाती हैं। और वो लक्ष्मण से बड़े भाई की सहायता के लिए उनके पास जाने को कहती हैं। कई बार कहने के बावजूद जब लक्ष्मण इसे किसी मायावी की आवाज कहकर बड़े भाई का आदेश मानकर सीता को छोड़कर कहीं और जाने की बात से मना कर देते हैं। तब सीता उन्हें बहुत भला-बुरा भीसुनाती हैं। जब सीता माता नहीं मानती हैं, तब लक्ष्मण थोड़ा विचलित होते हैं और अंत में राम की सहायता के लिए वहां जाने को तैयार हो जाते हैं।
राम की सहायता के लिए जाने से पूर्व लक्ष्मण नतमस्तक हो सीता जी को प्रणाम करते हैं और कुटी के चारों ओर अपने धनुष से एक रेखा (लक्ष्मण रेखा) खींचते हुये कहते है, हे माता! ……आप किसी भी दशा में इस रेखा से बाहर न आना।
लक्ष्मण के जाते ही तपस्वी का वेश धरकर वहाँ रावण पहुंचता है और उसके झाँसे में आकर सीता जैसी ही लक्ष्मण रेखा से बाहर आती हैं, रावण उनका हरण कर उन्हें अपने साथ लंका उठा ले जाता है। हालांकि यहां यह बताना जरूरी है कि तुलसीदास रचित राम चरितमानस में भी कहीं नहीं कहा गया है कि लक्ष्मण ने ऐसी कोई रेखा खींची थी।
मरम वचन जब सीता बोला, हरी प्रेरित लछिमन मन डोला।
बन दिसि देव सौपी सब काहू ,चले जहाँ रावण ससि राहु।। (पृष्ठ-५८७ अरण्य काण्ड)
अर्थात सीता द्वारा मर्म वचन बोले जाने के बाद लक्ष्मण सीता माता को वनदेवियों और दिशाओं आदि की निगरानी में छोड़कर राम की खोज खबर लेने चले जाते हैं। जब वाल्मीकि रामायण और राम चरित मानस में लक्ष्मण रेखा का जिक्र नहीं है, तो इस बात को बल कहां से मिला? दरअसरल राम रावण युद्ध के दौरान मंदोदरी द्वारा इस बात का जिक्र किया जाता है कि जो स्त्री मर्यादा के लिए खींची गई रेखा को पार करती है, वो इस तरह युद्ध का कारण बनती हैं।
कृतिवास रामायण में इस बात का उल्लेख मिला है कि लक्ष्मण ने अपने बल के प्रयोग से झोपड़ी को अभिमंत्रित किया और जब रावण झोपड़ी में घुसने में नाकाम रहा तो गुस्से में पूरी झोपड़ी ही उठाकर अपने साथ लेकर चला जाता है।
यद्यपि फिर भी अगर यहाँ ये मान लिया जाए कि सीता जी अगर लक्ष्मण की बात मानकर उस रेखा से बाहर नहीं निकलती तो रावण सीता का कुछ नहीं बिगाड़ सकता था। तभी से लक्ष्मण रेखा का आशय इस बात के लिए प्रयुक्त होता है कि यदि आप किसी भी मामले में अपनी हद को पार नहीं करते हैं तो आपको किसी प्रकार का नुकसान उठाना नहीं पड़ता है।
आज दुनियाभर में कोरोना वायरस के चलते हजारों की संख्या में लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इस कोरोना से भारत भी अछूता नहीं रह गया है। भारत में इस बीमारी से संक्रमित होने वालों की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है। भारतीयों पर इस महामारी का व्यापक और गंभीर प्रभाव न पड़े इसके लिए पीएम मोदी ने 24 मार्च की रात आठ बजे अगले 21 दिन तक देश की जनता से घर में रहकर (लॉकडाउन) कोविड-19 बीमारी को हराने की अपील की। जिसके लिए उन्होंने पूरे देश में लॉकडाउन लागू कर दिया। लॉकडाउन एक तरह की आपातकालीन व्यवस्था को कहा जाता है। जिसके तहत सार्वजनिक यातायात के साथ-साथ निजी प्रतिष्ठानों को भी बंद कर दिया जाता है। मौजूदा समय में हेल्थ इमरजेंसी के तहत देश के तमाम हिस्सों में लॉकडाउन लगाया गया है।
यदि इस लॉकडाउन की तुलना रामायण काल से की जाए तो लॉकडाउन भी एक तरह की “लक्ष्मण रेखा” है, जिसे तब लक्ष्मण ने आसुरी शक्तियों से सीता माता को बचाने के लिए खींची थी और आज मोदी सरकार ने इस महामारी से हर #भारतीय को बचाने के लिए ये रेखा खींची है। लॉकडाउन के तहत सार्वजनिक यातायात के साथ-साथ निजी प्रतिष्ठानों को भी बंद कर दिया गया है। कोरोना के बढ़ते ख़तरे को भांपते हुए कई देशों में लॉकडाउन किया गया है। चीन से फैली इस महामारी के बाद आज अमरीका, इटली, फ्रांस, आयरलैंड, ब्रिटेन, डेनमार्क, न्यूज़ीलैंड, पोलैंड और स्पेन में भी कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए इसी तरीके को अपनाया जा रहा है।
अब जबकि देश में लॉकडाउन लागू है ऐसे में जनता को समझना होगा कि लॉकडाउन (लक्ष्मण रेखा) आपके भले के लिए लगाया गया है। अगर मनुष्य जाति को इस महामारी से बचाना है, तो इन 21 दिनों में सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस का अक्षरसः पालन करना होगा। तभी संभव है कि मानव जाति इस वायरस को पूरी तरह से हराकर नया इतिहास लिखने का काम करेगी। डॉक्टरों और एक्सपर्ट की मानें तो इस वायरस का इनक्यूबेशन पीरियड 14 दिन का होता है। यानी 14 दिन के अंदर कभी भी इसके संक्रमण का पता चल सकता है। उसके बाद 5-7 दिन में यह दूसरों को संक्रमित कर सकता है। वायरस के इस लाइफ़ साइकल को तोड़ने के लिए ही केंद्र सरकार ने 21 दिन के “लॉकडाउन” फ़ैसला लिया है। इसलिए जरूरी है कि हर भारतीय इन 21 दिनों में सरकार को अपना पूर्ण सहयोग देते हुये इस लक्ष्मण रेखा को किसी भी सूरत में न लांघें।