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26/11 हमले से बचीं, ICICI से सेबी पहुंचीं; सबसे युवा और पहली महिला अध्यक्ष हैं माधबी पुरी बुच

1988 में अपनी राह खोजने के जज्बे के साथ आईआईएम, अहमदाबाद से निकली माधबी पुरी बुच पहली महिला व दूसरी गैर-आईएएस सेबी प्रमुख हैं और अर्थजगत के आंकड़ों में वर्षों से अपनी अद्वितीयता साबित करती आई हैं। फिलहाल एक अमेरिकी शॉर्टसेलर के आरोपों से चर्चा में हैं, यह बात दीगर है कि आरोप लगाने वाले की विश्वसनीयता खुद सवालों के घेरे में है।

1988 का साल था। आईआईएम, अहमदाबाद के उस बैच के करीब सभी विद्यार्थियों का कैंपस प्लेसमेंट हो चुका था। लेकिन एक लड़की थी, जिसने खुद को प्लेसमेंट की प्रक्रिया से अलग कर लिया था। आईआईएम उसे शुभकामनाएं ही दे सकता था। लेकिन वह लड़की जो तब अपनी राह की खोज में निकली थी, करीब तीन दशक बाद संस्थान के 59वें दीक्षांत समारोह में बतौर चीफ गेस्ट लौटती है। इस मौके पर आईआईएम, अहमदाबाद अपने एक्स अकाउंट पर लिखता है, ‘आईआईएम-ए 1988 बैच की उस पूर्व छात्रा की वापसी पर आनंदित है, जिसने अपने नियम खुद लिखे, प्लेसमेंट के बजाय अपना रास्ता खुद चुना और सेबी की पहली महिला अध्यक्ष बन कर इतिहास रचा।’

वही माधबी पुरी बुच आज कथित आरोपों के घेरे में हैं। पिछले साल अदाणी समूह को निशाना बना कर भूचाल पैदा करने वाले अमेरिकी शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग ने अब तक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा भेजे गए नोटिस का जवाब बेशक न दिया हो, लेकिन पेरिस ओलंपिक के समापन से ठीक एक दिन पहले यानी दस अगस्त को सेबी को ही आंकड़ों के जाल में फंसाकर उसकी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच पर कथित भ्रष्टाचार के आरोप जरूर लगा दिए हैं। कथित तौर पर, माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर उद्योगपति विनोद अदाणी को फायदा पहुंचाने और उनसे लाभ लेने के आरोप लगे हैं, जिन्हें सेबी प्रमुख ने निराधार बताया है।

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