अमेठी मूल के निवासी डॉ रमाकांत क्षितिज (Dr. Ramakant Kshitij) को महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के पुरस्कार के लिए चयन किया गया है। बताते चलें की डॉ रमाकांत कल्याण मुंबई में रहते हैं। अभी तक इन्होने कई पुस्तकें लिखी हैं। जिनमे ‘दर्पण की मुस्कान’ ‘काश! आठवीं संतान लड़की होती’ ‘मुंबई में एक और समंदर’ प्रमुख हैं।
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डॉ क्षितिज जहां हिन्दी में रचनाएं कर रहे हैं, वहीं अपनी माटी की भाषा अवधी में भी हाल ही में ‘अइसन हमार गांव रहा’ शीर्षक से पुस्तक आई है। साहित्य अकादमी का पुरस्कार उनकी रचना ‘जीवन संघर्ष’ जो की एक कहानी संग्रह है के लिए मिला है। इस पुस्तक के विमोचन की भी ख़ूब चर्चा हुई थी। इस पुस्तक का विमोचन श्मशान भूमि में किया गया था।
डॉ क्षितिज कहते हैं की भौतिक जीवन का संघर्ष श्मशान भूमि पर ही समाप्त होता है, वैसे भी श्मशान भूमि पर सभी को स्वज्ञान होता है। अर्थात मां सरस्वती यहां है, जहां सरस्वती माँ है उससे अच्छी जगह और क्या हो सकती है, किसी पुस्तक के विमोचन के लिए। उल्लेखनीय है की इस पुस्तक का मराठी में अनुवाद हो चुका है, जो की जल्द ही प्रकाशित होगी।
आरके पब्लिकेशन से प्रकाशित इस पुस्तक में मुंबई के आम आदमी की जहाँ कहानियां हैं वही अमेठी के ग्रामीण जीवन से जुडी कहानियां हैं। डॉ. क्षितिज ने पुरस्कार के लिए माता पिता, मित्र, रिश्तेदार के साथ साथ महाराष्ट्र और अमेठी के लोगों के साथ दोनों जगह के माटी का आभार व्यक्त किया है। उनके पुरस्कार मिलने पर कल्याण मुंबई और अमेठी के बहुत से साहित्य प्रेमियों के साथ साथ आम जनमानस ने उन्हें बधाई दी है।