लखनऊ। जैसे-जैसे दुनिया कोरोनावायरस महामारी का सामना कर रही है, बड़े पैमाने पर लोगों में डर और चिंता बढ़ती जा रही है। अपोलोमेडिक्स के चिकित्सक, इस महामारी के दौरान डिप्रेशन और एंग्जायटी से संबंधित ऑनलाइन परामर्श में वृद्धि देख रहे हैं।
अपोलो मेडिक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के एसोसिएट कंसल्टेंट मनोचिकित्सक डॉ. श्रुति सिन्हा ने बताया कि, “वैश्विक स्वास्थ्य, आर्थिक और सामाजिक व्यवधानों के बीच, कोरोनवायरस के प्रकोप ने लाखों लोगों को आइसोलेट होने के लिए मजबूर किया है। महामारी और एक अज्ञात भविष्य पर व्यापक समाचार कवरेज ने तनाव के स्तर को और ज़्यादा बढ़ावा दिया है। जिसके अंतर्गत लोगों के बीच डिप्रेशन एवं एंग्जायटी बढ़ गयी है। लॉकडाउन ने कई लोगों की सामान्य गतिविधियों, दिनचर्या या आजीविका को बाधित किया है।
इस अवधि के दौरान अकेलेपन, एंग्जायटी, शराब और नशीले पदार्थों के उपयोग में बढ़ोतरी के साथ साथ आत्म-क्षति या आत्मघाती व्यवहार के स्तर में वृद्धि हुई हैं। “मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य। दिनचर्या का शेड्यूल बनाकर उसी अनुसार अपने नए सामान्य जीवन में अपने आप को ढालकर तथा एक नियमित नींद का पैटर्न सुनिश्चित करें।
घर रहने का ये मतलब बिलकुल नहीं की आप अपने स्वस्थ्य के साथ अनदेखी करे। बच्चों को नई गतिविधियों को सीखने की कोशिश करनी चाहिए और सोशल मीडिया पर समय बिताने या टेलीविज़न देखने के बजाय नियमित रूप से व्यायाम करने की आदत विकसित करनी चाहिए, अपोलोमेडिक्स में कंसल्टेंट मनोचिकित्सक, डॉ उमर मुशीर ने बताया।