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ब्रज के तीर्थत्व की बापसी का आन्दोलन है संग्रहालय: शैलजा कान्त मिश्र

• संग्रहालय मानव जीवन से जुडी गतिबिधियों का दर्पण होना चाहिए-श्रीवत्स गोस्वामी

मथुरा/वृन्दावन। उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद् के उपाध्यक्ष शैलजा कान्त मिश्र ने आज ब्रज लोक कला एवं शिल्प संग्रहालय का लोकार्पण किया। समरोह की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि ब्रज के समग्र विकास के लिए ब्रज तीर्थ विकास परिषद् की स्थापना का संकल्प ब्रह्मर्षि देव रहा बाबा के आदेश पर हुआ था।

उनका संकल्प था कि ब्रज की रक्षा के लिए कार्य करना होगा। तभी भारत सम्पूर्ण विश्व में सिरमौर बनेगा। मैं हमेशा उनके आदेश को अपने स्मरण में रख कर ब्रज की सेवा में लगा हुआ हूं।

ब्रज के तीर्थत्व की बापसी का आन्दोलन है संग्रहालय: शैलजा कान्त मिश्र

उन्होंने कहा कि ब्रज की हर एक वस्तु और हर एक वृक्ष को संग्रहित करने की आवश्यकता है, आप सभी ब्रजवासियों के कारण यह एक अच्छी शुरूआत है, भगवान श्री कृष्ण ने हमें चैतन्य रूप में इसे व्यवथित करने के लिए अवसर प्रदान किया है, हमें अपने आपको चैतन्य रूप में ही समाहित करके इस पुनीत कार्य को करना चाहिए।

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उन्होंने कहा कि लोक कला एवं शिल्प संग्रहालय पूर्व में भी बना थि। बज्रनाभ जी ने समूचे ब्रज क्षेत्र को ही संग्रहालय बना दिया था, जो किन्हीं कारणों से विलुप्त हो गया था। ब्रज की लोककला में ब्रज के लोक गीतों में चेतना समाई हुई है। श्रीकृष्ण कालीन चेतना, उनका रूप, उनके शब्द समाये हुए हैं।

प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी के अनुग्रह से कुछ विकास धरातल पर हैं कुछ योजनाएं आने वाली हैं, उन्होंने कहा कि धन खर्च करके ब्रज को सिंगापुर जैसा तो बनाया जा सकता है किन्तु तीर्थ नहीं बनाया जा सकता।

ब्रज के तीर्थत्व की बापसी का आन्दोलन है संग्रहालय: शैलजा कान्त मिश्र

ब्रज लोक कला एवं शिल्प संग्रहालय में जो संग्रह किया जा रहा है उससे भी आगे श्री कृष्ण के प्रति भाव को अपने हृदय में संग्रहित करने की आवश्यकता है, तब ही तीर्थ की स्थापना सम्भव हो सकेगी। सभी ब्रजवासी व उनके माध्यम से यहां आने वाले लोगों के मन में भगवान श्रीकृष्ण की सत्य निष्ठा, उनका सद्भाव को अपने अन्दर समाहित करना होगा।

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शैलजा कान्त मिश्र ने कहा कि आप सभी ब्रजवासियों के कारण यह एक अच्छी शुरूआत है। आप सभी को मानना होगा कि भगवान ने हमें इस कार्य के लिए चैतन्य रूप में व्यवस्थित करने के लिए लगाया है। यहां कि हर बस्तु को, हर वृक्ष को संग्रहित करने की आवश्यकता है, हमें सत्य निष्ठा के साथ ब्रज के तीर्थत्व की बापसी का आन्दोलन शुरू करना होगा।

ब्रज के तीर्थत्व की बापसी का आन्दोलन है संग्रहालय: शैलजा कान्त मिश्र

इस अवसर पर ब्रज के मूर्धन्य विद्वान श्रीवत्स गोस्वामी ने उपस्थित जन समूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि श्रीकृष्ण के प्रपौत्र बज्रनाभ जी ने महाभारत के बाद समूचे ब्रज को ही श्रीकृष्ण का संग्रहालय बना दिया था। जीवन्त संग्रहालय चौरासी कोस में धाम रूपी संग्रहालय बज्रनाभ जी ने ही बनाया, उसके बाद में ब्रजसेवी “फेडरिक सामन ग्राउस” ने मथुरा में संग्रहालय बनाया।

उन्होंने कहा कि ब्रज एक सतत श्रृष्टि है तभी संवत् 2081 तद्नुसार सन् 2024 में भी ब्रज जीवन्त है। लोक के आधार पर ही शास्त्र की रचना हुई है।भगवान श्रीकृष्ण और उनसे जुड़ी कला साधना, आराधना में जितने शिल्प आते हैं, वह सब भी लोक की ही देन हैं।

उन्होंने कहा कि तभी तो गाया जाता है कि अनौखों री जायो ललना, मैं वेदन में सुन आई, मैं खेतन में सुन आई भगवान श्रीकृष्ण आज भी लोक और शास्त्र में जीवित हैं। ब्रज लोक कला एवं शिल्प संग्रहालय का संकल्प डॉ उमेष चन्द शर्मा ने लिया है जो की एक सराहनीय कार्य है। ब्रज संस्कृति यदि जीवन है तो संग्रहालय भी जीवन्त है। संग्रहालय मानव जीवन से जुड़ी गतिविधियों का दर्पण होना चाहिए।

इस अवसर पर सभी का आभार व्यक्त करते हुए डॉ उमेश चन्द शर्मा ने कहा कि इस संग्रहालय की आधारशिला 7 अक्टूबर 2000 में रखी गयी थी जिसमें ब्रज के महान संत महन्त की उपस्थिति थी। अनेक लोगों का योगदान इसमें रहा है, यहां प्रदर्शित कला और शिल्प को अभी पूरी तरह से नहीं रखा जा सका है। अभी और भी कला रत्न प्रदर्शित किये जाना बाकी हैं। हम जल्द ही आम जन मानस के लिए उन्हें भी प्रदर्शित करने का प्रयास करेंगे।

ब्रज के तीर्थत्व की बापसी का आन्दोलन है संग्रहालय: शैलजा कान्त मिश्र

इस अवसर पर आचार्य पद्म नाभ गोस्वामी, विष्णु दास गोयल, शोरा वाला, दीपक गोयल, आरपी यादव, सोहन लाल, दिनेश खन्ना, कपिल उपाध्याय, मुकेश शर्मा, उदयन शर्मा, राधावल्लभ मंदिर सेवायत आनंदलाल गोस्वामी, सुरेश चंद्र शर्मा, सुमनकांत पालीवाल, सुकृत गोस्वामी, सुनील शर्मा पत्रकार, गोपाल शरण शर्मा, डॉ विनोद बनर्जी, मुकेष गोतम, डॉ शिवांगी गौतम, दीपक गोस्वामी, प्रियव्रत शर्मा, वीरेन्द्र सिंह, मुकेश गौतम, विनीत शर्मा, सतीश बघेल, रामेश्वर उपाध्याय, सुप्रिया गोस्वामी, हेमू, रमाशंकर शर्मा, महेश प्रसाद, राजेन्ड एडवोकेट, सुरेन्द्र कौशिक, वीरपाल सिंह, हेमलता, सुमनलता, शान्तनु अमित, नन्द किशोर, सुनील सिंह, बाबा जयकृष्णदास, सुभाष, हुकुम चन्द तिवारी एडवोकेट, अशोक अज्ञ, सत्य प्रकाश, डॉ नीतू गोस्वामी, विज्येता चतुर्वेदी, बबूलू, मोहित गुप्ता, ब्रजेन्द्र सिंह, चन्द्र प्रकाश सिंह सिकरवार, प्रकाश, दीपक पं. सुरेश चन्द्र शर्मा, ब्रषभान गोस्वामी, पालिवाल, डॉ रिपुसूदन मिस्त्री, रवि भाटिया, ओम प्रकाश डागुर, सत्येन्द्र नकुल, रंजीत, रामेन्द्र, श्रेया शर्मा, उभा शर्मा,, सीमा मोरवाल, रजत शुरला, मधु तोमर, श्रुति शर्मा, आदित्य राज, श्रीयश, गौरी शंकर शर्मा, प्रांशु, कमल, सतीश सिंह, नारायन सिंह, प्रेम पाल, ब्रजेन्द्र सिंह, राधावललम शर्मा, अमित शर्मा, मीना, उमाशंकर श्रीवास्तव, अशोक अग्रवाल, कृष्ण बंसल, रेनु दत्ता, साधना गुप्ता, डॉ अनुजा चौधरी, तुसार जैन, अनन्त स्वरूप बाजपेयी, पवन शर्मा, मयूर कौशिक, विजय विद्यार्थी आदि लब्ध प्रतिष्ठित नागरिक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ अंजू सूद ने किया।

रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी

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