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Navratri 2020 : आज है नवरात्र का पहला दिन, जानिए नौ दिन कैसे करे पूजा पाठ, हर तरह होगी सारी मनोकामना पूरी

आज शनिवार से मां दुर्गा के नवरात्रि शुरू हो रहे हैं। शक्ति की देवी मां दुर्गा, अपने भक्तों की सर्व इच्छाओं की पूर्ति करती हैं। नवरात्रि के दौरान नौ दिन तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है जिससे परम पुरुषार्थ मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस पावन दिन मां अपने नौ रूपों के दर्शन करवाती हैं।

नवरात्रि में नौ दिनों तक दुर्गा मां के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। साथ ही व्रत भी किया जाता है। कई लोग पूरी नवरात्रि अखंड ज्योत जलाते हैं। व्रत लेने से पहले ये जरूरी बातें पढ़ लें..

सुबह सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यकर्मों को कर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। फिर स्वच्छ वस्त्र पहन लें।

नवरात्रि से एक दिन पहले मंदिर की साफ-सफाई अच्छे से कर लें और सभी समान सुसज्जित कर लें।

नवरात्रि के समय हर दिन का एक रंग तय होता है। मान्यता है कि इन रंगों का उपयोग करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

नवरात्रि पूजन के लिए माता की मूर्ति या तस्वीर पूजन स्थल पर स्थापित अवश्य कर ले। मां को लाल चुनरी, वस्त्र आदि पहनाएं। पूजा स्थल को रंग-बिरंगे फूलों से सजाएं। दुर्गा मां को भी सुंदर-सुंदर पुष्प अर्पित करें जिसमें लाल रंग के पुष्प जरूर शामिल करें।

इसके बाद ऋतु फल, मिठाइयां आदि मां जगदम्बे को अर्पित करें।जल से भरा हुआ पीतल, चांदी, तांबा या मिट्टी का कलश लें। कलश(घट) मूर्ति की दाईं ओर स्थापित करना चाहिए।

जहां कलश स्थापित करना है वहां पर किसी बर्तन के अन्दर मिट्टी भर लें या फिर जमीन पर ही मिट्टी का ढेर बना दें। यह ढेर इस तरह बनाएं कि जब उस पर कलश रखा जाए तब उसके आस-पास कुछ स्थान शेष रह जाए।

अब ढक्कन पर भी स्वस्तिक बनाएं। इसमें थोड़े-से चावल डालकर एक पानी वाला नारियल रखें। यह नारियल लाल रंग की चुनरी से लिपटा होना चाहिए और इस पर तिलक और स्वास्तिक का चिन्ह बना होना चाहिए।

इस नारियल को चावलों से भरे ढक्कन के ऊपर रख दें। ध्यान रखने वाली बात यह है कि नारियल का मुख हमेशा अपनी ओर ही रखें। दीपक का मुख पूर्व दिशा की और रखें।

अब सबसे पहले गणेश जी का पूजन करें। फिर मां भगवती का पूजन करें।

मां के बीज बीज मंत्र ॐ एम् ह्रीं क्लिं चामुण्डायै विच्चे बोलकर पूजा का आरम्भ करें।

कलश के ऊपर रोली अथवा कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं। फिर कलश की गर्दन पर मौली(कलावा) बांधें। इसके बाद उसमे थोड़ा गंगाजल डालकर बाकि शुद्ध पेयजल से भर दें।

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