नरेन्द्र मोदी सरकार इस समय जिस योजना पर सारे जोर-शोर से कार्य कर रही है, उससे अगले कुछ महीनों में देश के 11.5 करोड़ किसान परिवारों से सीधा सम्पर्क किया जा सकेगा. संवाद की यह कवायद अभूतपूर्व है जिसे अमलीजामा पहनाने की दिशा में कोशिशें जारी हैं. अगर, सब कुछ योजना के अनुसार चला तो जून 2020 तक सरकार के पास देश के किसानों का एक बड़ा डाटा बैंक होगा.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में सचिव संजय अग्रवाल की प्रतिनिधित्व में एक उच्च स्तरीय समिति सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय व उसके नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीजन यानी एनईजीडी के साथ मिलकर इस पर कार्य कर रही है व पीएम ऑफिस द्वारा तय समयसीमा के तहत डाटा संकलन की इस बड़ी परियोजना को पूरा करने की प्रयास जारी है.
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इस डाटाबेस की मदद व प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से देश के छोटे और सीमांत किसानों के ज़िंदगी में एक बड़ा परिवर्तन आने वाला हैं. डाटा से किसानों का सशक्तीकरण होगा क्योंकि इससे अब मिट्टी की जाँच हो या बाढ़ की चेतावनी, सेटलाइट से प्राप्त तस्वीर से लेकर जमीन का राजस्व रिकॉर्ड जैसी तमाम सूचनाएं किसानों घर बैठे ही मिल जाएंगी.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के एक वरिष्ठ ऑफिसर ने आईएएनएस को बताया, “अगले छह महीने में एक बार डाटाबेस बन जाने के बाद किसान मार्केट की तमाम सूचनाएं ले सकेंगे. वास्तव में ग्रामीण क्षेत्र में यह एक गेम चेंजर साबित होने जा रहा है.” उन्होंने बताया, ” काम कृषि सचिव के अतिरिक्त आधार कार्ड योजना को अमलीजामा पहनाने वाले पूर्व सूचना प्रौद्योगिकी सचिव जे। सत्यनारायण व कई आईटी विशेषज्ञों की देखरेख में यह कार्य चल रहा है.”
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दरअसल, इस व्यापक डाटा संकलन की प्रेरणा पीएम मोदी की अति जरूरी योजना पीएम-किसान सम्मान निधि मिली है अब तक देश के 7.20 करोड़ किसानों को पीएम-किसान योजना का फायदा मिलने लगा है. सिर्फ यूपी से इस डाटा बैंक में 2.10 करोड़ किसान शामिल हो गए हैं. मालूम हो कि पीएम-किसान सम्मान निधि में एक किसान परिवार को सालाना 6,000 रुपये सीधा ट्रान्सफर किया जा रहा है. तीन किस्तों में दी जा रही इस राशि का मकसद किसानों को खेती करने के लिए महत्वपूर्ण पूंजी में मदद करना है.
सूत्रों ने बताया कि किसानों के इस डाटा का मिलान पब्लिक फंड मैनेजमेंट सिस्टम यानी पीएफएमएस द्वारा किया जाता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि पैसा ठीक स्थान पहुंचा है व किसानों के ही खाते में गया. सरकार ने अब तक देश के गरीब किसानों को पीएम-किसान सम्मान निधि के तहत 33,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. यह योजना पिछले वर्ष दिसंबर महीने से लागू है.
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पीएम किसान योजना को शुरुआत में दिल्ली व पश्चिम बंगाल की सरकारों ने स्वीकार नहीं किया. हालांकि बाद में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपना विचार बदला व उन्होंने पीएम किसान के तहत किसानों को फायदा दिलाने के लिए मोदी की योजना को स्वीकार कर लिया.
हालांकि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने अभी भी इस योजना को स्वीकार नहीं किया है. पीएम-किसान योजना की मुखर आलोचक रहीं ममता बनर्जी को शायद लगता है कि यह केन्द्र सरकार इसके बहाने किसानों का वोट लेने की प्रयास कर रही है. उधर, बीजेपी का मानना है कि ममता बनर्जी संकीर्ण सियासी मानसिकता के कारण किसानों को उनके हक से वंचित कर रही हैं. आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल के करीब 70 लाख किसान केन्द्र सरकार की इस योजना का फायदा लेने से वंचित हैं.