लखनऊ। गाइड समाज कल्याण संस्थान“ द्वारा अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस के शुभ-अवसर पर वृद्धजन सम्मान अभियान के अंतर्गत एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका विषय “वृद्धावस्था दृ जीवन की स्वर्णिम संध्या : वर्तमान समय में चुनौतियाँ एवं समाधान” रहा । कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार संस्कृति मंत्रालय के ’भारतीय सांस्कृतिक संपदा संरक्षण एवं अनुसन्धान संस्थान’ प्रशिक्षण केंद्र सहारा स्टेट्स रोड (आकांक्षा परिसर के सामने), सेक्टर-जी, जानकीपुरम, लखनऊ स्थित सेमिनार हॉल में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल माननीय केशरी नाथ त्रिपाठी जी थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ नागरिक राज्य कल्याण आयोग के चेयरपर्सन वी.जी.धर्माधिकारी जी ने की। वहीं, विशिष्ट अतिथि के रूप में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति कमलेश्वर नाथ जी, न्यायमूर्ति सुधीर चंद्र वर्मा जी, न्यायमूर्ति हरिहर नाथ तिलहरी एवं हिंदुस्तान टाइम्स की सीनियर रेजिडेंट एडिटर सुनीता ऐरन जी रहीं। इसके अतिरिक्त देश के ख्यातिलब्ध मूर्धन्य विद्वान, साहित्यकार, विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर्स, समाजिक कार्यकर्ता, अधिवक्ता और कई विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राएं शामिल हुए । गोष्ठी में समर्पण एवं छबि शांति धाम वृद्धाश्रम में कई वर्षों से एकाकी रहने वाले बुजुरोगों ने भी शिरकत की ।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण “गोल्डन ऐज युगपुरुष सम्मान-2017“ रहा, जिसके अंतर्गत समाज के पुनर्निर्माण में अधिकतम-श्रेष्ठतम योगदान करने वाले वृद्ध पुरुषों को अलंकृत किया गया। साथ ही वृद्धजनो की सेवा में तन-मन-धन से लगे विभूतियों को सेवा गौरव, सेवा शिरोमणि एवं सेवा रत्न सम्मान से पुरस्कृत किया गया । (नाम की सूची संलग्न है)। कार्यक्रम में प्रथमतः उपस्थित छात्र-छात्राओं को बुजुर्गों के सम्मान और सुरक्षा को लेकर शपथ दिलाई गयी।
डॉ.इंदु सुभाष ने सभी का अभिनन्दन करते हुए संस्था के कार्यों का वर्णन किया और सभी को पुरुष दिवस का महत्व बताया। उन्होंने संस्था द्वारा निःशुल्क चलाई जा रही 1800-180-0060 गोल्डन ऐज हेल्पलाइन एवं वरिष्ठ नारिक प्रकोष्ठ की अभी तक की आई कॉल्स एवं बुजुरोगों की त्रासदी के बारे में बताया। स्वर्ण गान म्यूजिक अकादमी के बच्चों ने “हमारी ही मुट्ठी में आकाश सारा” गीत से सभी का मन मोह लिया। साथ ही छबि शांति धाम में एकाकी रह रहे । एस.एन.बनर्जी दादा के बांसुरी वादन से सभी की आँखे भर आई । इसी के साथ श्रीमती चौहान ने वीर-रस की कविता का पाठ करके युवों में जोश भरा।
महामहिम केशरी नाथ त्रिपाठी जी संस्था के कार्यों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की और डॉ.इंदु सुभाष की नारी होते हुए पुरुष दिवस का कार्यक्रम आयोजित करने के लिए भूरी भूरी प्रशंसा की. राज्यपाल महोदय की “बुढ़ापे में भी बचपन होता है” कविता ने सबको मंत्रमुग्द कर लिया द्य साथ ही राज्यपाल जी ने कहा की बुजुर्गो को भी बदलते परिवेश में सामंजस्य एवं समन्वय करना होगा।
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