प्रतापगढ़। एक सरस पावस काव्य गोष्ठी का आयोजन अनुज प्रकाशन के कार्यालय पर सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता शायर ख़ुर्शीद अम्बर ने और संचालन राजेश प्रतापगढ़ी ने किया। इंजी चंद्रकांत त्रिपाठी ने पढ़ा- बदल गया दुनिया मंज़र, धरती दिखती है अब बंजर।
कवि अनूप अनुपम ने सुनाया- बूढ़े कमरे की ख़ामोशी राज दफ़न कितने सारे। बोले भी तो किससे बोले, कौन सुने किस्से प्यारे। युवा कवि पंकज सिंह ने पढ़ा- मेरी शाइरी का अंदाज़ किसी गीता से कम नहीं है। बदलते वक़्त के साथ मतलब भी बदल जाते हैं। शायर डॉ अनुज नागेन्द्र का शेर- इक दरिन्दा आदमी की शक़्ल में है।मौत जैसे ज़िन्दगी की शक़्ल में है। उस अँधेरे से भला कैसे बचें हम, जो अँधेरा रोशनी की शक़्ल में है। बेहद पसंद किया गया।
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संगीतज्ञ डॉ बच्चा बाबू वर्मा ने कई ग़ज़लें सुनायीं- अपनी गठरी अपना सर। कैसी चिन्ता, किसका डर। संचालन कर रहे व्यंग्यकार राजेश प्रतापगढ़ी ने पढ़ा- उमड़ता है ये बादल हर घड़ी खुलकर बरसने को, करोगे देर तो ऐसे में सावन बीत जायेगा। सदारत कर रहे उस्ताद शायर ख़ुर्शीद अम्बर साहब ने पढ़ा- करम मुझ पर ज़रूरत से ज़ियादा हो रहा है। ख़ुदा जाने तुम्हारा क्या इरादा हो रहा है। इस मौके पर देशराज घायल, संजय यादव आदि मौजूद रहे।
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