लखनऊ. उत्तर प्रदेश से पहले पंजाब में भी चिप लगाकर पेट्रोल घटतौली का मामला सामने आया था उस समय काफी हो हल्ला मचा लेकिन कुछ समय बाद सबकुछ ठीक हो गया। अभी हाल में ही उत्तर प्रदेश की राजधनी में ताबड़ तोड़ पम्पों में छापे मारी हुई एक दो नही बल्कि दर्जनों पम्पों में चिप लगाकर पेट्रोल घटतौली का मामला सामने आया। कुछ पम्पों को सिल भी किया गया। लेकिन अचानक ऐसा दबाव बना कि मामला ठण्डे बस्तें में डाल दिया गया।इसी दौरान उच्च न्यायालय ने जब प्रदेश सरकार को फटकार लगाई तो एक बार फिर जाँच पड़ताल शुरू हुई और जहाँ भी जाँच करने टीम पहुंचे वहां के पम्प में चिप लगाकर घटतौली का मामला मिला। यहाँ कहने का तात्पर्य यह कि जब पेट्रोल पम्प मालिकों को शायद कानून का खौफ नहीं तभी जाँच के बावजूद भी पेट्रोल पम्पों में चिप लगाकर घटतौली का खेल खेला जा रहा है। इतना ही नहीं पेट्रोल पम्पों में अब तक पकड़ी गयी घटतौली पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई जो जिम्मेदारों की पम्प मालिकों के साथ सांठगांठ को दर्शाता है। कुल मिलाकर पेट्रोल पम्पों द्वारा जनता के साथ जिस तरह से छल किया जा रहा उस हिसाब से सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई नही कर पा रही है।यही कारण है कि इतनी जाँच के बाद भी पेट्रोल पम्पों में घटतौली रुकने का नाम नहीं ले रही है।
पिछले एक महीने से पेट्रोल पम्पों की जांच एवं उसके बाद हो रही कार्रवाई के बाद जनता के दिमाग में कई तरह के सवाल आ रहे है?? पहला यह कि क्या पेट्रोल पम्पों पर घटतौली का यह खेल केवल लखनऊ में ही खेला जा रहा है या प्रदेश के अन्य जनपदों व देश के अन्य राज्यों के पेट्रोल पम्पों में इस तरह का खेल जारी है!!! यहाँ सवाल यह है कि क्या भ्रष्टचार मुक्त भारत का दावा करने वाली केन्द्र एवं राज्य सरकार पेट्रोल पम्प औनरों के सामने खुद को असहाय महसूस कर रही है। कुल मिलाकर सरकारे किसी प्रकार भी दावा करे लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। अगर वाकई सरकार जनता को इस खुली लूट से उसे छूट दिलाना चाहती है तो उसे पेट्रोल पम्प औनरों की नकेल कसनी होगी।