विएंतिया। पीएम मोदी आसियान बैठक में हिस्सा लेने के लिए लाओस पहुंचे हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को रामायण के लाओ संस्करण की प्रस्तुति देखी। जो भारत और लाओस के बीच साझा विरासत एवं सदियों पुराने सभ्यतागत संबंधों का प्रतीक है।
फ्लोरिडा के तट से टकराया चक्रवाती तूफान मिल्टन, अमेरिका के मौसम विभाग ने जारी की चेतावनी
विएंतियान पहुंचने के बाद पीएम मोदी ने लाओ रामायण ‘फलक फालम’ या ‘फ्रलक फ्रराम’ की एक कड़ी का मंचन देखा। जिसका मंचन प्रतिष्ठित रॉयल थिएटर ऑफ लुआंग प्रबांग के कलाकारों ने प्रस्तुत किया। बता दें कि, लाओ रामायण मूल भारतीय संस्करण से अलग है। बौद्ध समूहों के माध्यम से यह 16वीं शताब्दी के आसपास लाओस पहुंचा था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक्स पर लिखा, साझा विरासत और परंपरा दोनों देशों को करीब ला रही है… यह प्रस्तुति भारत-लाओस के समृद्ध और साझा जुड़ाव का एक उत्कृष्ट प्रदर्शन थी। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि लाओस में आज भी रामायण का मंचन किया जाता है और यह महाकाव्य दोनों देशों के बीच साझा विरासत और सदियों पुराने सभ्यतागत संबंधों को दर्शाता है।
Please watch this video also
बयान के अनुसार, लाओस में सदियों से भारतीय संस्कृति और परंपरा के विभिन्न पहलुओं का पालन एवं संरक्षण किया जा रहा है। इसमें कहा गया है कि दोनों देश अपनी साझा विरासत को रोशन करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।इससे पहले, मोदी ने लाओ पीडीआर के केंद्रीय बौद्ध फेलोशिप संगठन के वरिष्ठ बौद्ध भिक्षुओं के आशीर्वाद समारोह में हिस्सा लिया, जो विएंतियान में सी साकेत मंदिर के प्रतिष्ठित मठाधीश महवेथ मसेनई की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था।