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पुलिस कर रही थी मौत की जांच, 19 साल बाद जिंदा मिला पूर्व नौसैनिक, हैरान कर देगी ये कहानी

पुलिस की फाइलों में न जाने कितने ही ऐसे मामले दर्ज हैं, जिनके खुलासे ने पुलिस के साथ-साथ आम जन को भी हैरान किया. ऐसा ही मामला दिल्ली में सामने आया है. दरअसल, 19 साल पहले यानी साल 2004 में दिल्ली पुलिस ने एक शख्स की मौत के मामले में जांच शुरू की थी.

अब इस मामले का खुलासा हुआ तो पुलिस भी दंग रह गई, जिस शख्स की मौत को लेकर इतने साल तक जांच पड़ताल हो रही थी, वो शख्स पुलिस को जिंदा बरामद हो गया. उसने खुद को मृत घोषित करके एक बड़ी साजिश रची थी. आरोपी एक पूर्व नौसेना कर्मचारी है. जिसे क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है.

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने जिस शख्स को पकड़ा है. उसकी शिनाख्त बालेश कुमार के तौर पर हुई है. वो गांव पत्ति कल्याण, समालखा, पानीपत (हरियाणा) का रहने वाला है. उसने वर्ष 2004 में कथित तौर पर खुद को मृत घोषित कर दिया था. लेकिन वो अभी भी जिंदा है.

क्राइम ब्रांच को छानबीन में असली कहानी पता चली. दरअसल, आरोपी बालेश कुमार के खिलाफ दिल्ली के थाना बवाना में हत्या मामला दर्ज था और थाना तिलक मार्ग में उसके खिलाफ दिल्ली में चोरी करने का एक मामला दर्ज था. इन दोनों ही मामलों के चलते बालेश फरार था. अब इस मामले में क्राइम ब्रांच ने एफआईआर नंबर 232/2023 दर्ज की है. जिसमें आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 471, 474 और 120बी के तहत मुकदमा लिखा है.

असल में क्राइम ब्रांच को जानकारी मिली थी कि दिल्ली में हत्या और चोरी के मामले का आरोपी बालेश कुमार अपना नाम पता बदल कर दिल्ली में ही रह रहा है. वो अमन सिंह के नाम से बाहरी दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में रहता है. इस इत्तिला के बाद क्राइम ब्रांच की टीम ने नजफगढ़ में जाकर आरोपी को पकड़ने के लिए जाल बिछाया. आरोपी बालेश कुमार इस बात से बिल्कुल अनजान था. जैसे ही वो सामने आया, क्राइम ब्रांच टीन ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

पकड़े जाने के बाद क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने उससे पूछताछ शुरू की. उससे जालसाजी, हत्या और चोरी के मामले में जानकारी हासिल करने की कोशिश की गई. साथ रही ये भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि उसकी मदद कौन लोग रहे थे? कैसे इतने सालों तक वो कानून को चकमा देता रहा. जांच के दौरान क्राइम ब्रांच ने सरकारी कार्यालयों से उसके पेंशन फॉर्म की जानकारी हासिल की. तो पता चला कि आरोपी बालेश कुमार की पत्नी उसकी पेंशन का लाभ ले रही थी.

पुलिस की फाइलों में न जाने कितने ही ऐसे मामले दर्ज हैं, जिनके खुलासे ने पुलिस के साथ-साथ आम जन को भी हैरान किया. ऐसा ही मामला दिल्ली में सामने आया है. दरअसल, 19 साल पहले यानी साल 2004 में दिल्ली पुलिस ने एक शख्स की मौत के मामले में जांच शुरू की थी.

अब इस मामले का खुलासा हुआ तो पुलिस भी दंग रह गई, जिस शख्स की मौत को लेकर इतने साल तक जांच पड़ताल हो रही थी, वो शख्स पुलिस को जिंदा बरामद हो गया. उसने खुद को मृत घोषित करके एक बड़ी साजिश रची थी. आरोपी एक पूर्व नौसेना कर्मचारी है. जिसे क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है.

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने जिस शख्स को पकड़ा है. उसकी शिनाख्त बालेश कुमार के तौर पर हुई है. वो गांव पत्ति कल्याण, समालखा, पानीपत (हरियाणा) का रहने वाला है. उसने वर्ष 2004 में कथित तौर पर खुद को मृत घोषित कर दिया था. लेकिन वो अभी भी जिंदा है.

क्राइम ब्रांच को छानबीन में असली कहानी पता चली. दरअसल, आरोपी बालेश कुमार के खिलाफ दिल्ली के थाना बवाना में हत्या मामला दर्ज था और थाना तिलक मार्ग में उसके खिलाफ दिल्ली में चोरी करने का एक मामला दर्ज था. इन दोनों ही मामलों के चलते बालेश फरार था. अब इस मामले में क्राइम ब्रांच ने एफआईआर नंबर 232/2023 दर्ज की है. जिसमें आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 471, 474 और 120बी के तहत मुकदमा लिखा है.

असल में क्राइम ब्रांच को जानकारी मिली थी कि दिल्ली में हत्या और चोरी के मामले का आरोपी बालेश कुमार अपना नाम पता बदल कर दिल्ली में ही रह रहा है. वो अमन सिंह के नाम से बाहरी दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में रहता है. इस इत्तिला के बाद क्राइम ब्रांच की टीम ने नजफगढ़ में जाकर आरोपी को पकड़ने के लिए जाल बिछाया. आरोपी बालेश कुमार इस बात से बिल्कुल अनजान था. जैसे ही वो सामने आया, क्राइम ब्रांच टीन ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

पकड़े जाने के बाद क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने उससे पूछताछ शुरू की. उससे जालसाजी, हत्या और चोरी के मामले में जानकारी हासिल करने की कोशिश की गई. साथ रही ये भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि उसकी मदद कौन लोग रहे थे? कैसे इतने सालों तक वो कानून को चकमा देता रहा. जांच के दौरान क्राइम ब्रांच ने सरकारी कार्यालयों से उसके पेंशन फॉर्म की जानकारी हासिल की. तो पता चला कि आरोपी बालेश कुमार की पत्नी उसकी पेंशन का लाभ ले रही थी.

बालेश ने ऐसे शुरू किया था मौत का नाटक
1 मई 2004 को बालेश कुमार राजस्थान के जोधपुर में था. जहां उसने अपने ट्रक में आग लगा दी थी. जिसकी वजह से दो लोगों की मौत हो गई थी. मरने वाले लोगों में एक शिनाख्त बालेश कुमार के रूप में की गई थी. अब सच सामने आने के बाद इस मामले में कानूनी कार्रवाई करने के लिए एसएचओ, थाना डांडियावर, जोधपुर को एक रिपोर्ट भेजी गई है.

पूछताछ में यह भी पता चला कि आरोपी बालेश कुमार के खिलाफ साल 2000 में चोरी और साल 2004 में हत्या का मामला दर्ज हुआ था. इन दोनों मामलों में वो गिरफ्तारी से बचना चाहता था. बाद में वर्ष 2004 में ही उसे मृत घोषित कर दिया गया था. इसके बाद आरोपी ने अपनी नई पहचान अमन सिंह पुत्र जगत सिंह, निवासी आरजेड 167, रोशन गार्डन, नजफगढ़, दिल्ली के रूप में बनाई थी और फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड, डीएल भी बनवा लिया था. इसी नाम से उसने बैंक ऑफ इंडिया में अपना खाता भी खुलवा लिया था.

आरोपी बालेश कुमार मूल रूप से ग्राम पत्ति कल्याण, समालखा, पानीपत (हरियाणा) का निवासी है और उसने अपने पैतृक गांव से केवल 8वीं कक्षा तक पढ़ाई की है. वर्ष 1981 में वह नौसेना में भर्ती हो गया था. साल 1996 तक वो नौसना में था. सेवानिवृत्ति के बाद वो अपने परिवार के साथ संतोष पार्क, उत्तम नगर, दिल्ली में रहने लगा था. पहचान और पता बदलने के बाद अब वो प्रॉपर्टी डीलर बनकर काम करता था.

1 मई 2004 को बालेश कुमार राजस्थान के जोधपुर में था. जहां उसने अपने ट्रक में आग लगा दी थी. जिसकी वजह से दो लोगों की मौत हो गई थी. मरने वाले लोगों में एक शिनाख्त बालेश कुमार के रूप में की गई थी. अब सच सामने आने के बाद इस मामले में कानूनी कार्रवाई करने के लिए एसएचओ, थाना डांडियावर, जोधपुर को एक रिपोर्ट भेजी गई है.

पूछताछ में यह भी पता चला कि आरोपी बालेश कुमार के खिलाफ साल 2000 में चोरी और साल 2004 में हत्या का मामला दर्ज हुआ था. इन दोनों मामलों में वो गिरफ्तारी से बचना चाहता था. बाद में वर्ष 2004 में ही उसे मृत घोषित कर दिया गया था. इसके बाद आरोपी ने अपनी नई पहचान अमन सिंह पुत्र जगत सिंह, निवासी आरजेड 167, रोशन गार्डन, नजफगढ़, दिल्ली के रूप में बनाई थी और फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड, डीएल भी बनवा लिया था. इसी नाम से उसने बैंक ऑफ इंडिया में अपना खाता भी खुलवा लिया था.

आरोपी बालेश कुमार मूल रूप से ग्राम पत्ति कल्याण, समालखा, पानीपत (हरियाणा) का निवासी है और उसने अपने पैतृक गांव से केवल 8वीं कक्षा तक पढ़ाई की है. वर्ष 1981 में वह नौसेना में भर्ती हो गया था. साल 1996 तक वो नौसना में था. सेवानिवृत्ति के बाद वो अपने परिवार के साथ संतोष पार्क, उत्तम नगर, दिल्ली में रहने लगा था. पहचान और पता बदलने के बाद अब वो प्रॉपर्टी डीलर बनकर काम करता था.

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