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आरबीएसके टीम ने अभिषेक को दिलाया नया जीवन

• बारह वर्षीय अभिषेक के जन्मजात हृदय रोग का हुआ निःशुल्क इलाज

• विशेषज्ञ चिकित्सकों के नेतृत्व में दो घंटे तक चली सर्जरी

कानपुर नगर। जनपद में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) जन्मजात बीमारियों से निजात दिलाने में वरदान साबित हो रहा है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ आलोक रंजन ने बताया कि ब्लॉक शिवराजपुर के ग्राम बसेन निवासी सुरेंद्र पाल के 12 वर्षीय पुत्र अभिषेक का जन्मजात हृदय रोग (कंजीनाइटिल हार्ट डिजीज) का इलाज सत्य साईं अस्पताल, पलवल, छत्तीसगढ़ में सफलतापूर्वक पूरा हुआ।

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विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने अभिषेक की सर्जरी के लिए करीब दो घंटे का समय लिया। अभिषेक के पिता सुरेंद्र बहुत दिनों से अपने बेटे की बीमारी और उसके इलाज को लेकर परेशान थे। आर्थिक तंगी से वह इसका खर्च नहीं उठा पा रहे थे लेकिन अब उसके इलाज से बहुत खुश हैं। उन्होंने सीएमओ, एसीएमओ सहित सत्य साईं अस्पताल के चिकित्सकों सहित आरबीएसके टीम को धन्यवाद व आभार व्यक्त किया।

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके)

सीएमओ ने बताया कि आरबीएसके के अंतर्गत 36 बीमारियों व जन्मजात विकृतियों के लिए इलाज के लिए दी जा रही सेवाओं में से सीएचडी के लिए यह इस साल की पहली उपलब्धि है। अन्य बच्चों का इलाज प्रक्रिया में है जो जल्द पूरा हो जाएगा।

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राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम के डीईआईसी मैनेजर अजीत सिंह ने बताया कि आरबीएसके शिवराजपुर की टीम ने विद्यालय पर बच्चों की स्क्रीनिंग के दौरान अभिषेक को हृदय रोग (सीएचडी) के लिए चिन्हित किया गया था। इसके बाद शासन की ओर से सीएचडी के ऑपरेशन के लिए चिन्हित पलवल सत्य साईं से निःशुल्क इलाज के लिए अनुमति ली। पिछले माह अभिषेक के निःशुल्क ऑपरेशन की प्रक्रिया पूरी हुई।

डीईआईसी मैनेजर ने बताया कि आरबीएसके के अंतर्गत विभिन्न जन्मजात दोषों का चिन्हीकरण करके जन्म से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चों केउपचार के लिए सरकार द्वारा गंभीरता से प्रयास किया जा रहा है। जन्मजात दोषों में जन्मजात हृदय रोग हृदय का एक गंभीर जन्मजात दोष है। सामान्यतः इसके उपचार में चार से पाँच लाख रुपये का खर्च लगता है, जो कि आरबीएसके योजना केअंतर्गत निःशुल्क किया जाता है।

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके)

सक्रियता के साथ प्रखंड से लेकर जिला स्तर पर टीम कर रही है कार्य : आरबीएसके के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ सुबोध प्रकाश बताते हैं कि जन्मजात हृदय रोग में प्रायः बच्चों में सबसे सामान्य लक्षण हाथ, पैर,जीभ का नीला पड़ जाना, ठीक तरह से सांस न ले पाना और माँ का दूध ठीक तरह से नहीं पी पाना एवंखेल-कूद में जल्दी थक जाना दिखते हैं। इस जन्मजात दोषों से बच्चों को बचाने के लिए गर्भावस्था के दौरान बेहद ध्यान देना चाहिए। गर्भावस्था के चौथे माह की शुरुआत से प्रतिदिन प्रसव तक आयरन फोलिक एसिड की गोली खिलाई जानी चाहिए। इसके साथ ही स्वस्थ व संगुलित खानपान का विशेष ध्यान देना चाहिए।

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उन्होंने बताया की समाज के अंतिम व्यक्ति को भी सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सके इसके लिए हमारी टीम इलाके का भ्रमण कर जरूरतमंदों को चिह्नित कर बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने तक सहयोग करती है। जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में हमारी टीम तैनात है। उन्होंने सभी से अपील की है कि जिनका भी बच्चा हृदय रोग से पीड़ित हैं वह अपने स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र आकर हमारी टीम को सूचना दें। उनके बच्चे का पूरी तरह निःशुल्क समुचित इलाज करवाया जाएगा।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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