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रशिया, चीन और ईरान : जैसी करनी वैसी भरनी

        वीरेंद्र बहादुर सिंह

पूरी दुनिया के लोगों पर एक अध्ययन हुआ है। आखिर सामान्य लोगों को अच्छी तरह जीने के लिए क्या चाहिए? इसके जवाब में ज्यादातर लोगों ने कहा कि हमें शांति, स्थिरता और सुरक्षा चाहिए। हमें सत्ता या वर्चस्व नहीं स्थापित करना। हम मेहनत करते हैं, घर चल सके इतना कमा लेते हैं। पत्नी, बच्चों और परिवार के साथ खुश हैं। हमारे छोटे-छोटे सपने हैं, जिन्हें पूरा करने का प्रयास करते हैं। मां-बाप और संतानों को खुश और हंसता देख कर हमें खुशी होती है। छोटा सा घर और दो जून की रोटी मिल जाए, इसके लिए हम भगवान का आभार मानते हैं। हम सभी का भला चाहते हैं। किसी से कुछ लेना नहीं है। मेहनत से जो मिल जाए, बस उतना ही चाहिए।

इस अध्ययन के अंत में दुनिया के लीडरों को एक मैसेज दिया गया था कि आप देश के लोगों को शांति, स्थिरता और सुरक्षा दीजिए। सुख वे अपने आप खोज लेंगे। पर यह बात दुनिया के तमाम देशों के नेताओं की समझ में नहीं आती। रूस, चीन और ईरान में इस समय जबरदस्त उत्पात मचा हुआ है। इसका कारण वहां के सत्ताधीशो की सत्ता, वर्चस्व, आधिपत्य और जो मन में आए, वह करने की नीयत है। इन तीनो देशों के लोग तो परेशान हैं ही, इनकी वजह से पूरी दुनिया के लोगों को कोई न कोई परेशानी झेलनी पड़ रही है।

रूस छोड़कर लोग भाग रहे हैं। रूस के प्रेसीडेंट ब्लादिमीर पुतिन जो निर्णय ले रहे हैं, उससे उन्ही के देश के लोग परेशान हैं। रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है, जिसका आठवां महीना चल रहा है। अभी यह युद्ध कब तक चलेगा और इसका अंत क्या होगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। यूक्रेन फना हो कर भी फाइट दे रहा है। जबकि पुतिन किसी भी समाधान के लिए तैयार नहीं है। रूस के इस युद्ध के कारण जबरदस्त आर्थिक नुकसान हुआ है। अमेरिका द्वारा लगाए असंख्य प्रतिबंधों का असर अब रूस पर दिखाई देने लगा है। कोई भी देश जब युद्ध के लिए निकलता है तो उसके लिए दो चीजें महत्वपूर्ण होती हैं।

एक तो सेना का जोश और दूसरा देश की जनता का साथ। रूस में अब यह दोनों तली में बैठ गए हैं। जवानों का मोरल डाउन है और लोगों में हताशा फैल गई है। पुतिन ने सेना में तीन लाख लोगों की भर्ती की बात कही है। देश के युवकों और पहले सेना में नौकरी कर चुके जवानों को सेना में भर्ती होने के लिए के लिए बुलाया जाएगा। यह सुन कर लोग डर गए हैं। लोग पड़ोसी देशों में पलायन कर रहे हैं। रूस से जुड़े ज्योर्जिया बार्डर पर रूस की कारों की लाइन लगी है। ज्योर्जिया की राजधानी तब्लिसी में ही चालीस हजार लोग आ गए हैं। मास्को से उड़ान भरने वाली फ्लाइटों में लोग टिकट के लिए मुंहमांगी रकम देने को तैयार हैं। जो टिकट एक लाख से भी कम की थी, लोग उसका इक्कीस लाख दे रहै हैं। सभी की जुबान पर एक ही बात है कि हम देश के वातावरण से ऊब गए हैं। एक बात तो यह भी है कि अब पुतिन की समझ में भी नहीं आ रहा कि क्या किया जाए। डर इस बात का है कि कहीं पुतिन को जो न करना चाहिए, वह न कर डालें। पुतिन बारबार परमाणु हमले की धमकी देते रहते हैं। जिसकी वजह से पूरी दुनिया का चिंतित होना स्वाभाविक है।

चीन को भी चैन नहीं पड़ता। चीन से जुड़े तमाम चौदह देशों से चीन का कोई न कोई इश्यू है। दुनिया के अनेक देशों से चीन ने पंगा ले रखा है। ताइवान पर अपने फाइटरों के काफिले को उड़ा कर चीन डराता रहता है। हांगकांग में भी लोगों को परेशान करने वाले निर्णय लेता रहता है।

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बारे में भी भेदभ्रम चल रहा है। उन्हें हटाने का व्यूह रचा जा रहा है और चीन में तख्तापलट निश्चित है इन बातों के बीच शी जिनपिंग ने खुलेआम दिखा दिया है। चीन पैक देश है। उसकी सही बातें कभी बाहर नहीं आतीं। चीन क्रूर देश है। चीन भले ही अपनी आर्थिक ताकत का गीत गाता हो, पर कोरोना के कारण चीन को जबरदस्त आर्थिक नुकसान हुआ है। दुनिया के ज्यादातर देश चीन से दूर हो रहे हैं। जो देश चीन के साथ हैं, उनमें चीन, नार्थ कोरिया, पाकिस्तान, तुर्की अफगानिस्तान और दो-चार देशों का समावेश है। इन सभी देशों की हालत इस समय खराब है। कोई भी देश चीन के काम आने वाला नहीं है। दुनिया की नामी कंपनिया चीन से बिस्तर समेट रही हैं। शी जिनपिंग के सामने उनके ही देश में ही सवाल उठने लगे हैं। कहा जाता है शी जिनपिंग की तबीरत ठीक नहीं है। चीन में जो चल रहा है, उसमें कुछ नया-पुराना हो जाए, इसमें कोई हैरान होने वाली बात नहीं है।

ईरान में हिजाब को ले कर बवाल मचा हुआ है। बाईस साल की महसा अमीनी नाम की युवती ने हिजाब नहीं पहना तो पुलिस ने उसे पकड़ कर जेल में डाल दिया। इसके बाद उसके साथ कुछ ऐसा हुआ कि उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद ईरान में लोगों में रोष पैदा हो गया। आंदोलन फूट पड़ा।

पुलिस फायरिंग में पचहत्तर लोग मारे गए। धीरे-धीरे स्थिति सुधर रही थी कि विरोध प्रदर्शन में उतरी बीस साल की हदीस नफाजी को पुलिस ने गोली मार दी। उसकी मौत के बाद लोग उत्तेजित हो उठे हैं। अब बवाल शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। इस मुद्दे पर ईरान के एक पाॅलिटिकल एक्सपर्ट्स ने जो बात कही, वह समझने लायक है। उन्होंने कहा कि हिजाब तो निमित्त मात्र है। सही बात तो यह है कि लोग सरकार की रीति-नीति से तंग आ गए हैं। लोगों के मन में उबाल है। उसे बाहर लाने के लिए कारण खोज रहे थे।

ईरान में इस्लामिक क्राति हुई उसके पहले मुक्ति का जो वातावरण था, उसकी यादें ताजा हो गईं। ईरान का समाज रूढ़िवादी है। वहां महिलाएं विरोध करने के लिए बहुत कम बाहर निकलती हैं। इस समय जिस तरह महिलाएं सड़क पर उतरी हैं, खुलेआम खुले सिर के बाल काट रही हैं, यह ईरान के सत्ताधीशों के लिए लालबत्ती है। रूस, चीन और ईरान में जो वातावरण बना है, इसके लिए वहां की सरकारों द्वारा लिए निर्णय जिम्मेदार हैं। रूस के कारण यूक्रेन की हालत खराब हो गई है। चीन ताइवान को डरा रहा है। ईरान पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाए हैं। लोग परेशान हैं। दुनिया के नेताओं को इससे एक सीख लेने की जरूरत है कि जो लोगों की शांति छीनेंगे, वे भी शांति से नहीं बैठ पाएंगे।

 

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