• नव दिवसीय श्री रामकथा की पूर्णआहुति, विशाल अटल भोज सम्पन्न
लखनऊ। सत्संग की प्राप्ति नहीं होने से ही मनुष्य विचार शून्य होते चले जा रहे हैं। मनुष्य को बुद्धि और विवेक की प्राप्ति के लिए सत्संग बहुत ही आवश्यक है। सत्संग की प्राप्ति नहीं होने के कारण व्यक्ति अच्छे-बुरे का निर्णय नहीं कर पाता है। सरस् श्रीराम कथा गायन के लिए सर्वप्रिय प्रेममूर्ति पूज्य प्रेमभूषण महाराज ने उक्त बातें लखनऊ के गोमती नगर विस्तार स्थित सीएमएस विद्यालय के मैदान में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के नौवें दिन व्यासपीठ से कथा वाचन करते हुए कहीं।
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श्री रामकथा गायन के माध्यम से भारतीय और पूरी दुनिया के सनातन समाज में अलख जगाने के लिए जनप्रिय कथावाचक प्रेमभूषण जी महाराज ने श्री राम कथा गायन के क्रम में कहा,
“हम विचार करें कि जीवन में सुख पाने के लिए हमें क्या चाहिए?” इतिहास गवाह है कि संसार के समान से आज तक कोई भी सुखी नहीं हो पाया है। असली सुख जहां है, उसकी तलाश आज का मनुष्य करता भी नहीं है। हमारे सदग्रंथ बताते हैं कि अगर जीवन में सचमुच सुख चाहिए तो हमारे पास दो वस्तुओं की आवश्यकता होती है। प्रथम है निरंतर भक्ति और दूसरा है सत्य का संग।
हमारे सनातन सद्ग्रन्थों ने बताया है कि 84 लाख योनियों में विचरण करने के बाद भी कभी प्रभु की कृपा होने से ही मनुष्य का शरीर प्राप्त होता है। अगर मनुष्य का शरीर प्राप्त हुआ है तो आप समझें कि आप सचमुच भाग्यशाली हैं। और अगर इसके साथ आपको सत्संग की प्राप्ति हो गई हो तो आप उससे भी अधिक भाग्यशाली हैं। हमारे लिए तो यह आवश्यक है कि हम निरंतर सत्संग में रहें और आवश्यकता पड़ने पर ही हमें सांसारिक कार्यों में भी जाना चाहिए। लेकिन साथ ही हमें बार-बार सत्संग में वापसी के लिए भी प्रयास करते रहना चाहिए।
पूज्य श्री ने कहा कि प्रयास करें कि मुंह छुपाना पड़े हमसे ऐसा कर्म कभी नहीं हो। कई जन्मों के सत्कर्म के बाद मनुष्य का तन मिलता है अतः इस तन सही उपयोग यही है कि हम भगवत कार्य में लगे और जीवन में कभी भी ऐसा कर्म नहीं करें जिसके लिए हमें मुंह छुपाना पड़े। बल्कि घर में रहें या बाहर जहां भी आप जाएं तो लोग समझे कि एक भगत जी जा रहे हैं।
ममता चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में सी एम एस विद्यालय के निकट मैदान में आयोजित नौ पूर्णाहुति सत्र की कथा पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी को समर्पित करते हुए दोपहर 1 बजे से ही प्रारंभ हुई।
श्री रामकथा के माध्यम से भारतीय और पूरी दुनिया के सनातन समाज में अलख जगाने के लिए सुप्रसिद्ध कथावाचक प्रेमभूषण महाराज ने कहा कि आप क्या हैं? यह लोग नहीं बताएंगे। वास्तव में लोग जो कहेंगे या कहते हैं उस पर ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है। यह तो आप खुद ही जानते हैं कि आप क्या हैं? मनुष्य का दोहरा चरित्र नहीं होना चाहिए। हम भगवान के समीप चाहे जितना भी बनाके या सजाकर जाएं भगवान को पता है कि हम क्या हैं? इसलिए भगवान के पास भी जब हम उपस्थित हो तो सहज स्वरूप में उपस्थित हों किसी भी तरह के बनावट की आवश्यकता ना पड़े।
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पूज्य श्री ने कहा कि यह समाज उसी को स्मरण में रखता है जो समाज को कुछ देता है। अंगद जी ने रावण को समझाते हुए बताया था कि 14 प्रकार के लोग जीवित रहते हुए मृतक के समान हैं। हमें हमारे सनातन सद्ग्रन्थ बताते हैं कि हम किस प्रकार अपना जीवन जियें? इस कलयुग में बहुत कठिन तप करने की आवश्यकता नहीं है । केवल भजन में रहने भर से मनुष्य का जीवन सफल हो जाता है। इस कलिकाल में सिर्फ 1 दिन की कथा भी किसी का जीवन बदल सकती है भगवान की कथा इतनी पावन है ही।
मीडिया प्रभारी तारकेश्वर मिश्र ने बताया कि महाराज की आगामी कथा कोटा राजस्थान में आगामी 2 जनवरी से प्रस्तावित है। कथा की पूर्णाहुति पर अटल भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें हजारों लोगों ने प्रसाद लिया। कथा की समाप्ति पर भव्य आरती का आयोजन किया गया जिसे नैमिषारण्य से आए सुनीत पाण्डेय और विशेष पंडितों के समूह ने बड़े भव्य तरीके से संपन्न किया। विशेष सत्र का श्रवण करने के लिय बड़ी संख्या में विशिष्ट जन उपस्थित रहे। पूज्यश्री ने दर्जनों भजनों की सुमधुर प्रस्तुति से हजारों की संख्या में उपस्थित श्रोतागण को झूम कर नृत्य करने के लिए बाध्य कर दिया।
कथा में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं गंगा समग्र के राष्ट्रीय संगठन मंत्री राम आशीष, उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, केजीएमयू में जियाट्रिक साइकिएट्री के प्रोफेसर डॉक्टर शैलेन्द्र मोहन त्रिपाठी, एडवोकेट अनिल मिश्रा प्रत्याशी अवध बार एशोसियेशन उच्च न्यायालय लखनऊ सहित विभिन्न विशिष्ट अतिथियों ने मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम, भारत रत्न अटल एवं सेवा की प्रेरणा श्रोत स्मृति शेष ममता मिश्रा के विशाल प्रतिमा का अनावरण कर महराज से आशीर्वाद प्राप्त किया तथा ममता चैरिटेबल ट्रस्ट परिवार की तरफ से चीफ ट्रस्टी राजीव मिश्रा, संरक्षक ट्रस्टी डॉ राजेश शुक्ला, कोषाध्यक्ष एड. गौरव पांडे आदि ने अतिथियों का मोमेंटो तथा अंग वस्त्र भेट कर स्वागत-सम्मान किया।
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श्रीराम कथा पूर्ण आहुति नैमिषारण्य से पधारे संतों के महाआरती से हुई। समापन के बाद दिव्य अटल भंडारे का आयोजन हुआ। उक्त भोज में उमड़े भक्तों के सैलाब ने प्रसाद ग्रहण किया। संस्थापक ट्रस्टी डॉ राजेश शुक्ला ने सभी का आभार व्यक्त किया।