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सियासत में साहित्य जैसी संवेदनशीलता


 डॉ.दिलीप अग्निहोत्री

साहित्य का प्रादुर्भाव संवेदनशीलता से होता है। राजनीति का क्षेत्र व विषय अलग होता है। फिर भी देश के अनेक लोगों ने साहित्य और सियासत के बीच बेहतर सामंजस्य किया। वह संवेदनशीलता का मूलभाव लेकर आगे बढ़े। इसका प्रकटीकरण दोनों क्षेत्रों में बखूबी हुआ। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ऐसी ही विभूतियों में थे। सार्वजनिक जीवन की अनवरत व्यस्तता के बाद भी उन्होंने साहित्य के लिए समय निकाला। राजनीति की तरह ही उनकी कविताएं भी जन सामान्य को प्रभावित करती रही। अटल जी के व्यक्तित्व का यह प्रेरणादायक पहलू था। उनके जन्मदिन की पूर्व संध्या पर लखनऊ में काव्य सन्ध्या के माध्यम से उनको श्रद्धाजंलि अर्पित की गई।

इस अवसर पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अटल जी ने कवि और साहित्यकार की संवेदनशीलता को राजनीति में भी अक्षुण्ण रखा। अटल जी ने यह बताया कि राजनीति मूल्यों और आदर्शों की होनी चाहिए तथा इसे अपने व्यक्तित्व व कृतित्व से प्रचारित व प्रसारित भी किया। सार्वजनिक जीवन के साथ-साथ उनकी स्मृतियां और संस्मरण लोगों को सदैव प्रेरित करते रहेंगे। सार्वजनिक जीवन में आदर्शों व मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध होकर हम अटल जी को सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं।

राष्ट्रवादी काव्य

अटल जी की कविताओं में समाज व राष्ट्र के हित का भाव समाहित था। मुख्यमंत्री ने कहा कि अटल जी की कविताएं राष्ट्रवाद, सार्वजनिक जीवन में नैतिक मूल्य व आदर्शों के साथ साथ संघर्ष का प्रतीक हैं। उन्होंने जो सपना देखा था,वह आज साकार हो रहा है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सहयोगी व सहायक के रूप में अटल जी ने कार्य किया था। कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त की जा चुकी है। इससे डाॅ. मुखर्जी का संकल्प पूरा हुआ है। सार्वजनिक जीवन में परम्परा और संस्कृति के साथ प्रतिबद्धताओं पर अमल के सुपरिणाम मिलते हैं।

विकास कार्यों की प्रेरणा

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अटल जी की देन थी। इस योजना के माध्यम से आज गांव पक्के मार्गों से जुड़ चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अटल जी की परम्परा का वहन करते हुए प्रतिबद्ध होकर देश और जनता की भलाई के लिए कार्य कर रहे हैं।

गांव हमारी अर्थव्यवस्था का आधार रहे हैं। पक्के मार्गों और विद्युत की उपलब्धता से किसान लाभान्वित हुए और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई। वर्तमान केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों को बगैर किसी भेदभाव के समाज के सभी वर्गों के कल्याण के लिए लागू किया जा रहा है।

दीपोत्सव व देव दीपावली

वर्तमान सरकार तीर्थाटन व पर्यटन विकास को भी प्रोत्साहन दे रही है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अयोध्या की पहचान दीपोत्सव से रही है। यह हमारी सनातन आस्था का केन्द्र बिन्दु रहा है। वहां पर दिव्य एवं भव्य दीपोत्सव की परम्परा विगत तीन वर्षों से जारी है।

इसी प्रकार, वाराणसी में देव दीपावली का भी आयोजन किया गया है। इस प्रकार के आयोजन तीर्थाटन व पर्यटन का विकास करते है। सांस्कृतिक रूप में राष्ट्र को एक सूत्र में जोड़ने का कार्य होता है। काव्य संध्या में कवि कुमार विश्वास द्वारा श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी को समर्पित एकल काव्य पाठ किया गया।

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