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मोदी की गोरखपुर यात्रा का महत्व

डॉ दिलीप अग्निहोत्री
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

कुछ वर्ष पहले तक पूर्वी उत्तर प्रदेश को पिछड़ा व बीमारू माना जाता था। जहां चिकित्सा,मूलभूत व ढांचागत सुविधाओं का अभाव था। योगी आदित्यनाथ सरकार ने इन समस्याओं के समाधान का कार्य प्रारंभ किया। अनेक कल्याणकारी योजनाएं पफले से क्रियान्वित हो रही है। कई योजनाओं का अब लोकार्पण भी किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोरखपुर में करीब एक हजार करोड़ रुपये की अनेक परियोजनाओं का लोकार्पण किया। इनमें गोरखपुर खाद कारखाना और एम्स जैसी अति महत्वपूर्ण परियोजना भी शामिल है।

दशकों से इन परियोजनाओं की प्रतीक्षा की जा रही थी। किंतु पिछली सरकारों ने इनके प्रति गंभीरता नहीं दिखाई। पूर्वी उत्तर प्रदेश में चालीस वर्षों तक जापानी बुखार का प्रकोप रहा। तभी से यहां एम्स की मांग की जा रही थी। सांसद के रूप में योगी आदित्यनाथ भी इस मांग को उठाते रहे। उन्होंने अनेक बार यहां बन्द पड़े खाद कारखाने का मुद्दा भी उठाया। किंतु यह सभी कार्य उनके ही हांथों पूरे होने थे।

तीन दशक से बंद पड़े इस कारखाने को छियासी सौ करोड़ रुपये की लागत से पुनर्जीवित किया गया है। यूरिया उत्‍पादन में आत्‍मनिर्भरता अभियान का यह महत्वपूर्ण पड़ाव होगा। गोरखपुर संयंत्र स्‍वदेशी नीम कोटेड यूरिया का सालाना बारह एलएमटी से अधिक उत्‍पादन करेगा। इससे पूर्वांचल के किसानों को लाभ मिलेगा। साढ़े चार वर्षों में पूर्वी उत्तर प्रदेश की अनेक समस्यों का समाधान किया गया। यह दशकों से उपेक्षित रहा है। विकास की दृष्टि से पूर्वी उत्तर प्रदेश बहुत पीछे रह गया था। योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद ही विकास की योजनाओं पर प्रभावी क्रियान्वयन प्रारंभ कर दिया था। उन्होंने जापानी बुखार की समस्या के समाधान हेतु अभियान चलाया। इसका सकारात्मक परिणाम हुआ। अब यह समस्या लगभग समाप्त हो गई है।

इसके साथ ही अब गोरखपुर में फर्टिलाइजर कारखाने एवं एम्स निर्माण का वर्षों पुराना सपना साकार हुआ। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा जनपद गोरखपुर में फर्टिलाइजर कारखाने एवं एम्स का लोकार्पण अत्यन्त ऐतिहासिक क्षण है। प्रधानमंत्री द्वारा लोकार्पित यह सभी परियोजनाएं आत्मनिर्भर भारत को खाद्य सुरक्षा तथा स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण योगदान करेंगी। करीब छह सौ एकड़ में स्थापित खाद कारखाने की लागत आठ हजार करोड़ रुपए से अधिक है। इस संयंत्र की क्षमता बाइस सौ मीट्रिक टन लिक्विड अमोनिया तथा अड़तीस सौ मीट्रिक टन से अधिक नीम कोटेड यूरिया प्रतिदिन है। यह खाद कारखाना बारह लाख मीट्रिक टन से अधिक प्रिल्ड नीम कोटेड यूरिया का वार्षिक उत्पादन करेगा। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स की अनुमोदित लागत एक हजार करोड़ रुपए से अधिक है।

इसकी स्थापना एक सौ बारह एकड़ क्षेत्र में की जा रही है। इस उच्चस्तरीय विशेषज्ञ चिकित्सा संस्थान के माध्यम से मरीजों को उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएंगी। गोरखपुर एम्स चौदह अत्याधुनिक मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर,उच्च श्रेणी के नवीनतम सीटी, एमआरआई, डायलिसिस मशीन,सी आर्म मशीन सहित अनेक मेडिकल उपकरणों एवं सुविधाओं से युक्त है। आईसीएमआर रीजनल मेडिकल रिसर्च सेण्टर, इंसेफेलाइटिस,डेंगू, चिकुनगुनिया,कालाजार सहित कोरोना जैसी बीमारी के वायरस की पहचान करने तथा उसके उपचार के लिए अनुसंधान को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

इस चिकित्सा संस्थान में ओपीडी का उद्घाटन करीब दो वर्ष पूर्व किया गया था। इस समय सोलह सुपर स्पेशलिटी विभागों की ओपीडी शुरू हो चुकी है। उद्घाटन के बाद तीन बेड का अस्पताल पूरी तरह से कार्य करना शुरू कर देगा। इसे साढ़े सात सौ बेड तक विस्तारित करने की योजना है। योगी सरकार बनने के बाद से स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष ध्यान दिया गया। योगी सरकार आज एक जनपद एक मेडिकल कॉलेज योजना को आगे बढ़ा रही है। प्रदेश के उनसठ जनपदों में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज क्रियाशील है। सोलह जनपदों में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज की स्थापना प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। प्रदेश में पहले आयुष विश्वविद्यालय महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का गोरखपुर में शिलान्यास किया गया। इसका निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय का निर्माण प्रारंभ हो चुका है। लोगों को चिकित्सा पर होने वाले खर्चों से राहत देने के लिए प्रदेश में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना आयुष्मान भारत में छह करोड़ सैंतालीस लाख लोगों को बीमा कवर दिया गया है। इसके साथ ही बयालीस लाख से अधिक लोगों का मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना में बीमा कवर सुनिश्चित किया गया है।

चिकित्सा क्षेत्र के समग्र विकास के लिए स्वास्थ्य शिक्षा पर भी योगी सरकार विशेष ध्यान दे रही है। प्रदेश में एमबीबीएस की करीब एक हजार सीटें बढ़ाई गईं हैं। तथा केंद्र सरकार से नौ सौ सीटें बढ़ाए जाने की अनुमति शीघ्र मिलने की संभावना है। एमडी एवं एमएस में करीब सवा सौ सीटों की वृद्धि की गई है। चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु साथ वर्ष से बढ़ाकर बाँसठ वर्ष कर दी गई है। इसके साथ ही ग्यारह सौ से अधिक भारतीय जन औषधि केन्द्रों के माध्यम से सस्ती एवं गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। गोरखपुर खाद करखान्स हिंदुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड के अंतर्गत स्थापित किया गया है। यह नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन,कोल इंडिया लिमिटेड,इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड, फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया,हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड की एक संयुक्त उपक्रम कंपनी है।

यह गोरखपुर, सिंदरी व बरौनी उर्वरक संयंत्रों के पुनरुद्धार पर काम कर रही है। गोरखपुर संयंत्र परियोजना में करीब डेढ़ सौ मीटर का दुनिया का सबसे ऊंचा प्रिलिंग टावर है। इसमें भारत का पहला वायु संचालित रबर डैम और सुरक्षा पहलुओं को बढ़ाने के लिए ब्लास्ट प्रूफ नियंत्रण कक्ष भी है। गोरखपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा संस्थान एम्स आधारशिला करीब पांच वर्ष पूर्व रखी गई थी। इसकी स्थापना प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत की गई है। जिसमें तृतीय स्‍तर की स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल सेवाओं की उपलब्धता में क्षेत्रीय असंतुलन को ठीक करने के लिए संस्थान स्थापित किए जा रहे हैं। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के वह सभी सपने साकार हो रहे हैं,जिन्हें पिछली सरकारों की नाकामियों ने असंभव बना दिया था। तीन बड़े प्रोजेक्ट का उद्घाटन पूर्वी उत्तर प्रदेश की दृष्टि से अब तक का सबसे बड़ा निवेश है।

पिछले चालीस वर्षों में पचास हजार से ज्यादा बच्चे इंसेफलाइटिस के चलते काल के गाल में समा गए थे। पूर्वी उत्तर प्रदेश को बीमारियों से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक एम्स दिया था। उसका लोकार्पण किया गया। यहां लोगों को विश्व स्तरीय विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी। इंसेफलाइटिस के वायरस की पहचान की पुख्ता व्यवस्था नहीं थी। सैंपल पुणे भेजे जाते थे। अब इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के बीआरडी मेडिकल कॉलेज स्थित रीजनल सेंटर आरएमआरसी में हाईटेक लैब्स की व्यवस्था कर दी गई है।

इंसेफलाइटिस, कालाजार,चिकनगुनिया डेंगू और कोरोना तक के वायरस की जांच यहीं होगी। तीस वर्ष पहले फर्टिलाइजर कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया का खाद कारखाना बंद हो गया था। इस अवधि में अनेक सरकारें आईं। आश्वासन पर आश्वासन दिए गए। लेकिन प्रयास नहीं किये गए। यह एक सपना ही लगता था। लेकिन अब यह सपना साकार हो चुका है।

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