- Written by– Dr. Dilip Agnihotri, Published by- @MrAnshulGaurav, , Monday, 28 Febraury, 2022
धार्मिक स्थलों पर पहुंच कर नरेंद्र मोदी भाव विह्वल हो जाते है। उनकी आंतरिक आध्यात्मिक चेतना अभिव्यक्त होती है। शिवरात्रि के कुछ घण्टे पहले उनकी काशी यात्रा में भी यह दृश्य था। उन्होंने भव्य दिव्य श्री काशी विश्वनाथ धाम में पूजन किया। जनसभा में एक विपक्षी नेता के बयान का अपरोक्ष उल्लेख किया। आपदा और आलोचना को अवसर में बदलना मोदी बखूबी जानते है। उन्होंने काशी के संबन्ध में प्रचलित मान्यता को विपक्षी नेता के बयान से जोड़ा। इस आधार पर अपने को सौभग्यशाली बताया। काशी के प्रति अपने लगाव का मार्मिक उल्लेख किया। इस तरह आलोचना को अवसर में बदल दिया।
प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने अपने दायित्व को आस्था तक सीमित नहीं रखा। उन्होने भारत की अर्थव्यवस्था में पर्यटन और तीर्थाटन को शामिल किया। भारत में पर्यटन व तीर्थाटन की अपार संभावना है। यहां मानव सभ्यता के सर्वाधिक प्राचीन व दुनिया में प्रतिष्ठत स्थल है। किंतु आजादी के बाद इनको विकसित करने पर ध्यान नहीं दिया गया। इस विषय को सेक्युलर सियासत से जोड़ दिया गया। जो इनके विकास की बात करे,वह साम्प्रदायिक करार दिया गया। इन स्थलों से बेपरवाह लोग सेक्युलर हो गए। जबकि नरेंद्र मोदी ने काशी को क्वेटो की तरह विश्व स्तरीय बनाने का सन्देश दिया था। यह उनकी व्यापक कार्य योजना के अनुरूप था।
इसके साथ ही वह श्री रामजन्म भूमि मंदिर के संवेदनशील विषय का समाधान चाहते है। पांच सौ वर्षों से यह विवाद का विषय बना हुआ था। नरेंद्र मोदी के पहले इसका समाधान असंभव लग रहा था। लेकिन, मोदी को लगा कि यह समस्या भावी पीढ़ी के लिए छोड़ना अनुचित है। यह अपनी जिम्मेदारी और जबाबदेही से बचने की कोशिश होगी। मोदी के कार्यशैली किसी विषय को अनन्त काल तक लंबित छोड़ देने की नहीं है। उनकी सरकार ने न्यायपालिका से इस मसले पर तेजी से विचार का आग्रह किया। सरकार ने अपनी तरफ से अपेक्षित दस्तावेज देने में बिलंब नहीं किया। सरकार ने अपना दायित्व निभाया। जबकि दूसरी तरफ विपक्ष से जुड़े दिग्गज वकील थे। इनका प्रयास जगजाहिर था। ये लोग पहले की सरकार में थे।
इनकी सरकार ने रामसेतु के विषय को काल्पनिक करार दिया था। उनकी सरकार रामसेतु को ध्वस्त करने का संकल्प ले चुकी थी। लेकिन उसकी मुराद पूरी नहीं हुई। ऐसे लोगों से इस समस्या के समाधान की कोई उम्मीद भी नहीं थी। अंततः नरेंद्र मोदी सरकार ने अपेक्षित प्रयास किया। न्यायपालिका ने तथ्यों और प्रमाणों को विश्वसनीय माना। मंदिर निर्माण के पक्ष में निर्णय आया। नरेंद्र मोदी मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन में सहभागी हुए। इसके बाद भी विरोधियों ने बाधा पहुंचाने का प्रयास किया। लेकिन, उन्हें अपने प्रयास में सफलता नहीं मिली।
इसी प्रकार सरकार ने ढाई सौ वर्ष बाद श्री काशी विश्वनाथ धाम को भव्य स्वरूप में प्रतिष्ठित किया। नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले काशी में कहा था कि उन्हें मां गंगा ने बुलाया है। प्रतीकात्मक रूप से बात सही सिद्ध हुई। नरेंद्र मोदी यहां से एमपी व देश के पीएम बने। इधर उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी। गंगा मैया शिव जी के धाम तक पहुंच गई। विश्वनाथ मंदिर को संकरी गलियों से मुक्त कर पुरातन धार्मिक स्वरूप प्रदान किया गया। काशी विश्वनाथ धाम से मां गंगा भी एकाकार हो गई है। विश्वनाथ धाम से मां गंगा और गंगा तट से मंदिर का स्वर्ण शिखर स्पष्ट दिखाई देने लगा।
प्रधानमंत्री बनने से पहले कहा गया नरेंद्र मोदी का कथन फलीभूत हुआ। नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह जब यहां आये तो यहीं के होकर रह गये। काशी की सेवा, महादेव और मां गंगा के चरणों में बैठने का पुण्य लाभ मिला। काशी भारत की प्राचीन सांस्कृतिक राजधानी रही है। मगर, पिछली सरकारों ने इस नगरी को विकास से वंचित रखा। आज बनारस बदल रहा है। आज काशी विश्वनाथ धाम देश की गरिमा के अनुरूप भव्य झांकी स्वरूप में स्थापित हुआ है। सदियों बाद बाबा का धाम और मां गंगा फिर से एक बार जुड़े हैं।
नरेंद्र मोदी ने एक विपक्षी नेता के बयान पर अपनी मार्मिक प्रतिक्रिया व्यक्त की। कहा कि सार्वजनिक रूप से काशी में मेरी मृत्यु की कामना की गई। इससे मुझे बहुत आनंद आया मन को बहुत संतोष मिला। विपक्षी नेता ने नरेंद्र मोदी की काशी यात्रा पर तंज किया था। कहा था कि अंतिम समय पर काशी से अच्छी जगह कोई और नहीं हो सकती। यह बयान अमर्यादित था। मोदी ऐसे बयानों को शुरू से झेल रहे हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए भी उन पर इस प्रकार के हमले होते थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उनमें कमी नहीं आई। नरेंद्र मोदी ने एक बार कहा था कि इस प्रकार के हमले उन्हें कार्य करते रहने की ऊर्जा प्रदान करते है। उनका यह बयान, तथ्यों के आधार पर भी प्रमाणित है। विपक्षी हमलों के बीच वह लगातार आगे बढ़ते रहते है।
गुजरात में भी लगातार उन्हें आमजन के विश्वास मिलता रहा। प्रधानमंत्री बनने के बाद उनकी यह यात्रा राष्ट्रीय स्तर पर निरंतर जारी है। वह देश व विदेश के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता है। विरोधियों को इतने वर्षों बाद उनके मुकाबले का सही तरीका भी नहीं आया। काशी से जोड़ कर की गई उनकी निंदा से एक बार फिर यह प्रमाणित हुआ। मोदी ने कहा कि घोर विरोधी भी ये देख रहे हैं कि काशी के लोगों का मुझ पर कितना स्नेह है। उन लोगों ने तो मेरे मन की मुराद पूरी कर दी। इसका मतलब ये कि मेरी मृत्यु तक ना काशी के लोग मुझे छोड़ेंगे, और ना ही काशी मुझे छोड़ेगी।
काशी जीवंत नगरी है। यह मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। पिछली सरकारों में यह दशा थी कि अपराधी, बाबा विश्वनाथ मंदिर से सोना काटकर ले गए थे। मंदिरों से मूर्तियां चोरी हो जाती थीं। काशी में घाटों पर, मंदिरों पर बम विस्फोट होते थे। सरकार आतंकियों से खुलेआम मुकदमे वापस ले रही थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि बाबा विश्वनाथ के भक्तों की सेवा करते हुए अगर मैं चला जाऊं तो इससे बड़ा सुख और क्या होगा। काशी अयोध्या से शुरू विकास यात्रा को जारी रखना है। यह कार्य केवल राष्ट्रवादी सरकारें ही कर सकती है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)