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संविधान का सफल या असफल होना शासन चलाने वालों पर निर्भर करेगा-डॉ. अम्बेडकर

संविधान को भारतीय समाज के लिए एक मार्ग दर्शक दस्तावेज के रूप में प्रस्तुत करने में डॉक्टर अम्बेडकर की सबसे प्रभावी और निर्णायक भूमिका थी। इसीलिए डॉक्टर अम्बेडकर को भारतीय संविधान का निर्माता कहा जाता है। और संविधान सभा ने भी मानी डॉक्टर आंबेडकर की भूमिका कमेटी के एक सदस्य टी टी कृष्णमाचारी ने नवंबर 1948 में संविधान सभा के सामने कहा था कि मुझे इस बात का कोई संदेह नहीं है कि हम सबको डॉक्टर आंबेडकर का आभारी होना चाहिए कि जो ड्राफ्टिंग कमेटी के सात सदस्य नामितकीय गया है उनमें एक ने इस्तीफा दे दिया है, उनके स्थान पर अन्य सदस्य आ चुके है, एक की मृत्यु हो चुकी है और उनकी जगह कोई सदस्य नहीं आया है।

एक सदस्य अमेरिका में है वह भी जगह खाली है, एक अन्य सदस्य सरकारी मामलों में उलझे हुए थे और वह अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं कर रहे थे। एक दो सदस्य दिल्ली से दूर थे और स्वास्थ्य की वजह से कार्यवाहियों में हिस्सा नहीं ले पाए। कुल मिलाकर संविधान को लिखने का भार डॉक्टर आंबेडकर के ऊपर ही आ पड़ा है। (संविधान सभा की बहस खंड 7 पृष्ठ 231)

                     आर.पी. राव
           मण्डल कार्यकारी अध्यक्ष
(उत्तरीय रेलवे मजदूर यूनियन, लखनऊ)

डॉक्टर बाबा साहेब अम्बेडकर जी ने भारत के गरीबों, मजलूमों, महिलाओं के लिए जीवन पर्यंत काम किया, भारत के मूलनिवासियों के इतिहास को ढूंढ कर लिखा, सन 1919 से लेकर 1932 तक अथक संघर्ष करके प्रत्येक भारतीय नागरिक को समान वोट का अधिकार दिलाया, और भारतीय संविधान को लिखकर हम भारतीयों को समान अधिकार दिया जिसके लिए हम भारतीय उनके आजीवन ऋणी रहेंगे।

डॉक्टर अम्बेडकर कई विषयों के विद्वान थे। स्वतंत्रता, समता, बंधुता, न्याय, विधि का शासन, विधि के समक्ष समानता, लोकतांत्रिक प्रक्रिया और धर्म, जाति, लिंग और अन्य किसी भेदभाव के बिना सभी सदस्यों के लिए गरिमामय जीवन भारतीय संविधान का दर्शन एवं आदर्श है। इन शब्दो के निहितार्थ को भारतीय समाज में व्यवहार में उतरने के लिए वे आजीवन संघर्ष करते रहे,इसकी छाप भारतीय संविधान में देखी जा सकती है।

डॉक्टर अम्बेडकर जी की भारतीय संविधान पर छाप, डॉक्टर अम्बेडकर भारतीय संविधान की सामर्थ्य एवं सीमाओं से भी बखूबी अवगत थे। उन्होने कहा था कि संविधान का सफल या असफल होना आखिरकार उन लोगो पर निर्भर करेगा जिन पर शासन चलाने का दायित्व है। वे इस बात से भी बखूबी परिचित थे कि संविधान ने राजनैतिक समानता तो स्थापित कर दी है लेकिन सामाजिक और आर्थिक समानता हासिल करना बाकी है,जो राजनैतिक समानता बनाए रखने के लिए जरूरी है। डॉक्टर बाबा साहेब अम्बेडकर ने भारत के गरीबों, मजलूमों,महिलाओं के लिए जीवन पर्यंत काम किया, भारत के मूलनिवासियों के इतिहास को ढूंढ कर लिखा।

सन 1919 से लेकर 1932 तक अथक संघर्ष करके प्रत्येक भारतीय नागरिक को समान वोट का अधिकार दिलाया, और भारतीय संविधान को लिखकर हम भारतीयों को समान अधिकार दिया जिसके लिए हम भारतीय उनके आजीवन ऋणी रहेंगे। बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर की 130वीं जयंती के पावन अवसर पर हमारी उनके प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि भारतीय संविधान को अपने जीवन में अमल में लाया जाए।

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