Breaking News

2020 का तबलीगी जमात और 2021 का हरिद्वार महाकुंभ: तुलना जरूरी है!

 दया शंकर चौधरी

देश भर में जानलेवा कोरोना वायरस की दूसरी लहर बड़ी संख्या में लोगों को संक्रमित कर रही है। ऐसे में केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक भीड़ न जुटाने व लापरवाही न करने की अपील कर रही है। वहीं कोरोना काल में हरिद्वार में आयोजित महाकुंभ एक गंभीर प्रश्न छोड़ देता है कि 2020 में दिल्ली के निजामुद्दीन में आयोजित तबलीगी जमात के मरकज को कोरोना हॉटस्पॉट बताया गया था। इतना ही नहीं तमाम नेताओं द्वारा यह भी कहा गया था कि यह कोई लापरवाही नहीं एक गंभीर आपराधिक कृत्य है। बता दें कि 2020 में तमाम मंत्रियों और भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों द्वारा दिल्ली में तब्लीगी जमात पर कुछ टिप्पणियां की गई थी जिसमें यहां तक कहा गया कि कोविड 19 फैलाना भी आतंकवाद की तरह ही है और वायरस फैलाने वाले सभी देशद्रोही हैं।”

उस समय कहा गया “कोरोना जिहाद”

बात आकर वहीं पर रूक जाती है कि स्पष्ट रूप से कैसे भाजपा की बयानबाजी ने महामारी के शुरुआती दौर में मुसलमानों के खिलाफ अभद्र भाषा और कट्टरता को हवा दी थी। हिंदुत्व के अनुयायियों ने दावा किया कि यह निश्चित रूप से “कोरोना जिहाद” है। जिसे मुसलमानों ने जानबूझकर भारत भर में वायरस फैलाने के लिए किया है। बात आसानी से नहीं थमी, लंबे समय तक आग लगाने वाले बयानों और वायरल वीडियो ने इस विचार को व्यक्त करने की मांग की कि देश में वायरस का प्रसार एक ही समुदाय की जिम्मेदारी थी। अब सवाल ये है कि क्या उत्तराखंड में वर्तमान में लगने वाले कुंभ मेले के महानिरीक्षक की ओर से एक ही टिप्पणी आने पर सरकार और भाजपा की सापेक्ष चुप्पी को समझा जा सकता है? अगर तब्लीगी जमात का जमावड़ा अभी हो रहा होता तो भारत कोविड -19 की दूसरी क्रूर लहर की चपेट में आता और दैनिक मामला 2020 के सबसे बुरे दिनों की तुलना में कहीं अधिक संख्या तक पहुंच जाता। तो क्या भाजपा और समर्थकों की प्रतिक्रिया ऐसी ही होती।

तब्लीगी जमात व कुंभ की घटना में भिन्नता

कुंभ के लिए गंगा के तट पर एकत्र होने वाले लाखों लोगों के प्रति कट्टरता या घृणा को बढ़ावा नहीं दिया गया है।लेकिन जमात व कुंभ यह दोयम दर्जे का है। तब्लीगी जमात व कुंभ की घटना में भिन्नता है। जमात के तहत यह स्पष्ट था कि सरकार एक सभा को भंग करने में विफल थी जो अंततः एक हॉटस्पॉट बन गया और फिर चीजों को बदतर बनाने के लिए आगे बढ़ी वहीं कुंभ के मामले में खतरे बहुत अधिक स्पष्ट हैं। जैसे ही कोरोना के नए संस्करण देश भर के राज्यों में फैल रहे हैं, मरीज़ों की संख्या को संभालने के लिए संघर्ष कर रहे अस्पतालों और श्मशान को भरने वाले शवों के साथ, उत्तराखंड सरकार हिंदू त्योहार पर संख्या सीमित करने की कार्रवाई करने में विफल रही है। इतना ही नहीं, सक्रिय रूप से लोगों को आने के लिए प्रोत्साहित किया गया और उन्हें कहा गया कि कोविड -19 प्रतिबंधों के बारे में चिंता न करें।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का गैर जिम्मेदाराना बयान

कोरोना संकट के बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का 20 मार्च को कहना कि “मैं दुनिया भर के सभी भक्तों को हरिद्वार आने और महाकुंभ के दौरान गंगा में एक पवित्र डुबकी लगाने के लिए आमंत्रित करता हूं। कोरोना के नाम पर किसी को नहीं रोका जाएगा क्योंकि हमें यकीन है कि भगवान में विश्वास वायरस के डर को दूर करेगा। यह दावा करते हुए कि सभी केंद्रीय दिशानिर्देशों का पालन किया जाएगा। रावत ने बार-बार कहा कि कोई “रोक टोक या बाधाएं नहीं होंगी। “कोई सख्ती नहीं है।

ऐसे में कहा जा सकता है कि विकराल होते संक्रमण के बीच कुंभ में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ में वायरस का रत्ती भर भी खौफ नहीं है। ऐसा हो भी क्यों ना, क्योंकि जब जिम्मेदार ओहदों पर बैठे लोग गंभीरता को समझने की बजाय गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी करेंगे, तो आम लोग भी उसी राह पर चलेंगे। जरा उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत के कोरोना को लेकर इस दिव्य ज्ञान पर गौर फरमाइए। तीरथ सिंह रावत ने कहा है कि हमारे यहां कुंभ में 16 घाट हैं। कुंभ केवल हरिद्वार शहर में नहीं, ऋषिकेश से लेकर नीलकंठ तक कुंभ क्षेत्र घोषित है। यहां तो फैलाव है, सभी लोग खुले में है। मां गंगा के पास हैं, मां गंगा की अविरल धारा और आशीर्वाद सभी तरह की बीमारी को बहा कर ले जाएगी।

सुपर स्प्रेडर साबित हो रही है कुंभ में उमड़ी भीड़

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री दावा कर रहे हैं कि खुला इलाका होने और मां गंगा के आशीर्वाद से कोरोना नहीं फैलेगा।उनका ये बयान आस्था की कसौटी पर जितना भी खरा उतरता हो, मेडिकल साइंस के नजरिए से जरा भी वाजिब नहीं माना जा सकता है। गंगा स्नान का अपना महत्व है। उसे दरकिनार नहीं किया जा सकता है। लेकिन उससे लोग कोरोना प्रूफ हो सकते हैं, ये बात समझ से परे है। ये बात अच्छी तरह से समझी जा सकती है कि गंगा के घाटों पर कुंभ में उमड़ी ये भीड़ सुपर स्प्रेडर साबित हो सकती है।
लेकिन फिर भी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री गंगा स्नान की महिमा बता रहे हैं। कुंभ से कोरोना ना फैलने का दावा कर रहे हैं। लेकिन हकीकत ये है कि हरिद्वार में संक्रमण का द्वार खुलता जा रहा है। एक ओर संतों और भक्तों का रेला है, तो दूसरी ओर कोरोना की दूसरी लहर का कहर, जिसकी गंभीरता का अंदाजा आपको हरिद्वार का कोरोना ग्राफ देखकर हो जाएगा।

बीते पांच दिन के आंकड़े देखे जाएं, तो हरिद्वार में प्रतिदिन नये केस की संख्या हर दिन नया रिकॉर्ड बनाते हुए 146 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ चुकी है। केस बढ़ रहे हैं और रिकवरी कम हो रही है, इसलिए एक्टिव केस यानी उन लोगों की संख्या 404 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गई है, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है। हरिद्वार में हर दिन मजबूत होते कोरोना की वजह से आस्था का ये सैलाब पूरे देश को टेंशन में डाल रहा है। 12 अप्रैल को हुए शाही स्नान में करीब 35 लाख लोगों ने डुबकी लगाई। शाही स्नान में भी लाखों की भीड़ उमड़ी। ऐसे ही तस्वीरें 27 अप्रैल को पड़ने वाले अगले शाही स्नान में भी दिखना तय है। क्योंकि एक ओर तो लोग खुद ही लापरवाही बरत रहे हैं। लेकिन जब मुख्यमंत्री जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे लोग भी गंगा स्नान से कोरोना नहीं होने की दलीलें दे रहे हों , तो फिर श्रद्धालुओं को कौन रोक पाएगा? लोगों को आस्था के चश्मे से भले ही कोरोना से डर ना लग रहा हो, खतरा मामूली लग रहा हो, लेकिन जिस तरह बांहे फैलाकर कोरोना को दावत दी जा रही है, वो अनदेखी बहुत भारी पड़ सकती है और आस्था के कुंभ को कोरोना के कुंभ में बदलते देर नहीं लगेगी।

वायरस को और भी घातक बना देती है भीड़

भीड़ कोरोना वायरस का सुपर कैरियर है। जो वायरस को और भी घातक बना देता है। खासतौर से तब और भी ज्यादा जब इसके शिकार ज्यादातर छोटे-छोटे बच्चे होने लगे हैं। इस बार नए स्ट्रेन का प्रभाव बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। हालात ऐसे हैं कि कोरोना से संक्रमित होने वाले बच्चों की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है। बच्चों के लिए बने आइसोलेशन वार्ड भर रहे हैं। हालांकि ये स्थिति पूरे देश की है। लेकिन बंगाल में हालात ज्यादा खराब हैं। जब स्कूल खुले, जब पार्क खुला, छोटे-छोटे बच्चे घरों से बाहर निकले। तब स्कूल से लेकर खेल के मैदान तक कोरोना वायरस ने स्लीपर सेल की तरह उन्हें धर दबोचा। कोरोना की दूसरी लहर छोटे बच्चों पर कहर बनकर टूट पड़ा। अब ये देश के लिए एक और बड़ी मुसीबत बन गया है। कोरोना ने देश भर में पूरी पीढ़ी को संकट में डाल दिया है। हालांकि बंगाल में हालात और भी भयावह है। यहां कोरोना वायरस से मासूम बच्चे तेजी से संक्रमित हो रहे हैं। अस्पतालों के बाहर लंबी कतारें हैं।आइसोलेशन वार्ड फुल है। बेड फुल है। स्थिति बेहद चिंताजनक हैं।

उत्तर प्रदेश में कोरोना से हालात बेकाबू

इधर उत्तर प्रदेश में कोरोना से हालात बेकाबू हो गए हैं। हर रोज संक्रमितों का नया रिकॉर्ड बन रहा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर प्रमुख विपक्षी दल के नेता अखिलेश यादव तक कोरोना पॉजिटिव होकर खुद को आइसोलेट कर चुके हैं। प्रदेश में बुधवार को कोरोना संक्रमण के 20,510 नए मामले पाए गए हैं। जो कि अब तक का रिकॉर्ड है। ये जानकारी प्रदेश के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने दी है। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य का कहना है कि पिछले 24 घंटे में 4,517 लोग कोरोना से पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। प्रदेश में इस समय कोरोना संक्रमितों की संख्या एक लाख 11 हजार 835 है।

बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इसकी जानकारी उन्होंने ट्वीट कर दी। उन्होंने ट्वीट किया कि शुरुआती लक्षण दिखने पर मैंने कोविड की जांच कराई और मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि “मैं सेल्फ आइसोलेशन में हूं और चिकित्सकों के परामर्श का पूर्णतः पालन कर रहा हूं। सभी कार्य वर्चुअली संपादित कर रहा हूं।” उन्होंने जानकारी दी कि प्रदेश सरकार की सभी गतिविधियां सामान्य रूप से संचालित हो रही हैं। इस बीच जो लोग भी मेरे संपर्क में आएं हैं वह अपनी जांच अवश्य करा लें और एहतियात बरतें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना वैक्सीन की पहली डोज 5 मार्च को ली थी।

मुख्यमंत्री कार्यालय के कई अफसरों में हुई कोरोना की पुष्टि

बता दें कि तेजी से फैलते संक्रमण ने सीएम कार्यालय को भी चपेट में ले लिया। मंगलवार को मुख्यमंत्री के करीबी अफसरों अपर मुख्य सचिव शशि प्रकाश गोयल, विशेष सचिव अमित कुमार सिंह, ओएसडी अभिषेक कौशिक के अलावा एक निजी सचिव व एक निजी सहायक में संक्रमण की पुष्टि हुई थी। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद को आइसोलेट कर लिया था। संक्रमण के मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच जाने से शासन में हड़कंप मच गया है। मुख्यमंत्री के साथ रहने वाले तीन अफसरों के साथ निजी सचिव जयशंकर व निजी सहायक प्रताप के संक्रमित होने की पुष्टि होने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर उनके सरकारी आवास तक सतर्कता बरती जा रही है। शासन व सरकार में बेहद अहम जिम्मेदारी निभाने वाले कई अन्य अफसर भी कोरोना पॉजिटिव पाए गये हैं।

About Aditya Jaiswal

Check Also

दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनी दिल्ली, प्रदूषण के मामले में ये है भारत की रैंकिंग

स्विस ग्रुप आईक्यू एयर ने दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों और देशी की राजधानियों की ...