“कहते है लोग वक्त ही वक्त है उसके पास, खा-पीकर टीवी ही देखती रहती है कहाँ कोई काम खास, करीब से कोई देखें तो पहचान पाए, मरने का भी वक्त नहीं होता एक गृहिणी के पास” एक आम और मामूली सा शब्द है ‘गृहिणी’ यानि की गृह को संभालने वाली ...
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मां
मां क्या तुलना उस मां की सुरज- चांद – सितारों से गंगा से ,जमुना से , समुद्र से या नदियां हज़ारों से । मां की ममता का कोई मोल नहीं , दुनियां में इसके बराबर दुनियां में कोई मीठा बोल नहीं । सुख का सागर है मां , प्यार की ...
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माँ आ रही है याद हर पल गाँव की। धूप में जलते वो’ नन्हें पाँव की। माँ मुझे तू याद इतनी आ रही। रात भी अब नींद के बिन जा रही। आँख से आंसू निकलते हैं मेरे। अब मुझे दर्शन मिलेंगे कब तेरे। धूल माथे कब लगालूँ पाँव की। आ ...
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