अफगानिस्तान में महिलाओं पर तालिबान का सितम लगातार जारी है। तालिबानियों ने देश के 2 प्रांतों में महिलाओं के ईद समारोह में भाग लेने पर रोक लगा दी है। बगलान और तखार में महिलाओं को ईद-उल-फितर के मौके पर ग्रुप बनाकर नहीं निकलने का निर्देश जारी हुआ है।
तालिबान ने अफगान महिलाओं के संयुक्त राष्ट्र में काम करने पर भी पाबंदी लगा दी है। हालांकि, बीते दिनों तालिबान के मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि अफगानिस्तान में इस वैश्विक संस्था के काम करने में कोई बाधा नहीं है। देश के तालिबान शासकों ने महिलाओं पर पाबंदी लगाने की दिशा में एक और कदम उठाया था। इसके तहत कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र मिशन में कार्यरत अफगान महिला कर्मी अब वहां काम नहीं कर सकती हैं।
देश की खुफिया एजेंसी इस पाबंदी को लागू कर रही है जो कंधार में तालिबान नेतृत्व को रिपोर्ट करती है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि वह फैसले को स्वीकार नहीं कर सकता और उसने इसे गैरकानूनी व महिला अधिकारों का हनन बताया। UN ने कहा कि लाखों अफगान महिलाओं को जीवनरक्षक सहायता उपलब्ध कराने में महिलाएं अहम भूमिका निभा रही हैं। इसने इस देश में इसके पुरुष व महिला कर्मियों को घर पर ही रहने का निर्देश दिया।
फिलहाल, अफगानिस्तान के इन्हीं 2 प्रांतों को अब तक निर्देशों का पालन करने की हिदायत दी गई है। मालूम हो कि कुछ दिनों पहले ही हेरात क्षेत्र में तालिबान अधिकारियों ने महिलाओं के बगीचों और खुली जगहों पर भोजन करने से मना किया था।
तालिबान सरकार ने यह फैसला मौलवियों की तरफ से शिकायत किए जाने के बाद लिया। मौलवियों का कहना था कि ऐसी जगहों पर पुरुषों और महिलाओं की भीड़ होने लगी है। वहीं, अधिकारियों ने कहा कि हिजाब न पहनने और महिला-पुरुष के एक जगह पर होने की चलते ये प्रतिबंध लगाए गए।