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शादी में लैंगिक समानता का निर्णय बच्चियों के लिए एक अहम कदम : स्वाती सिंह

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार में बाल विकास एवं महिला कल्याण राज्य मंत्री (स्वंतत्र प्रभार) स्वाती सिंह ने केन्द्र सरकार के एक फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने से लैंगिक समानता की ओर एक अहम कदम है।

अपने एक बयान में उन्होंने कहा है कि 21 वर्ष की उम्र में शादी करने से बच्चियों को अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए अच्छा मौका मिलेगा। इसके साथ ही मातृ मृत्युदर में भी कमी आएगी। राज्य मंत्री (स्वंतत्र प्रभार) स्वाती सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री का हर कदम आधी आबादी की प्रगति की की ओर उठाया गया कदम है।

इसी के तहत उन्होंने तीन तलाक पर कानून लाकर मुस्लिम महिलाओं को अधिकार दिलाया। इससे वे महिलाएं भी आज अपने हक की बात करने लगी हैं। लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने पर सर्व प्रथम बच्चियों में समानता का बोध होगा, क्योंकि लड़कों के शादी की उम्र पहले से ही 21 वर्ष है।

स्वाति सिंह ने कहा कि 2018 में ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लड़के और लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र एक समान करने की सिफारिश की थी। इसके लिए कई महिला संगठन भी सिफारिश कर चुके हैं। लड़कियों के शादी की न्यूनतम उम्र कम होने से उनकी उच्च शिक्षा में भी बाधक बनता है। इस नये कानून के बन जाने से लड़कियों की अच्छी शिक्षा मिलने की दर बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि 18 वर्ष की उम्र में तो बच्चे उच्च शिक्षा की ओर बढ़ रहे होते हैं।

ऐसे में परिवार के अभिभावक इसी उम्र में शादी की सोचने लगते हैं। इससे अधिकांश बच्चियों की उच्च शिक्षा का सपना अधुरा रह जाता है। उन्होंने कहा कि यह महिलाओं के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा। इससे उनके विकास का रास्ता प्रशस्त होगा। समानता के बोध के साथ ही उनके आर्थिक विकास में भी बांधाओं को दूर करेगा।

  दया शंकर चौधरी

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