जम्मू एवं कश्मीर मुद्दे पर विभिन्न देशों से व्यक्तिगत समर्थन पाने में असफल रहने के बाद पाकिस्तान अब इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के मंच पर उठा रहा है। पाकिस्तान आज इस मामले में UNHRC में अपना पक्ष रखने वाला है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की अगुवाई में पाकिस्तान का एक पैनल इस मुद्दे को उठाएगा। वहीं भारत भी इस मामले में पाकिस्तान को मुहतोड़ जवाब देने के लिया तैयार है।
गौरतलब है की भारत सरकार को जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने और राज्य का विभाजन करने के बाद से बेचैन पाकिस्तान जेनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में यह मुद्दा उठाने के लिए अपने विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को भेज रहा है।
पाकिस्तान का उद्देश्य मानवाधिकार की वैश्विक संस्था को भारत के खिलाफ, विशेषकर संविधानिक प्रक्रिया से ऐतिहासिक कदम हटाने के बाद जम्मू एवं कश्मीर में लागू प्रतिबंधों के संदर्भ में कुछ आलोचनात्मक टिप्पणियां कराने का है। निस्संदेह भारत ने भी पाकिस्तान की योजना को ठप करने की योजना बनाई है।
भारत ने पाकिस्तान में अपने उच्चायुक्त अजय बिसारिया और विदेश मंत्रालय के कुछ अन्य शीर्ष अधिकारियों को इस पर प्रकाश डालने के लिए भेजा है कि पाकिस्तान भारत के आंतरिक मुद्दे को गैर जरूरी रूप से अंतर्राष्ट्रीय मंच पर लाने का प्रयास कर रहा है। भारत अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अच्छी तरह प्रस्तुत किए गए अपने उन तर्को पर जोर देगा कि प्रतिबंध लोगों की जान बचाने के लिए लगाए गए हैं और उन रिकॉर्ड का हवाला दे सकता है कि पिछले एक महीने में पुलिस की किसी कार्रवाई में एक भी नागरिक की मौत नहीं हुई है।
भारत इस पर भी प्रकाश डाल सकता है कि कैसे पाकिस्तान द्वारा समर्थित और पोषित सीमापार आतंकवाद के कारण जम्मू एवं कश्मीर में रक्तपात होता है और विकास प्रभावित होता है। जम्मू एवं कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद भारत ने कूटनीतिक चालें चलते हुए दुनिया की प्रमुख ताकतों के साथ-साथ अन्य देशों को यह निर्णय लेने के पीछे का कारण बताने का अभियान छेड़ दिया है।