बिधूना। पिछले दो वर्षों में कोरोना की मार के बाद पिछले दिनों हुई बेमौसम बारिश की मार दिए बनाने वाले कुम्हारों पर स्पष्ट रूप से दिख रही है। दीपावली का त्योहार नजदीक है, फिर भी कुम्हारों के चेहरे पर उदासी छाई हुई है। उनका कहना है कि मिट्टी के काम के लिए चाक चलाते-चलाते अरसा निकल गया। लेकिन दिन ब दिन उनकी स्थिति खराब होती जा रही है।
विकास खंड बिधूना क्षेत्र के गांव भटौली निवासी कुम्हार जैसी राम ने बताया कि बताया कि वह हर साल 5 से 10 हजार रुपए के दीए दीपावली में बेचते थे। लेकिन इस वर्ष मात्र 02 से 03 हजार रुपए के ही दीए बेच सकेंगे। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि ठीक दीए बनाने के समय ही बेमौसम बारिश होने लगी, जिससे न दिए बन पाये और जो बन गये वो सूख भी नहीं पाए। अब जब मौसम साफ हुआ है, तब वे दीए युद्ध स्तर पर बनाने के काम में जुटे हैं।
पिछले वर्षों की अपेक्षा 25% ही बना पायेंगे दिए
जैसीराम ने बताया कि बाजार में दीए की मांग ज्यादा है। लेकिन उतने दिए नहीं बना नहीं पाऊंगा। उन्होंने कहा कि अभी दीपावली में 4 दिन बचे है। अबकी बार 2 से 3 हजार ही दिए बना पाए। जबकि कोरोना से पहले 20 हजार रुपए से ऊपर दिए बना लेते थे। कहां कि दीयों की संभावित किल्लत को देखते हुए लोगों ने अभी से ही दीया खरीदना शुरू कर दिया है।
साल में एक बार मिलता है आर्थिक सुधार का अवसर
जैसीराम ने कहा कि मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों को दीपावली त्योहार से बहुत बड़ी उम्मीद रहती है। जिसके चलते वह लोग महीनों पहले से दिए बनाने का काम शुरू कर देते हैं। यह पर्व उनके लिए सहालग की तरह होता है। इसमें उन लोगों की अच्छी कमाई हो जाती है। वह लोग अपने कई सपने दीपावली में होने वाली कमाई से पूरा करते हैं। लेकिन, इस वर्ष बारिश के कारण सपने भी टूट जाएंगे। साथ ही कहा कि सरकार से भी कोई लाभ नहीं मिला। बेमौसम हुई बारिश के कारण मेरा मिट्टी का चाक भी खराब है। जिसके कारण बहुत परेशान हूं।
रिपोर्ट – राहुल तिवारी