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भूगोल में है नौकरियों के बेशुमार अवसर, ​डिटेल में पूरी जानकारी

भूगोल यानी ज्योग्राफी में पृथ्वी और उसके वातावरण की भौतिक विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है. इसमें मानव आबादी व संसाधनों का वितरण और राजनीतिक व आर्थिक गतिविधियों का अध्ययन भी शामिल है, क्योंकि ये चीजें जहां पृथ्वी और उसके वातावरण की भौतिक विशेषताओं को प्रभावित करती हैं, वहीं उनसे प्रभावित भी होती हैं.

प्रकृति से संबंधित विषय होने के कारण यह रोचक तो है ही, काफी रोमांचक भी है क्योंकि भूगोल के उच्च अध्ययन में पृथ्वी की विविधतापूर्ण भौतिक बनावट से और मानव समाज की बनावट और संस्कृतियों से रूबरू होने का मौका मिलता है. आज मनुष्य सभ्यता के जिस मुकाम पर है, वहां प्राकृतिक आपदा, जलवायु परिवर्तन, आबादी में अत्यधिक वृद्धि, तेजी से बढ़ता शहरीकरण, प्राकृतिक संसाधनों की अपर्याप्तता और बहुसांस्कृतिक एकीकरण जैसे मुद्दों को भूगोल के पेशेवर ज्ञान से ही हल किया जा सकता है.

बारहवीं के बाद खुलते हैं रास्ते

भूगोल की पढ़ाई स्कूलों में छठी क्लास से ही शुरू हो जाती है, लेकिन इसमें करियर बनाने के रास्ते बारहवीं क्लास के बाद ही खुलते हैं. इसमें बैचलर से लेकर पीएचडी तक के कोर्स उपलब्ध हैं. स्नातक में दाखिला बारहवीं के बाद ही मिलता है. इसके बाद एमए और एमए के बाद पीएचडी की सकती है. स्नातक के बाद विशेष सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स भी होते हैं. लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए बारहवीं में भूगोल में अच्छे अंक लाना जरूरी है. विषय पर पकड़ भी मजबूत होनी चाहिए, क्योंकि कुछ संस्थानों में भूगोल में दिाखले मेरिट के आधार पर होते हैं तो कई प्रवेश परीक्षा के जरिये दाखिला देते हैं.

जरूरी कौशल

भूगोल में बेहतरीन करियर बनाने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आपके अंदर विषय के प्रति गहरी रुचि और ज्ञान के साथ-साथ दूसरे लोगों के साथ तालमेल बिठाकर चलने की क्षमता भी हो. दरअसल एक ज्योग्राफर को अपना कार्य अच्छी तरह से करने के लिए अलग-अलग विभागों से तालमेल बनाकर चलने की जरूरत होती है.

– कंप्यूटर का ज्ञान

– आंकड़ों के संयोजन और विश्लेषण का हुनर

– तर्कसंगत और विश्लेषणात्मक सोच

– इस क्षेत्र में काम करने वालों को काफी भागदौड़ करनी पड़ती है, इसलिए शारीरिक तौर पर स्वस्थ रहना भी जरूरी है

– मैथमैटिक्स पर अच्छी पकड़ के साथ मैप बनाना आना आवश्यक योग्यता है

प्रमुख कोर्स

स्नातक-स्नातकोत्तर

– स्नातक (बीए). इसकी अवधि तीन साल है

– स्नातकोत्तर (एमए). इसकी अवधि दो वर्ष है

– पीएचडी. इसकी अवधि दो साल है

पीजी डिप्लोमा कोर्स

– रिमोट सेंसिंग एंड ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम. इसकी अवधि एक वर्ष है

– ज्योग्राफिकल कार्टोग्राफी. इस कोर्स की अवधि एक साल है

पीजी सर्टिफिकेट कोर्स

– जियोइन्फॉर्मेटिक्स एंड रिमोट सेंसिंग. इस कोर्स की अवधि छह महीने है

कहां मिलेगा काम

भूगोल में पढ़ाई करने के बाद रोजगार के भरपूर मौके हैं. इस क्षेत्र में ट्रांसपोर्टेशन, एयरलाइट रूट व शिपिंग रूट प्लानिंग, काटार्ेग्राफी, सेटेलाइट टेक्नोलॉजी, जनसंख्या परिषद, मौसम विभाग, आपदा प्रबंधन, पर्यावरण विज्ञान, एजुकेशन, सिविल सर्विसेज आदि क्षेत्रों में जॉब पा सकते हैं. भूगोल में पेशेवर तौर पर प्रशिक्षित लोग रिमोट सेंसिंग, मैप, खाद्य सुरक्षा, बायोडाइवर्सिटी संरक्षण आदि से जुड़ी एजेंसियों में भी काम करके अच्छा पैसा कमा सकते हैं.

प्रमुख काम
कार्टोग्राफर : इनका मुख्य काम नक्शा और उससे संबंधित डायग्राम, चार्ट, ट्रैवल गाइड आदि का निर्माण और विकास करना तथा पुराने नक्शों व दस्तावेजों का जीर्णोद्धार करना है. इन पेशेवरों को सरकारी, सर्वेक्षण, संरक्षण और प्रकाशन क्षेत्र में जॉब मिलता है.

पर्यावरण सलाहकार : इनका मुख्य काम अपने वाणिज्यिक या सरकारी ग्राहकों से पर्यावरण संबंधी नियमों का पालन कराना और विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों पर काम कराना होता है. इन्हें सरकारी और जल से संबंधित संगठनों में जॉब मिलती है.

टाउन प्लानर : इनका काम शहरों, कस्बों, गांवों व ग्रामीण क्षेत्रों के विकास और प्रबंधन की योजना बनाना; उसमें विकास के स्थायित्व और प्राकृतिक वातावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करना; मौजूदा बुनियादी ढांचे में सुधार करना और पर्यावरण संबंधी मुद्दों का हल निकालना है. इन्हें सार्वजनिक व निजी दोनों क्षेत्रों में काम मिलता है.

ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स ऑफिसर : इनका मुख्य कार्य ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स (जीआईएस) से प्राप्त जटिल भौगोलिक सूचनाओं को एकत्र, संग्रहीत, विश्लेषित, प्रबंधित और प्रस्तुत करना है. इन सूचनाओं का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में पर्यावरण के अनुकूल निर्णय लेने के लिए किया जाता है. इन्हें रक्षा, दूरसंचार और परिवहन, मौसम विज्ञान, तेल, गैस आदि क्षेत्रों में रोजगार मिलता है.

कंजर्वेशन ऑफिसर : इनका कार्य प्राकृतिक वातावरण की रक्षा करना और पर्यावरण के अनुकूल तरीकों के बारे में स्थानीय समुदायों के बीच जागरूकता बढ़ाना है. मुख्य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र में काम मिलता है.

रीसाइकिलिंग ऑफिसर : इनका मुख्य कार्य रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देकर कचरे को कम करना. पर्यावरण के अनुकूल और अपशिष्ट पदार्थों में कमी की नीतियां व योजनाएं बनाना और विकसित करना है. सरकारी, रीसाइक्लिंग के प्रोजेक्ट्स या पर्यावरण पर काम करने वाली गैर सरकारी संस्थाओं में काम मिलता है .

भूगोल में नए करियर
करियर काउंसलर सुदर्शन प्रकाश कहते हैं, भूगोल में काटार्ेग्राफर, सर्वेयर, ड्राफ्टर, टीचर, लेक्चरर जैसे परंपरागत पेशों के साथ-साथ अन्य कई पेशे भी मौजूद हैं, जो अपेक्षाकृत नए हैं.

एन्वायरन्मेंटल लॉयर : इनका काम प्रदूषण की रोकथाम, जलवायु नियंत्रण और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए सामाजिक जगरूकता फैलाना है. यह पेशा अपनाने के लिए भूगोल में स्नातक करने के बाद नियम-कानून की जानकारी के लिए लॉ करना होगा.

वेदर फोरकास्टर : इनका मुख्य काम मौसम का पूर्वानुमान व्यक्त करना है. इसी तरह कैटेस्ट्रोफ मॉडलर या इमरजेंसी प्लानर के रूप में भी काम कर सकते हैं, जिनका मुख्य काम लोगों को प्राकृतिक आपदा जैसी स्थितियों से निपटने के लिए तैयार करना है. इनका काम इंश्योरेंस कंपनियों को डाटा और कंप्यूटर कैलकुलेशन के जरिये यह बताना भी है किसी आपदा की स्थिति में उनकी कंपनी को कितना घाटा हो सकता है.

लैंडस्केप आर्किटेक्ट : इस विषय में प्रशिक्षित पेशेवरों का मुख्य काम पार्क, नेचर रिजर्व, नई जगहों पर बसावट और इंडस्ट्रियल लैंडस्केप की रूपरेखा बनाना, उन्हें तैयार करना और उनका प्रबंधन करना है.

प्रमुख संस्थान

दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली

जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़

पटना यूनिवर्सिटी, पटना

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी

बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रांची

इंस्टीट्यूट ऑफ जिओइंफॉर्मेटिक्स एंड रिमोट सेंसिंग, कोलकाता

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