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बुढ़ापे में निवेश करने की सोच रहे है तो ये स्कीम आपके लिए है बेस्ट, प्रति माह देने होंगे बस इतने रूपए

वर्तमान दौर में सुरक्षित भविष्‍य के लिए निवेश बेहद जरूरी हो चुका है. निवेश की कुछ ऐसी व्‍यवस्‍था कर लेनी चाहिए जिसके जरिए आपको बुढ़ापे में पैसों की कोई दिक्‍कत न हो. वहीं, कुछ लोग बुढ़ापे तक निवेश नहीं कर पाते हैं. ऐसे लोगों को भी चिंता करने की जरूरत नहीं है.

आज हम आपको एक ऐसी स्‍कीम के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें निवेश के बाद आप निवेश के अगले साल से ही 10 हजार रुपये तक की पेंशन ले सकते हैं. अहम बात ये है कि इस स्‍कीम में हिस्‍सा लेने के लिए सिर्फ 31 मार्च 2020 तक का ही समय बचा है. तो आइए जानते हैं कि आखिर क्‍या है वो स्‍कीम..

असल में एलआईसी की ओर से सरकार की स्‍कीम ”प्रधानमंत्री वय वंदना योजना” चलाई जा रही है. इस योजना के तहत बुजुर्गों के लिए पेंशन की व्यवस्था की गई है. हालांकि, इस योजना की मिनिमम एंट्री की उम्र 60 साल है. आसान भाषा में समझें तो 60 साल की उम्र के बाद ही इस स्‍कीम का फायदा उठाया जा सकता है.

हालांकि, स्‍कीम में निवेश के 1 साल बाद पेंशन की पहली किश्‍त मिलती है. वहीं मासिक आधार पर पेंशन की न्‍यूनतम रकम 1 हजार रुपये जबकि अधिकतम 10 हजार रुपये है. यानी आप कम से कम 1 हजार रुपये और अधिक से अधिक 10 हजार रुपये महीने का पेंशन ले सकते हैं. इस स्कीम में एक व्यक्ति कम से कम 1.50 लाख और अधिकतम 15 लाख रुपये निवेश कर सकता है.

कैसे ले सकते हैं पेंशन-

”प्रधानमंत्री वय वंदना योजना” के तहत पेंशन के लिए निवेशक को एक निश्चित तारीख, बैंक अकाउंट और अवधि का चयन करना होता है. उदाहरण के लिए अगर आपको हर महीने की 30 तारीख को पेंशन चाहिए तो इस तिथि का चयन करना होगा. इसी तरह निवेशक मासिक, तिमाही, छमाही और वार्षिक विकल्पों के साथ पेंशन के क्रेडिट के लिए समय के विकल्प को चुन सकते हैं.

मान लीजिए कि आपने मासिक विकल्‍प का चयन किया तो हर महीने पेंशन मिलेगा. जबकि तिमाही चयन पर हर तीन महीने बाद एकमुश्‍त पेंशन मिलता है. इसी तरह छमाही या सालाना विकल्‍प चयन पर क्रमश : 6 या 12 महीने बाद एकमुश्‍त पेंशन मिलेगी.

इस पेंशन स्‍कीम में डेथ बेनिफिट भी मिलता है. इसके तहत नॉमिनी को खरीद मूल्य वापस किया जाता है. हालांकि, इस स्‍कीम में टैक्स बेनिफिट नहीं मिलता है. निवेश के 3 साल बाद लोन सुविधा भी उपलब्ध है. अधिकतम लोन की रकम परचेज प्राइस का 75 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती है.

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