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नकारात्मकता को रोकने के लिए जरूरी हैं कि अच्छा साहित्य पढ़ें: राजन

  • संस्कार संवर्धन के लिए युवा पढ़ी का साहित्य से जुड़ाव आवश्यक

कांकरोली/राजस्थान। शनिवार को स्थानीय गोपाल कृष्ण वाटिका में ‘संगिनी’ एवं ‘सृजन महोत्सव’ पत्रिका के संपादक एवं साहित्यकार राजकुमार जैन राजन का ‘काव्य गोष्ठी मंच’ द्वारा अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार अफजल खान अफजल ने की तथा विशिष्ठ अतिथि शेख अब्दुल हमीद और सूर्य प्रकाश दीक्षित थे।
मुख्य अतिथि आकोला, चितौड़गढ़ से पधारे साहित्यकार/सम्पादक राजकुमार जैन राजन ने अपने विचार रखते हुए बताया कि, ‘पुस्तकों का हमारे जीवन में अत्यधिक महत्व होता है और यह हमारे जीवन में सबसे सुंदर और अनुपम उपहार है। पुस्तकों का महत्व ना तो कभी कम हुआ ना कभी होगा। ‘ज्ञान गंगा पुस्तकालय’ से राजसमंद क्षेत्र के साहित्य-प्रेमी मित्रों में हिंदी भाषा के प्रति अनुराग पैदा होगा और युवाओं में भी साहित्य सृजन-पठन के प्रति रुचि जागृत होगी।’
राजन ने अपने उद्बोधन में कहा कि  ‘कभी पैसे नहीं होने से मैं किताबें नहीं खरीद पाता था और आज मैं लाखों रुपए की पुस्तकें निःशुल्क बांटकर साहित्य सेवा कर रहा हूं, क्योंकि भारत की वर्तमान परिस्थितियों में पुस्तक संस्कृति का विकास आवश्यक है। पुस्तकें ज्ञान का भंडार है, मनुष्य के अनुभवों का संसार है।यदि हमें विकास प्रिय है, यदि हम अपने समाज को सुसंस्कृत व आधुनिक बनाना चाहते हैं और ज्ञान-विज्ञान की नई उपलब्धियों का आविष्कार करके जन-मन तक उन्हें पहुंचाना चाहते हैं तो हमें किताबों को जीवन का अंग बनाना होगा।
उन्होंने कहा, हमें हिंदी भाषा और संस्कारों को संरक्षित करना है तो हमारे बालकों के दिलों में पठन-पाठन के प्रति रूचि पैदा कर उन तक उत्कृष्ट साहित्य पहुंचाना होगा।’  उन्होंने कहा कि , ‘आज हमें मेंटल हाइजीन की तरफ भी ध्यान देना चाहिए। जिस तरह शरीर की सफाई ऊपरी तौर पर करते हैं वैसे ही आंतरिक सफाई की जरूरत दिमाग को होती है।इसे ही मेंटल हाइजीन कहते हैं।जीवन में नकारात्मकता को आने से रोकने के लिए जरूरी है कि हम अच्छा साहित्य पढ़ें। हमारा उद्देश्य जनमन में पुस्तकों के प्रति रुचि जागृत करना है।हम पिछले 17 वर्ष से भारत के विभिन्न राज्यों की संस्थाओं, विद्यालयों, विद्यार्थियों को निःशुल्क हिंदी साहित्य वितरण कर रहे हैं और अब तक दस लाख रुपये से भी अधिक मूल्य का साहित्य हम वितरण कर चुके है।’
राजन ने डिजिटल दुनियां के खतरों से आगाह करते हुए कहा कि, ‘हमारी अक्षम्य लापरवाही है कि हमने बच्चों को साइबर दुनिया के भरोसे छोड़ रखा है। डिजिटल दुनिया के कारण जहां हमारी हिंदी भाषा पर खतरा मंडरा रहा है वहीं जीवन में मानसिक प्रदूषण भी बढ़ रहा है।बच्चे संस्कारहीन, एकाकी, आक्रोशी होते जा रहे है
हैं।आवश्यकता है कि अभिभावक अच्छी पुस्तकें घरों में लाये।स्वयं भी पढ़ें और बच्चों को भी पढ़ने को प्रेरित करें।’
राजकुमार जैन राजन ने काव्यगोष्ठी मंच द्वारा स्थापित ज्ञान गंगा पुस्तकालय को आज 23 हजार रुपये मूल्य की 151 उत्कृष्ठ साहित्यिक पुस्तकें भेंट की और काव्य गोष्ठी मंच के साहित्यिक कार्यों की दिल खोलकर प्रशंसा करते हुए संस्थाओं, विद्यालयों एवं जरूरतमंद साहित्य पिपासुओं को निःशुल्क साहित्यिक पुस्तकें वितरण करने के अपने संकल्प को दोहराया। ‘साहित्य की वर्तमान दशा व दिशा’ पर सार्थक चर्चा भी हुई। इस कार्यक्रम का संचालन हेमेंद्र सिंह चौहान किया। कमलेश जोशी, राजकुमार शर्मा, राहुल दीक्षित, शेख हनीफ रिजवी, प्रह्लाद टेलर, यशवंत शर्मा, योगेंद्र जीनगर, लवलेश शर्मा, जितेंद्र पालीवाल, आदि कवि और साहित्यकार उपस्थित थे। आभार संस्था के कमलेश जोशी ने व्यक्त किया।

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