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हर घर तिरंगा का संदेश

     डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

अमृत महोत्सव का शुभारंभ स्वतंत्रता के पचहत्तर वर्ष को ध्यान में रख कर किया गया था.इसके अंतर्गत स्वतंत्रता संग्राम के प्रसंगों से नई पीढ़ी को अवगत कराने का लक्ष्य बनाया गया था। बड़ी संख्या में प्रसंग उपेक्षित थे। इनकी जानकारी देने का भी सफ़लता पूर्वक प्रयास किया गया। यह अमृत महोत्सव का पहला चरण था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी दूरदृष्टि से इसको व्यापक बना दिया। इसमें आत्मनिर्भर भारत और विकास के अनेक पहलु भी सम्मिलित हो गए। यह संदेश देने का प्रयास हुआ कि पचहत्तर वर्षों मे देश समग्र विकास की दिशा में अग्रसर है। डिजीटल इंडिया अभियान के अंतर्गत व्यवस्था में व्यापक सुधार किया गया।

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अमृत महोत्सव को व्यापक अवसर के रूप में स्वीकार किया गया। उनकी सरकार ने इस अवधि में अनेक उल्लेखनीय कार्य किए हैं। हर घर तिरंगा अभियान जनान्दोलन के रूप में आगे बढ़ रहा है। विधानसभा भवन भी इसकी अभिव्यक्ति कर रहा हैं। योगी आदित्यनाथ ने विधान भवन पर डायनैमिक फसाड लाइटिंग के लोकार्पण किया। कुछ डिजीटल माह पहले ही उत्तर प्रदेश विधान सभा में ई कार्यवाही की व्यवस्था की गई थी। डिजीटल इण्डिया अभियान वन नेशन वन एप्लीकेशन के माध्यम से चरितार्थ हो रहा है।

डिजिटल इण्डिया के माध्यम से शासन की योजनाओं का लाभ आमजन तक पहुंचने लगा है। राज्य सरकार द्वारा विगत पांच वर्ष में समाज के अन्तिम पायदान तक के लोगों को शासन की योजनाओं से जोड़ने का कार्य किया गया। डीबीटी के माध्यम से शासन की योजनाओं को अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचाना सुनिश्चित हुआ है। उत्तर प्रदेश विधानसभा ने केवल इसी मुद्दे पर कीर्तिमान नहीं बनाया है, बल्कि विगत पांच वर्षों में अभिनव प्रयोग भी किये है। दो वर्ष पहले पूरी तरह पेपरलेस बजट प्रस्तुत किया गया था। उसके बाद सतत विकास के लक्ष्यों पर छत्तीस घण्टे निरन्तर चर्चा की गयी थी। महात्मा गांधी की एक सौ पचासवीं जयन्ती कार्यक्रम पर विधान मण्डल का विशेष सत्र आहूत किया गया था। वर्तमान विधानसभा के अधिवेशन से पहले व्यवस्था को ई-विधान के रूप में परिवर्तित किया गया। यह कार्य आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में सम्पादित हुआ। इस कारण इसका विशेष महत्व है। इसके साथ ही यह आगामी पच्चीस वर्ष के लक्ष्य निर्धारण का अमृत काल भी है। इसमें विधानसभा की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रभावी कार्यवाही के माध्यम से इसमें योगदान दिया जा सकता है। उत्तर प्रदेश की विधानसभा एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को साकार करने में सहायक बनेगी। प्रधानमंत्री ने आगामी पच्चीस वर्षों का अमृत काल पूरे देश के लिए तय किया है।

आजादी का शताब्दी वर्ष अधिक शानदार होगा. योगी ने कहा कि विधान भवन उत्तर प्रदेश की विधायिका का प्रमुख स्तम्भ है। यह उत्तर प्रदेश की जनता की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है। यहां विकास की कार्ययोजनाओं का मंथन किया जाता है। यहां तैयार की गई कार्ययोजनाएं उत्तर प्रदेश को देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के पथ पर अग्रसर कर रही हैं। पिछले कुछ समय में उत्तर प्रदेश विधानसभा के इतिहास नया अध्याय जुड़ा था,लगातार अड़तालीस घण्टे तक इसका विशेष सत्र चला था। इसके बाद पहली बार राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ के भारत प्रक्षेत्र सम्मेलन का यहां आयोजित हुआ। ये सभी देश कभी ब्रिटेन के उपनिवेश हुआ करते थे। लेकिन स्वस्थ व संवैधानिक प्रजातंत्र के मामले में भारत ने ही सर्वश्रेष्ठ मुकाम बनाया है। भारत जैसी विविधता इनमें से किसी देश में नहीं है। जाति मजहब भाषा आदि अनेक विविधताओं के बाद भी यहां की संसदात्मक शासन प्रणाली मजबूती से कार्य कर रही है। भारत में उत्तर प्रदेश जनसंख्या की दृष्टि उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है। यह भी दिलचस्प है कि राष्ट्रमण्डल में भी उत्तर प्रदेश का यही स्थान है। ऐसे में उत्तर प्रदेश की राजधानी में राष्ट्रमण्डल संसदीय सम्मेलन का आयोजन महत्वपूर्ण था।

उत्तर प्रदेश के विधाई इतिहास में पिछले कुछ समय में नए अध्याय जुड़े है। महात्मा गांधी की एक सौ पचासवीं जयंती पर उत्तर प्रदेश विधानसभा का विशेष अधिवेशन आहूत किया गया था। यह अधिवेशन लगातार अड़तालीस घण्टे तक चला था। इसमें संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास प्रस्तावों पर चर्चा की गई थी। यह अच्छा है कि अब यहां राष्ट्रमण्डल का सम्मेलन हो रहा है। कुछ समय पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और विधानसभा अध्यक्ष राष्ट्रमण्डल सम्मेलन में भाग लेने गए थे। वहां इन लोगों के विचारों को बड़ी गम्भीरता से सुना गया था। विदेशी मेहमानों के संसदीय सम्मेलन में भाग लेने के अलावा एक अन्य महत्वपूर्ण यात्रा को भी जोड़ा गया था. राष्ट्रमण्डल देशों के प्रतिनिधि रामलाल के दर्शन करने अयोध्या भी गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने जन्मभूमि विवाद का समाधान किया था। पूरे देश ने इसे शांति व सौहार्द के साथ स्वीकार किया था। वस्तुतः यह भारत की विधाई व्यवस्था की ही कामयाबी थी. प्रभु राम के प्रति आस्था रखने वाले लोग राष्ट्रमण्डल देशों में भी है। इनमें से कई देशों में नियमित रूप से रामलीला का आयोजन किया जाता है। पिछली दीपावली पर फिजी की स्पीकर अयोध्या आई थी। यहां उन्होंने रामचरित मानस की चौपाइयों का गायन किया था। स्वतंत्रता दिवस पर देश महात्मा गांधी को भी याद करता है. महात्मा गांधी भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक महापुरुष थे। विश्व में कहीं भी जब अहिंसा, स्वतंत्रता, मानवता, सौहार्द, स्वच्छता, गरीबों की भलाई आदि का प्रसंग उठता है, तब महात्मा गांधी का स्मरण किया जाता है।

भारत को स्वंतंत्र कराने में उन्होंने अपना जीवन लगा दिया। फिर भी वह अंग्रेजों से नहीं उनके शासन से घृणा करते थे, उनके शासन की भारत से समाप्ति चाहते थे। यह उनका मानवतावादी चिंतन था। वह पीर पराई को समझते थे। उसका निदान चाहते थे। इन्हीं गुणों ने उन्हें विश्व मानव के रूप में प्रतिष्ठित किया। संयुक्त राष्ट्र संघ ने सत्रह प्रस्तावों को घोषणा की थी। इनके मूल में गांधीवाद की ही प्रतिध्वनि थी। यही कारण था कि उत्तर प्रदेश विधानसभा ने इस बार गांधी जयंती को ऐतिहासिक बनाने का निर्णय किया था। उत्तर प्रदेश विधानसभा ने महात्मा गांधी की एक सौ पचासवीं जयंती पर इतिहास बनाया है। लगातार छत्तीस घंटे तक सत्र का चलना असाधारण था। यह राजनीति से ऊपर उठकर महात्मा गांधी को सम्मान देने का अद्भुत अवसर था। बात केवल एक सौ पचासवीं जयंती तक ही सीमित नहीं थी। बल्कि देश और उत्तर प्रदेश को संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्तावों की जानकारी भी देने और अमल का संकल्प व्यक्त करने का भी यह अभूतपूर्व अवसर था। इसका बड़ा कारण यह था कि इन प्रस्तावों में गांधी चिंतन की ही झलक है। संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास लक्ष्य और उद्देश्य में वह बिंदु समाहित है जिन्हें हासिल करने का गांधी जी ने सदैव प्रयास किया। गरीबों को देखकर ही उन्होंने अपने ऊपर न्यूनतम उपभोग का सिद्धान्त लागू किया था। इससे वह कभी भी विचलित नहीं हुए।

संयुक्त राष्ट्र संघ से सतत विकास प्रस्तावों में गरीबी, भुखमरी, शिक्षा, स्वास्थ्य और खुशहाली, शिक्षा, लैंगिक समानता, जल एवं स्वच्छता, ऊर्जा, आर्थिक वृद्धि और उत्कृष्ट कार्य, बुनियादी सुविधाएं, उद्योग एवं नवाचार, असमानताओं में कमी, संवहनीय शहर, उपभोग एवं उत्पादन, जलवायु कार्रवाई, पारिस्थितिक प्रणालियां, शांति, न्याय, भागीदारी के विषय शामिल है। इनको ध्यान से देखें तो यही गांधी चिंतन के मूल आधार है। वह ऐसा विश्व चाहते थे जिसमें गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, बीमारी, असमानता, भुखमरी न हो। इन्हीं पर तो संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी जोर दिया। गांधी का सपना समता मूलक समाज था। वह विश्व को अधिक संरक्षित बनाना चाहते थे। शांति, न्याय, पर्यावरण संरक्षण को वरीयता देते थे। वह समस्याओं के निराकरण में सबकी भागीदारी चाहते थे। समाज में सक्षम व्यक्ति का यह दायित्व है कि वह निर्बलों की सहायता करे। अपने को संम्पत्ति का ट्रस्टी समझे। इसी प्रकार धनी देश अविकसित देशों की सहायता करे। गांधी चिंतन की भावना थी कि कोई पीछे न छूटे। संयुक्त राष्ट्र संघ का भी यही विचार है। इस लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास करना आवश्यक है। अंत्योदय का मूलमंत्र भी यही है। इसी के मद्देनजर नरेंद्र मोदी सरकार ने स्वच्छ भारत, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, जैसी योजनाएं लागू की। इन सतत विकास लक्ष्यों का सीधा संबंध प्रदेश सरकारों से है। सत्र के माध्यम से योगी सरकार ने सतत विकास के लक्ष्य हासिल करने का मंसूबा दिखाया.उनकी सरकार इस रास्ते पर चल रही है. अमृत महोत्सव की यह व्यापक अवधारणा है।  जिसे योगी आदित्यनाथ ने बखूबी समझा और उनको प्रदेश के समग्र विकास से जोड़ कर आगे बढ़ाया।

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