
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो केन्द्रीय बजट प्रस्तुत किया, वह आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में देश के विकास को गति प्रदान करने एवं शताब्दी वर्ष तक अगले २५ वर्षों में देश के विकास एवं आधुनिकीकरण का एक ब्लूप्रिंट कहा जा सकता है। वित्त मंत्री ने स्वयं कहा कि यह बजट मात्र २०२२-२३ के आय व्यय का लेखा जोखा नहीं है वरन भविष्य के नए भारत की दिशा एवं दशा का एक विजन डाक्यूमेंट या ब्लूप्रिंट है। वर्तमान बजट आने के पूर्व अर्थव्यवस्था की समझ रखने वाले एवं सामान्य जनमानस के समक्ष दो ही प्रश्न थे। पहला प्रश्न यह था कि क्या वित्त मंत्री बजट के द्वारा कोविड संक्रमण से संकट के दौर से गुजर रही अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने हेतु बूस्टर डोज देने में सफल होगी। दूसरा प्रश्न या अपेक्षा यह थी कि वित्त मंत्री बजट के माध्यम से बेरोजगारी, आय में गिरावट एवं मंहगाई से त्रस्त जनता को कुछ राहत प्रदान करने के लिए कदम उठा सकेंगे।
यदि बजट प्रस्तावों पर गौर किया जाय तो यह कहा जा सकता है कि वित्त मंत्री का पूरा प्रयास अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने एवं विकासोन्मुख नीतियों को बल प्रदान करने पर रहा है। बजट में अधोसंरचना के विकास पर जोर के साथ निवेश में वृद्धि के द्वारा आर्थिक वृद्धि दर में तेजी लाने एवं रोजगार अवसरों में वृद्धि लाने की दृष्टि स्पष्टतः दिखती है जो पूर्णतया उचित एवं तर्कसंगत है। सरकार का मानना है कि इससे ही आय में वृद्धि एवं गरीबी पर प्रहार का मार्ग प्रशस्त होगा। यह सही है कि रोजगार या आय में वृद्धि के लिए कोई तात्कालिक प्रत्यक्ष प्रयास बजट में नहीं दिखते क्योंकि वित्त मंत्री का फोकस अर्थव्यवस्था में स्थायी एवं दीर्घकालिक प्रयासों पर है जो भविष्य में एक मजबूत एवं आधुनिक भारत के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर सके। वित्त मंत्री इस बात के लिए प्रशंसा की पात्र हैं कि उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनाव सामने होते हुए भी उन्होंने लोक लुभावनी घोषणाएं करने से परहेज किया है और अपना पूरा फोकस अर्थव्यवस्था की मजबूती एवं वृद्धि पर रखा है।
बजट से नौकरीपेशा एवं मध्यम आय वर्ग को निराशा ही हाथ लगी है क्योंकि धन्यवाद के अतिरिक्त किसी भी प्रकार की कर राहत की घोषणा वित्त मंत्री ने बजट में नहीं की। वित्त मंत्री ने प्रेस वार्ता में यह भी कहा कि हमने पिछले दो वर्षों में कोरोना संकट एवं अर्थव्यवस्था में गिरावट के साथ साथ राजस्व में कमी के बावजूद कोई अतिरिक्त कर भार जनता पर नहीं डाला है जिसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी जी को दिया जाना चाहिए जिनका स्पष्ट निर्देश था कि कोरोना संकट के इस दौर में जनता पर कोई अतिरिक्त बोझ न पड़े। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में यह भी कहा कि कर सुधार की प्रक्रिया जारी रहेगी जो भविष्य में उम्मीद की किरण कही जा सकती है। मेरा व्यक्तिगत मत यह है कि नौकरीपेशा मध्यम वर्ग को कुछ राहत तो दी ही जानी चाहिए थी जो आय में कमी एवं लगभग छः प्रतिशत की खुदरा मंहगाई दर की दोहरी मार झेल रहा है। एक लम्बे समय से आय कर की छूट सीमा २.५ लाख रुपये है जिसमें कम से कम एक लाख की वृद्धि की जानी चाहिए थी। कर ढाँचे में भी सुधार अपेक्षित थे जिससे उच्चतम ३०प्रतिशत की दर की मार कम से कम मध्यम आय वर्ग पर पड़े। यह समझ से परे है कि जब प्रत्यक्ष कर संग्रह वर्तमान वित्त वर्ष में अनुमान से अधिक रहा है और जीएसटी से भी रिकार्ड आय पिछले कई महीनों से हो रही है जो जनवरी में रिकॉर्ड १४०००० करोड़ रुपये से अधिक रही, तब भी सरकार ईमानदार करदाताओं को कोई राहत प्रदान करने में क्यों संकोच कर रही है। सरकार एवं विशेषज्ञों का मानना है कि इस समय सरकार राजस्व की स्थिरता के साथ सरकारी निवेश में वृद्धि के लिए संकल्पबद्ध है अतः किसी नए प्रयोग से बच रही है।
जैसा कि ऊपर कहा गया है कि बजट का पूरा जोर कोरोना संकट से उभरती हुई अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने एवं बूस्टर डोज देने पर है वित्त मंत्री ने वर्तमान वित्त वर्ष में ९.२प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ २०२२-२३ में भी ८.० से ८.५ प्रतिशत की वृद्धि दर की बात कही है। यह विश्व की प्रमुख बड़ी अर्थव्यवस्थाओ में भारत की उच्चतम वृद्धि दर है। अधोसंरचना के विकास के लिए बजट में ७.५ लाख करोड़ रुपये का आवंटन एक महत्वपूर्ण कदम है। २५ हजार किमी हाई वे का निर्माण करने हेतु २० हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
रेलवे को बजट में एक लाख चालीस हजार करोड़ रुपये से अधिक आवंटित किए गए हैं। अगले तीन वर्ष में ४०० वन्देभारत ट्रेन चलाने का प्रस्ताव है। पीएम गतिशक्ति योजना ही देश में सभी ढांचागत सुविधाओं के विस्तार का आधार होगी जिसे पिछले वर्ष घोषित किया गया था। सड़क, रेलमार्ग, एयर पोर्ट, बंदरगाह, जलमार्ग, मास ट्रांस पोर्ट एवं लाजिस्टिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर इसके सात इंजन चयनित किए गए हैं जिनसे स्थायी विकास सुनिश्चित होगा एवं बड़े पैमाने पर रोजगार एवं नौकरियों का सृजन होगा। ऐनर्जी ट्रांसमिशन, आईटी संचार, जल निकासी एवं सामाजिक संरचनाओं का सतत विकास इन गतिशक्ति इंजनों को अतिरिक्त शक्ति प्रदान करेंगे।
सरकार का जोर आधुनिक तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग एवं समावेशन पर रहेगा। डिजिटल भुगतान एवं बैंकिंग को बढ़ावा,डिजिटल विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ साथ रिजर्व बैंक डिजिटल करेंसी भी लाएगा। कृषि क्षेत्र में किसान द्रोण का उपयोग भी कृषि क्षेत्र को भी हाईटेक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कृषि क्षेत्र में स्टार्ट अप को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने की बात कही गई है। सरकार का लक्ष्य कृषि क्षेत्र में टिकाऊ विकास पर एवं किसानों को समृद्ध बनाने पर भी है। बजट में २.३७ लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किसानों से धान एवं गेहूँ की एम एस पी पर खरीद कर डीबीटी के माध्यम से किसानों के खाते में पैसा डालने के लिए की गई है। गंगा नदी के किनारे पांच किमी तक के क्षेत्र में जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। तिलहन का उत्पादन बढ़ाने और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने का भी लक्ष्य है। मोटे अनाज के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए २०२३ को मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया है। कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र पर बजट में १५१५२१करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जो पिछले वर्ष से लगभग ४००० करोड़ रुपये अधिक है।
देश में बैंको की ७५ डिजिटल शाखाएँ खोले जाने के साथ साथ १.५ लाख डाकघरों को भी मुख्य बैंकिंग सेवाओं से जोड़ा जाएगा। नए उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए कर प्रोत्साहन हेतु पात्र स्टार्ट अप के स्थापना अवधि को ३१ मार्च २०२३ तक एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया है। ई पासपोर्ट जारी करने की भी योजना है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए पी एल आई इकाइयों को प्रोत्साहित कर ६०लाख नौकरियाँ सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है। सहकारी समितियों द्वारा देय एम ए टी की दरों को घटाकर १५ प्रतिशत कर दिया गया है। नई औद्योगिक इकाइयों पर कारपोरेट कर की दर भी घटाकर १५प्रतिशत कर दी गई है।
क्रिप्टो करेंसी से आय पर तीस प्रतिशत कर लगेगा एवं ट्रान्सफर पर एक प्रतिशत टीडीएस देना होगा। बजट में ८० लाख मकान पी एम आवास योजना के तहत बनाने का लक्ष्य है। ३.८ करोड़ घरों तक नल से जल पहुंचाने का भी लक्ष्य है। सुचारु शिक्षा के लिए २०० नए चैनल खोलने की बात भी कही गई है। केन बेतवा परियोजना द्वारा बुंदेलखण्ड के लगभग नौ लाख किसानों को जल एवं सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी। लगभग ४४०००करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना के लिए १४०० करोड़ रुपये आवंटित भी कर दिए गए हैं। लगभग १६ प्रतिशत की वृद्धि के साथ स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए ८६२०० करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। २०२५ तक सभी गांवों में आप्टिकल फाइबर बिछाने का लक्ष्य है। जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण एवं गरीबी उन्मूलन पर सरकार का पहले से ही जोर रहा है जिसे इस बजट में भी आगे बढ़ाने का प्रयास होगा।
वित्त मंत्री ने २०२२-२३ के लिए ३९.४५ लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया है। इसमें राजस्व प्राप्तियां २२.०४ लाख करोड़ एवं पूंजीगत प्राप्तियां १७.४१ लाख करोड़ रुपये होंगी। राजकोषीय घाटा लगभग १६.६१करोड़ रहेगा जो जीडीपी का ६.४ प्रतिशत होगा। २०२१-२२ के संशोधित अनुमानों में राजकोषीय घाटा जीडीपी के ६.९ प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। सरकार का लक्ष्य राजकोषीय घाटे को २०२४-२५ तक ४.५प्रतिशत पर लाना है। प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर संग्रह में चालू वित्त वर्ष में अनुमान से लगभग चार लाख की अतिरिक्त आय होने के कारण सरकार ने विनिवेश से प्राप्तियों का लक्ष्य १.७५लाख से घटाकर ७८हजार करोड़ रुपये कर दिया है। २०२२-२३ में भी विनिवेश से प्राप्तियों का लक्ष्य ६५ हजार करोड़ रुपये ही रखा है। एयर इंडिया के बाद एल आई सी का आई पी ओ सरकार के मुख्य निशाने पर है। सरकार को बजट की कुल प्राप्तियों में एक रुपये में १६ पैसे जीएसटी, १५ पैसे आयकर एवं १५ पैसे निगम कर से मिलेंगे।उधार एवं अन्य देयताओं पर ३५ पैसे की निर्भरता होगी जो चिन्ताजनक है।
शायद यही मजबूरी सरकार को आय कर ढाँचे में बड़े बदलाव एवं राहत देने में बाधा बन रही है। सरकार पर कुल ऋण देयताओं के भार का अंदाजा इस बात से लगता है कि उसे कुल प्राप्तियों का लगभग २० प्रतिशत ब्याज चुकाने पर व्यय करना पड़ता है। इसी कारण यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि सरकार अनुत्पादक व्ययों में कटौती करे और राजकोषीय घाटे को नियंत्रित रखने के साथ उसमें कमी लाए। बजट २०२२-२३ अर्थव्यवस्था की गति बढ़ाने एवं रोजगार तथा आय में वृद्धि लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में मील का पत्थर साबित हो सकता है। सरकारी पूंजीगत व्ययों में ३५ प्रतिशत की वृद्धि निजी क्षेत्र में निवेश को भी प्रोत्साहित करेगी। इससे आय, रोजगार एवं समग्र मांग में और अधिक वृद्धि सम्भव होगी। चुनाव की बेला में भी वित्त मंत्री ने राजनीतिक घोषणाओं से दूर रहकर एवं लोक लुभावने प्रस्तावों से परहेज़ करके अपनी दूरदर्शिता एवं अपने उत्तरदायित्व के प्रति गम्भीरता का ही परिचय दिया है। विपक्ष तो आलोचना करेगा ही परन्तु महत्वपूर्ण यह है कि बाजार से लेकर निवेशकों एवं आर्थिक विशेषज्ञों ने बजट की जमकर सराहना की है।