विगत छह वर्षों में नरेंद्र मोदी ने सरकारी समारोहों में अनेक गैर भाजपा मुख्यमंत्रियों के साथ मंच साझा किए है। ममता बनर्जी के सामने जय श्रीराम की गूंज कोई नई बात नहीं है।
पिछले कई से अनगिनत बार उन्हें ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा। वह जितना चिढ़ती है,विरोधी उन्हें उतना ही चिढ़ाते है।
अक्सर होता है उद्घोष
ऐसा करने वाले इसका संकट भी जानते है। उन्हें राज्य की पुलिस व तृणमूल कार्यकर्ताओं के हांथो प्रताड़ित होना पड़ता है। ब्रिटिश काल में वंदेमातरम बोलने पर भी सजा मिलती थी। फिर भी लोग इसका उद्घोष करते थे। कुछ ऐसा ही नजर पश्चिम बंगाल में देखने को मिल रहा है। नेता जी सुभाष जयंती पर कोलकत्ता में आयोजित समारोह में भी यही हुआ। यहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जय श्री राम और भारत माता की जय के उद्घोष से क्रोधित हुई।
उन्होंने भाषण नहीं दिया। कार्यक्रम केंद्र सरकार का था। भाजपा के किसी नेता ने इस मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया। लेकिन कुछ तो है जो ममता बनर्जी को देख कर लोग जय श्री राम कहने लगते है। यह सब स्वतः स्फूर्त होता है। ऐसा लगता है कि ममता बनर्जी को चिढ़ाने में बड़ी संख्या में आमजन को आनन्द मिलता है। वस्तुतः इसके लिए ममता बनर्जी स्वयं जिम्मेदार है। उन्होने तुष्टिकरण को इतना प्रश्रय दिया कि उसकी प्रतिक्रिया होनी ही थी।
इस समय पश्चिम बंगाल में यही हो रहा है। ममता बनर्जी ने यह मान लिया था कि तुष्टिकरण मात्र से वह भी वामपंथियों की तरह लंबे समय तक सत्ता में काबिज रह सकती है। लेकिन उन्होंने बदली हुई परिस्थियों पर विचार नहीं किया। उस समय इस प्रदेश में भाजपा लगभग नदारत थी।
कांग्रेस और वामपंथियों के विचार में विशेष अंतर नहीं था। अब भाजपा वहां सत्ता पक्ष के मुकाबले में सबसे आगे है। इससे उन बहुसंख्यको का विश्वास बढा जो तुष्टिकरण से परेशान थे।
अवैध घुसपैठियों से यहां समीकरण बदल रहे थे। राज्य सरकारे अवैध घुसपैठ को संरक्षण संवर्धन दे रही थी। कुछ समय से ममता बनर्जी भी दुर्गा पूजा विवेकानन्द के हिन्दुतत्व की बात करने लगी है। मतलब साफ है। वह भाजपा के बढ़ते प्रभाव से परेशान है। लेकिन चुनाव के कुछ समय पहले के इस बदलाव पर लोगों का विश्वास नहीं है। इसलिए ममता बनर्जी के सामने जय श्री राम के नारे लगते है।
पराक्रम दिवस सन्देश
विक्टोरिया मेमोरियल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सन्देश पूरे पश्चिम बंगाल में गूंजा। इस समारोह में आजाद हिंद फौज के जंवाज,उनके परिजन भी सम्मलित थे। नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक सौ पच्चीसवीं जयंती को केंद्र सरकार पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया था। इसी संदर्भ में नरेन्द्र मोदी कोलकत्ता गए थे।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम सब का कर्तव्य है कि नेताजी के योगदान को पीढ़ी दर पीढ़ी याद किया जाए।
इसलिए देश ने तय किया है कि नेताजी की एक सौ पच्चीसनवीं जयंती के वर्ष को ऐतिहासिक अभूतपूर्व भव्य आयोजनों के साथ मनाएंगे। देश ने ये तय किया है कि अब हर साल हम नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया करेंगे।