राज्य सरकार ने जनता को मिलने वाली सुविधाओं की निगरानी प्रणाली को और पारदर्शी बनाने का फैसला किया है। इससे जनता को सुविधाएं तय समय पर तो मिलेंगी ही साथ ही पैसा निर्धारित कामों पर ही खर्च होगा।
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जनता की सुविधाओं में अफसरों की अड़ंगेबाजी न चले इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है। नई व्यवस्था के बाद निर्धारित मदों पर ही निकायों और पंचायतों में पैसा खर्च होगा।
शासन स्तर से लेकर नीचे तक निर्धारित मदों में पैसा खर्च करना होगा। शासन चाह कर भी पैसा नहीं रोक पाएगा। निकायों और पंचायतों द्वारा जैसे ही उपभोग प्रमाण पत्र दिया जाएगा उसे दूसरी किस्त जारी कर दी जाएगी। इस तरह उसे अंतिम भुगतान किया जाएगा। संबंधित संस्थानों को उपभोग प्रमाण पत्र और स्थलीय फोटो के साथ अपनी पूरी रिपोर्ट देनी होगी।
केंद्र सरकार यूपी को 15वें वित्त आयोग में 3000 करोड़ से अधिक पैसा दे रही है। इनसे नागरिक सुविधाओं के लिए काम होना है। जरूरत के आधार पर सड़क, शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाने, व्यावसायिक शिक्षा के साथ ही शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास का काम कराया जाना है। नगर विकास व पंचायती राज्य विभाग को इस मद में सर्वाधिक पैसा मिलता है।
तय सिफारिशों के आधार पर पैसा खर्च करने की व्यवस्था है। इसके बाद भी काम समय पर नहीं हो पाते हैं। जनप्रतिनिधियों और अफसरों के आपसी टकराव के चलते काम प्रभावित होते हैं। इसीलिए उच्च स्तर पर तय समय पर गुणवत्ता युक्त काम कराने के लिए पुरानी व्यवस्था में बदलाव किया गया है।