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विपक्ष पर भारी पड़े योगी के विचार

विधानसभा में पिछले अधिवेशन जैसे ही दृश्य इस बार भी दिखाई दिए. विपक्ष पहले हंगामा करता है. अधिवेशन के अंतिम चरण में नेता प्रतिपक्ष सरकार पर हमला बोलते हैं. लेकिन जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जबाब देते हैं, तब विपक्ष के सभी तीर निरर्थक हो जाते हैं. इसका कारण यह है कि योगी सरकार ने विगत छह वर्षों के दौरान कानून व्यवस्था को सुदृढ़ किया. उसके बाद प्रदेश के समग्र विकास का अभूत पूर्व विकास किया. यही तत्व योगी आदित्यनाथ में आत्मविश्वास का संचार करते हैं. इसी आधार पर योगी आदित्यनाथ विपक्ष को चुनौती देते हैं. उन्होंने वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी पर नेता प्रतिपक्ष को छत्तीस घण्टे चर्चा की चुनौती दी.

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नेता प्रतिपक्ष ने इस विषय पर सरकार का मखौल उड़ाया था. दूसरी तरफ कानून व्यवस्था और विकास के मुद्दे मुद्दे विपक्ष को बचाव की मुद्रा में पहुँचा देते हैं. क्योंकि योगी के पहले उन्हीं लोगों को सरकार चलाने का अवसर मिला था. लेकिन वह जन आकांक्षा के अनुरूप कार्य करने में विफल रहे थे. इसके लिए उनको जनता की नाराजगी झेलनी पड़ी. इनको लगातर दूसरी बार जनादेश नहीं मिला. इसके विपरित भाजपा को 2014, 2017, 2019 और 2022 में भारी जनसमर्थन मिला. करीब चालीस वर्ष बाद किसी मुख्यमंत्री को लगातार दूसरी बार सरकार बनाने का अवसर मिला. योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में कहा कि यह सभी जनादेश यों ही नहीं मिले हैं. योगी ने विपक्षी नेता को दुष्यंत कुमार की पँक्तियाँ सुनाईं

तुम्‍हारे पांव के नीचे कोई जमीन नहीं।
कमाल ये है कि फिर भी तुम्‍हें यकीन नहीं।।

इसके बाद योगी के प्रहार जारी रहे. उनके पास कहने को बहुत कुछ था. कहा कि कुछ लोग चांदी का चम्‍मच लेकर पैदा होते हैं। उन्‍हें जमीनी हकीकत के बारे में कुछ पता नहीं होता है। वे गांव के लोगों और किसानों की पीड़ा कभी नहीं समझ पाएंगे। जब बाढ़ और सूखे की बात आई तो उस मुददे को विषयांतर करने की कोशिश की गई। अगर खेती की बात आती है तो बारिश,पशुपालन उसका हिस्सा है। ये सांड उसी का हिस्सा है। सपा सरकार के समय सांड बूचड़खाने के हवाले होता था.अब यह पशुधन और कृषि का हिस्सा है। लेकिन सपा
को परेशानी आवारा पशुओं से नहीं है, बल्कि स्लॉटर हाउस बन्द होने से है. स्लॉटर हाउस इनकी कमाई का ज़रिया थे.

विपक्ष पर भारी पड़े योगी के विचार

इंसेफ्लाइटिस से पूर्वी उत्तर प्रदेश में चालीस वर्ष में पचास हजार बच्चों की मौत हुई थी। चार बार समाजवादी पार्टी की सरकार रही थी। नब्बे फीसदी बच्चे दलित, अल्पसंख्यक और अति पिछड़ी जाति के थे। क्या यहां पीडीए अर्थात पिछड़े और दलित थे। सपा बसपा दोनों को पांच पांच साल का मौका भी मिला था। ये लोग कुछ नहीं कर सके. इन्होंने पूर्वी उत्तर प्रदेश की उपेक्षा की.

वर्तमान सरकार ने इंसेफ्लाइटिस का समूल नाश कर दिया है। कुशीनगर, महाराजगंज, बस्ती, गोरखपुर, संतकबीर नगर, लखीमपुर खीरी या सहारनपुर तक इंसेफ्लाइटिस समाप्त, घोषणा होनी बाकी है। आज सरकारी अस्पताल में मरीज इसलिए आ रहा है क्योंकि उसे दवा मिल रही है। गरीब को आयुष्मान योजना का लाभ मिल रहा है। यूपी के दस करोड़ लोगों को इस योजना का लाभ मिल रहा है.

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आपके लिए वो जाति हो सकते हैं, वोट बैंक का मुद्दा हो सकता है। हमारे लिए परिवार है। क्योंकि विरासत में जर्जर व्यवस्था मिली थी, उसे ठीक करने में समय तो लगेगा। लेकिन उमड़ती भीड़ बता रही है कि पहले से व्यवस्था ठीक हुई है. सपा सरकार ने तो कांवड़ यात्रा पर ही प्रतिबंध लगा दिया था. वर्तमान सरकार ने कांवड़ यात्रा के साथ- साथ जेलों और पुलिस थानों में जन्माष्टमी का त्यौहार मनाने पर लगे प्रतिबंध को ख़त्म कर दिया. पचपन लाख परिवारो को प्रधानमंत्री आवास मिले हैं.

माफ़िया के कब्जे से ज़मीन छुड़ाकर ग़रीबों को घर देने का काम किया है.” छह साल से ज्यादा के कार्यकाल में बीजेपी की सरकार ने लोगों को राहत दी है. आवास योजना से लेकर किसानों तक को कैसे योजना का फायदा दिया गया. किसानों की फसलों की खरीद पहले बिचौलियों के ज़रिए होती थी, जबकि उन्होंने सीधे खरीद सुनिश्चित की. शहरों में चौबीस घंटे, तहसीलों में बहिष्कार घंटे और ग्रामीण इलाकों में अठारह घंटे बिजली दी जा रही है.

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