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शरीर को हल्का बनाता है डांस

शरीर को छरहरा बनाए रखने की यह पद्धति भूतपूर्व सोवियत संघ के गणराज्यों में बहुत ही प्रसिद्ध है। इसके लिए संगीत की सुर−ताल और लहरियों के साथ−साथ लोग तालाब में तैरने, साइकिल चलाने, लंबे समय तक दौड़ने आदि का अभ्यास करते हैं। चूंकि इस प्रकार के व्यायामों के लिए शरीर को अधिक मात्रा में आक्सीजन की जरूरत होती है इसलिए इस प्रकार के व्यायामों को वातापेक्षी व्यायाम की संज्ञा दी जाती है। इस प्रकार के व्यायामों के लिए वातावरण का सृजन संगीत द्वारा किया जाता है जो हर व्यक्ति को उसकी क्षमतानुसार व्यायाम करने के लिए उत्साहित करता है। इससे प्राणवायु शरीर के प्रत्येक अंग की कोशिकाओं में पहुंचकर उनको साफ कर देती है, जिससे शरीर में चुस्ती और ताजगी का अनुभव होता है। यह भी जरूरी है कि वातपेक्षी व्यायाम करते समय चेहरे पर मुस्कान हो। मुस्कान चेहरे का व्यायाम है। दूसरी ओर हंसने से हमारे भीतर ऐसे हारमोन स्रावित होते हैं जो हमें स्वस्थ्य बनाए रखते हैं। चेहरे पर यह मुस्कान आती है मनचाहे संगीत से। इस प्रकार के व्यायाम में कोई नया आयाम नहीं है। इसमें शरीर को मोड़ना, बैठना, कूदना, बाहों को आगे−पीछे मोड़ना और शरीर को मोड़ना ही शामिल है। इसे करने के लिए जरूरी नहीं कि इन्हें नियम−कानूनों के साथ किया जाए। उन्मुक्त ढंग से किया गया नृत्य भी फायदेमंद होता है।हृदय की भावनाओं तथा संवेगों को प्रकट करने का माध्यम संगीत है। संगीत सुनना तथा उसका अभ्यास करना दोनों ही तनाव से ग्रसित मानव की शिराओं में शिथिलता प्रदान करता है। यों भी संगीत में डूबा व्यक्ति चाहे कुछ ही समय के लिए ही सही अपने दुख−विषाद को भूल जाता है जिससे मस्तिष्क तथा शरीर को तनाव से मुक्ति मिलती है, आराम व सुकून मिलता है। वैज्ञानिकों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि संगीत मानसिक, शारीरिक तनाव तथा व्याधियों को दूर करने में सहायक है।

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