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पीएम केयर्स फंड का ब्योरा आम जनता को जानने का हक, हाईकोर्ट में याचिका

पीएम केयर्स फंड में मिले पैसों का ब्योरा देने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग करते हुए एक याचिका डॉ. एसएस हुड्डा ने दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की है। इस याचिका पर 10 जून को सुनवाई होगी।

याचिका में मांग की गई है कि पीएम केयर्स फंड के ट्रस्टियों को दिशा-निर्देश दिया जाए कि वो अपनी वेबसाइट पर फंड को मिले पैसों का ब्योरा प्रदर्शित करें। याचिका में सूचना के अधिकार के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय से मिले जवाब को आधार बनाया गया है, जिसमें कहा गया है कि पीएम केयर्स फंड एक सार्वजनिक प्राधिकार नहीं है।

पीएम केयर्स फंड को केंद्र सरकार नियंत्रित करती है और उसका वित्तपोषण भी करती है। जिस निकाय को सरकार नियंत्रित करती है या उसका वित्तपोषण करती है वो सूचना के अधिकार कानून के तहत सार्वजनिक प्राधिकार में आता है।

याचिका में कहा गया है कि पीएम केयर्स फंड के पदेन चेयरमैन प्रधानमंत्री हैं जबकि रक्षा, गृह और वित्त मंत्री इसके पदेन ट्रस्टी हैं। पदेन चेयरमैन और ट्रस्टी को तीन अतिरिक्त ट्रस्टियों को नियुक्त करने का अधिकार है। फंड के चेयरमैन और ट्रस्टी को ही इसमें आए पैसों को खर्च करने के लिए नियम बनाने का अधिकार है। याचिका में कहा गया है कि दस हजार करोड़ रुपये से पीएम केयर्स फंड स्थापित किया गया था।

इस फंड में लोक उपक्रमों, केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों, सैन्य बलों के अलावा लोकसेवकों और न्यायिक संस्थाओं के सदस्यों की सैलरी के रूप में मिले दान को लिया गया है। याचिका में कहा गया है कि सूचना के अधिकार के तहत भले ही पीएम केयर्स फंड सार्वजनिक प्राधिकार नहीं है लेकिन जो लोग इसमें दान दे रहे हैं, उन्हें जानने का हक है कि उनका पैसा कहां जा रहा है।

याचिका में कहा गया है कि अगर पीएम केयर्स फंड सार्वजनिक प्राधिकार नहीं है तो इस बात की पड़ताल की जानी चाहिए कि लोक प्राधिकार सरकारी एजेंसियों और लोकसेवकों से दान लेने के लिए किस हद तक प्रमोट कर सकती हैं। कोरोना के पीड़ितों को ये जानने का हक है कि कितना पैसा आया और उसका कितना हिस्सा खर्च किया गया है या किया जाना है।

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