लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. मसूद अहमद ने कहा कि उ.प्र. विशेष सुरक्षा बल विधेयक 2020 राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद अधिनियम की शक्ल में लागू हो गया है। इस अधिनियम को योगी आदित्यनाथ के द्वारा उ.प्र. में लोकतंत्र को कुचलने और तानाशाही के पर्दापण करने की संज्ञा दी जा सकती है। इस अधिनियम के कार्यरूप में आने के बाद निश्चित रूप से विपक्ष के साथ साथ सामाजिक एवं सम्भ्रान्त नागरिकों पर दबाव बनाने का प्रयास किया जायेगा।
डाॅ. अहमद ने कहा कि आजाद भारत के इतिहास में यह अधिनियम इकलौता ऐसा अधिनियम होगा जिसमें तानाशाही प्रवत्ति स्पष्ट रूप से झलकती है। स्पष्ट बहुमत की भाजपा सरकार वाले प्रदेश में केन्द्र सरकार के इशारे पर लागू किया जाने वाला यह भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अमोघ अस्त्र है। केन्द्र सरकार ने इस अधिनियम के माध्यम से प्रदेष में तानाशाही लागू करने का असफल प्रयास किया है, क्योंकि विभिन्न धर्मो और संस्कृतियों का संगम बटोरे यह प्रदेश अपने आप में उदाहरण है। अग्रेजों की तानाशाही प्रवृत्ति को जड़ से उखाड़ने का क्रान्तिकारी कदम इसी उ.प्र. की मेरठ छावनी से प्रारम्भ हुआ था। सरकार द्वारा जनहित में लागू किये जाने वाले हर ऐजेन्डे का राष्ट्र ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विपक्ष स्वागत करेगा किन्तु जनविरोधी और लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत किसी भी कदम का पुरजोर विरोध करेगा।
रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जिस सरकार के शासन में पुलिस को न्यायालय के आदेशों की परवाह न हो और न ही किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी अथवा तलाशी में मजिस्ट्रेट के द्वारा जारी वारण्ट की आवश्यकता न हो ऐसे लागू होने वाले कानून को काला कानून के अतिरिक्त कुछ नहीं कहा जायेगा। प्रदेश सरकार ने विपक्षी पार्टियों द्वारा जनहित के आन्दोलनों पर लाठीचार्ज जैसे कृत्यों से दबाने की अनेको बार कोषिष की।
कृषि प्रधान देश में डबल इंजन की सरकारों ने किसानों को बडी बेरहमी से लाठियों से पिटवाया गया है और मजदूरों पर अनेको बार बर्बर अत्याचार किये गये। किसानों और मजदूरों के साथ साथ युवा वर्ग को इस सरकार से निराशा ही हाथ लगी है। अब भविष्य में यह भी निश्चित है कि इस अधिनियम से इन वर्गो की आवाज को कुचलने का कूचक्र रचा जायेगा। राष्ट्रीय लोकदल सड़कों पर उतरकर इस काले कानून का विरोध करेगा।